उत्तराखंड : हरीश रावत ने लेखानुदान अध्यादेश रद करने को दी अर्जी, आज हाई कोर्ट में होगी अहम सुनवाई
निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर केंद्र के लेखानुदान अध्यादेश को निरस्त करते हुए राज्य विधानसभा से पारित बजट को लागू करने की मांग की है। रावत ने यह संशोधन फरियाद राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को चुनौती देने वाली याचिका में लगाई है।
नैनीताल। निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर केंद्र के लेखानुदान अध्यादेश को निरस्त करते हुए राज्य विधानसभा से पारित बजट को लागू करने की मांग की है। रावत ने यह संशोधन फरियाद राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को चुनौती देने वाली याचिका में लगाई है। इधर केंद्र सरकार ने रावत के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दर्ज करते हुए मामले में जवाब दाखिल करने के लिए न्यूनतम तीन कार्य दिवस का समय मांगा है।
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ इन मामलों की सुनवाई बुधवार 6 अप्रैल को करेगी। उत्तराखंड की सियासत की दृष्टि से बुधवार का दिन अहम माना जा रहा है। निवर्तमान मुख्यमंत्री रावत की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री व प्रसिद्ध वकील अभिषेक मनु सिंघवी व कपिल सिब्बल बहस करेंगे तो केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी, अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता मोर्चा संभालेंगे। केंद्र की ओर से एनडीए सरकार के कार्यकाल में अटार्नी जनरल रहे प्रसिद्ध वकील हरीश साल्वे के भी नैनीताल पहुंचने की संभावना है।19 को भेज दिया था पारित विधेयक
विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल की ओर से हाई कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा गया है कि 18 मार्च को विधान सभा में विभिन्न विभागों का बजट ध्वनि मत से पारित किया गया था, इसी तरह विनियोग विधेयक भी ध्वनि मत से पारित हुआ था। उनका कहना है कि पारित विनियोग विधेयक राज्यपाल की स्वीकृति के लिए 19 मार्च को संसदीय कार्य मंत्रालय को भेज दिया था। स्पीकर ने संविधान के अनुच्छेद 212 का हवाला देते हुए कहा है कि स्पीकर को सदन संचालन का संवैधानिक अधिकार हासिल है। कहा है कि उनके द्वारा सदन का संचालन विधानसभा की नियमावली के अनुसार किया।
कुछ ऐसे चला घटनाचक्र
- 18 मार्च: कांग्रेस सरकार में बगावत। विनियोग विधेयक में मत विभाजन की मांग के दौरान सत्ता पक्ष के मंत्री हरक सिंह व पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा समेत नौ विधायक विपक्ष के साथ उठ खड़े हुए। सदन के भीतर हंगामा। बागी विधायकों की राज्यपाल से मुलाकात, दिल्ली रवाना। इससे पूर्व घोड़ा प्रकरण में विधायक गणेश जोशी गिरफ्तार।
- 19 मार्च: सरकार ने हरक सिंह को मंत्रिमंडल से हटाया। बागी विधायकों को नोटिस। राज्यपाल डा. केके पॉल से मिले मुख्यमंत्री हरीश रावत। राजभवन ने 28 मार्च तक बहुमत साबित करने को कहा।
- 20 मार्च: विधानसभा सचिवालय ने 28 मार्च सुबह 11 बजे सत्र आहूत किया। विधायकों के आवास पर नोटिस चस्पा, 26 मार्च तक मांगा जवाब। कांग्रेसी विधायक रामनगर शिफ्ट।
- 21 मार्च: राष्ट्रपति भवन पहुंची कांग्रेस व भाजपा की लड़ाई। भाजपा विधायकों ने राष्ट्रपति भवन तक किया पैदल मार्च, सरकार को बर्खास्त करने की मांग। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन, वस्तुस्थिति से अवगत कराया।
- 22 मार्च: गणेश जोशी हुए रिहा। भाजपा व कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर रहा जारी।
- 23 मार्च: होली की पूर्व संध्या पर सीएम आवास में बेहद सादगी से उड़ा गुलाल। भाजपा विधायक जयपुर तो कांग्रेसी विधायक रहे कार्बेट पार्क में।
- 24 मार्च: घरों से दूर रहकर मनी विधायकों की होली। मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेसी विधायकों के साथ होली खेलने पहुंचे कार्बेट पार्क।
- 25 मार्च: विधानसभा अध्यक्ष की ओर से भेजे गए दलबदल के नोटिस पर बागी विधायकों ने हाईकोर्ट में की याचिका दाखिल। कोर्ट ने बागियों को झटका देते हुए याचिका की खारिज। बागियों ने विधानसभा अध्यक्ष से मांगा जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय। स्पीकर का इंकार
- 26 मार्च: बागियों ने मुख्यमंत्री हरीश रावत का एक कथित स्टिंग दिल्ली में किया जारी। स्टिंग में सरकार बचाने के लिए पैसे देने की बात कहते दिख रहे मुख्यमंत्री। मुख्यमंत्री ने आरोपों को नकारा। भाजपा ने की इस्तीफे की मांग। विधानसभा में वकीलों ने बागी विधायकों के नोटिस का भेजा जवाब। देर रात बर्खास्तगी की चलती रही सूचना। किसी ने नहीं की पुष्टि
- 27 मार्च: अपराह्न 12 बजे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मीडिया से बातचीत में भाजपा पर लगाए राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी देने के आरोप। विधानसभा में अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने की बागियों के मामले की सुनवाई। दोपहर बाद केंद्र ने राज्य में लगाया राष्ट्रपति शासन। मुख्यमंत्री ने इसे बताया लोकतंत्र की हत्या। राज्यपाल ने जारी की राष्ट्रपति शासन लगाने की अधिसूचना। सभी अधिकार राजभवन में हुए निहित। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस भवन में कार्यकर्ताओं से की मुलाकात। काबीना मंत्रियों संग भी की बैठक।
- 28 मार्च : उत्तराखंड में मचे राजनीतिक घमासान का मामला हाई कोर्ट की सिंगल नैनीताल में पहुंचा।
- 29 मार्च : नैनीताल हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने 31 मार्च को उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया था।
- 30 मार्च : केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी। डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाई।
- 04 अप्रैल : हाई कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया गया।
पढ़ें:- उत्तराखंडः राष्ट्रपति शासन को लेकर केंद्र ने नैनीताल हाई कोर्ट में दाखिल किया जवाब