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उत्तराखंड : कानूनी पेंच में राष्ट्रपति शासन, हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू

उत्तराखंड में धारा 356 का प्रयोग कर राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है जिस पर आज सुबह दस बजे से फिर सुनवाई शुरू हो गई।

By sunil negiEdited By: Updated: Tue, 29 Mar 2016 10:30 AM (IST)
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नैनीताल। उत्तराखंड में धारा 356 का प्रयोग कर राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है जिस पर आज सुबह दस बजे से फिर सुनवाई शुरू हो गई। रावत की याचिका स्वीकार करते हुए बीते रोज न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ ने केंद्र सरकार से मंगलवार तक जवाब मांगा था।

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सोमवार को हुई बहस में हरीश रावत की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की। केंद्र की ओर से असिस्टेंट सोलीसिटर जनरल राकेश थपलियाल भी कोर्ट में मौजूद रहे। बहस के दौरान सिंघवी ने बिहार में रामेश्वर नाथ और कर्नाटक में एसआर बोमई केस का दिया हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठों आदेश हैं कि सदन में ही होगा बहुमत का फैसला। केंद्र सरकार ने रावत सरकार को गिराने और बागियों को बचाने की मंशा पूरी करने के लिए धारा 356 का दुरुपयोग किया।

उन्होंने कहा कि रावत सरकार का फ्लोर टेस्ट होना था, लेकिन असंवैधानिक तरीके से सरकार को पदच्युत किया गया। बागियों को विधान सभा अध्यक्ष ने सुनवाई का पूरा मौका दिया था।

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हरीश रावत के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि कांग्रेस के बागी विधायक चार्टेड प्लेन और बस में भाजपा एमएलए के साथ पब्लिक डोमेन में दिखे। इसके बावजूद बगावत की बात से इन्कार किया जा रहा है। ऐसे में इन विधायकों की सदस्यता खत्म करना उचित कदम रहा। उन्होंने कहा कि बागियों की सदस्यता खत्म होने के बाद अब विधानसभा 61 की रह गई है। हरीश रावत का बहुमत साबित होना तय था। इसीलिए जबरिया राष्ट्रपति शासन थोपा गया। यह राष्ट्रपति शासन का अब तक का सबसे खराब उदहारण है। केंद्र ने शक्तियों का दुरुपयोग किया है।


सिंघवीं ने आज या कल बहुमत साबित करने का मौका देने के लिए निर्देशित करने, राष्ट्रपति शासन संबंधी आदेश पर अंतरिम रोक की मांग की। वहीं, केंद्र के अधिवक्ता ने काउंटर फाइल करने के लिए 10 दिन का समय मांगा।

कुछ ऐसे चला घटनाचक्र

18 मार्च: कांग्रेस सरकार में बगावत। विनियोग विधेयक में मत विभाजन की मांग के दौरान सत्ता पक्ष के मंत्री हरक सिंह व पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा समेत नौ विधायक विपक्ष के साथ उठ खड़े हुए। सदन के भीतर हंगामा। बागी विधायकों की राज्यपाल से मुलाकात, दिल्ली रवाना। इससे पूर्व घोड़ा प्रकरण में विधायक गणेश जोशी गिरफ्तार।

19 मार्च: सरकार ने हरक सिंह को मंत्रिमंडल से हटाया। बागी विधायकों को नोटिस। राज्यपाल डा. केके पॉल से मिले मुख्यमंत्री हरीश रावत। राजभवन ने 28 मार्च तक बहुमत साबित करने को कहा।

20 मार्च: विधानसभा सचिवालय ने 28 मार्च सुबह 11 बजे सत्र आहूत किया। विधायकों के आवास पर नोटिस चस्पा, 26 मार्च तक मांगा जवाब। कांग्रेसी विधायक रामनगर शिफ्ट।

21 मार्च: राष्ट्रपति भवन पहुंची कांग्रेस व भाजपा की लड़ाई। भाजपा विधायकों ने राष्ट्रपति भवन तक किया पैदल मार्च, सरकार को बर्खास्त करने की मांग। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन, वस्तुस्थिति से अवगत कराया।

22 मार्च: गणेश जोशी हुए रिहा। भाजपा व कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर रहा जारी।

23 मार्च: होली की पूर्व संध्या पर सीएम आवास में बेहद सादगी से उड़ा गुलाल। भाजपा विधायक जयपुर तो कांग्रेसी विधायक रहे कार्बेट पार्क में।

24 मार्च: घरों से दूर रहकर मनी विधायकों की होली। मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेसी विधायकों के साथ होली खेलने पहुंचे कार्बेट पार्क।

25 मार्च: विधानसभा अध्यक्ष की ओर से भेजे गए दलबदल के नोटिस पर बागी विधायकों ने हाईकोर्ट में की याचिका दाखिल। कोर्ट ने बागियों को झटका देते हुए याचिका की खारिज। बागियों ने विधानसभा अध्यक्ष से मांगा जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय। स्पीकर का इंकार

26 मार्च: बागियों ने मुख्यमंत्री हरीश रावत का एक कथित स्टिंग दिल्ली में किया जारी। स्टिंग में सरकार बचाने के लिए पैसे देने की बात कहते दिख रहे मुख्यमंत्री। मुख्यमंत्री ने आरोपों को नकारा। भाजपा ने की इस्तीफे की मांग। विधानसभा में वकीलों ने बागी विधायकों के नोटिस का भेजा जवाब। देर रात बर्खास्तगी की चलती रही सूचना। किसी ने नहीं की पुष्टि

27 मार्च: अपराह्न 12 बजे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मीडिया से बातचीत में भाजपा पर लगाए राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी देने के आरोप। विधानसभा में अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने की बागियों के मामले की सुनवाई। दोपहर बाद केंद्र ने राज्य में लगाया राष्ट्रपति शासन। मुख्यमंत्री ने इसे बताया लोकतंत्र की हत्या। राज्यपाल ने जारी की राष्ट्रपति शासन लगाने की अधिसूचना। सभी अधिकार राजभवन में हुए निहित। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस भवन में कार्यकर्ताओं से की मुलाकात। काबीना मंत्रियों संग भी की बैठक।

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