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किसानों की आत्महत्या मामले में हार्इकोर्ट ने मांगा जवाब

उत्तराखंड में बढ़ रहे किसान आत्महत्या केे मामलोंं पर हार्इकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार और आरबीआइ से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।

By raksha.panthariEdited By: Updated: Wed, 13 Sep 2017 08:39 PM (IST)
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किसानों की आत्महत्या मामले में हार्इकोर्ट ने मांगा जवाब

नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट ने बैंक ऋण के बोझ तले दबे किसानों के आत्महत्या करने के मामले में गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल, किसान नेता और ऊधमसिंह नगर के शांतिपुरी निवासी डॉ. गणेश उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि किसान बैंक ऋण अत्यधिक होने की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं। जून से सितंबर तक सात किसान आत्महत्या कर चुके हैं। याचिका में कहा गया है कि राज्य के किसानों की स्थिति ब्लू व्हेल गेम से भी अधिक खतरनाक हो गई है। याचिकाकर्ता के मुताबिक बैंकों की कृषि ऋण की ब्याज दरें इतनी अधिक हैं कि किसान ऋण चुकाने के लिए साहूकारों से अधिक ब्याज दरों पर लोन ले रहे हैं। जबकि सरकार फसल का भुगतान दस-दस माह तक नहीं करती है। सरकार ने ऊधमसिंह नगर जिले से खरीदे गए धान की करीब 75 करोड़ रकम का दस माह बाद भी किसानों को भुगतान नहीं किया गया है। 

याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया है कि 75 करोड़ का बैंक ब्याज पांच करोड़ हो चुका है, यह किसकी जेब में जा रहा है। याचिका में यह भी कहा गया है कि 2007 में पॉपुलर का रेट 1050 रुपये कुंतल था जो अब घटकर 350 रुपये हो गया है, जबकि बाजार दरें तीन गुना बढ़ गई हैं। इसका लाभ किसान के बजाय सरकार को हो रहा है। किसानों के समय पर किश्त नहीं देने की वजह से बैंक उन्हें नोटिस थमा रहे हैं, परिणामस्वरूप किसान आत्महत्या कर रहे हैं। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि अब तक प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को राज्य में लागू नहीं किया गया है। 

याचिकाकर्ता ने पीएम फसल बीमा योजना लागू करने की मांग करते हुए कहा कि दो प्रतिशत खरीफ, डेढ़ प्रतिशत रबी और अन्य व्यावसायिक फसलों पर पांच प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जाना चाहिए। वहीं मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद केंद्र, राज्य सरकार और आरबीआइ से जवाब तलब किया है।

किसानों की आत्महत्या के मामले

-राम अवतार, निवासी हल्दी पचेड़ा, खटीमा, ऊधमसिंह नगर ने कर्ज के बोझ के कारण खुदकशी कर ली

-16 जून पिथौरागढ़ के किसान ने की आत्महत्या

-12 जुलाई-बाजपुर के बलविंदर सिंह पर सात लाख 48 हजार ऋण था, उसकी भी मौत हो गई

-सात सितंबर-राधा किशन की कर्ज के बोझ तले दबे होने हार्ट अटैक पडऩे से मौत हो गई

वहींं किसान नेता और याचिकाकर्ता गणेश उपाध्याय ने कहा कि ऊधमसिंह नगर जिले में गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर 25 करोड़ बकाया है। मगर अब तक सरकार भुगतान नहीं कर रही है। नवंबर में पेराई सत्र आरंभ होगा, इसलिए सरकार को ब्याज सहित भुगतान करना चाहिए। सरकार की गलत नीतियों की वजह से अन्नदाता को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

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