उत्तराखंड में बाल विवाह के बढ़ते मामलों पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
हाई कोर्ट ने राज्य में बाल विवाह के बढ़ते मामलों पर गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने राज्य में बाल विवाह के बढ़ते मामलों पर गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ के समक्ष नैनीताल निवासी चंपा उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
पढ़ें:-पति से झगड़ने पर घर से भागी, दे बैठी युवक को दिल, आगे क्या हुआ जानिए
याचिका में ह्यूमन राईट लॉ नेटवर्क की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि राज्य में बेटियों की शादी की आयु 15 से 19 साल है। पिथौरागढ़ जिले में 45 प्रतिशत और चंपावत जिले में 39 प्रतिशत बेटियों की शादी
15 से 19 साल के बीच हो रही है।
पढ़ें:-पति की शादी रोकने को महिला ने लगाई गुहार
याचिका में कहा गया कि बाल विवाह की वजह से ना केवल बेटियों को शिक्षा के मूल अधिकार से वंचित किया जा रहा है, बल्कि कम आयु में मां बनने से उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। याचिका में बाल विवाह रोकने के कानून का प्रभावी क्रियान्वयन करवाने की मांग की गई है।
पढ़ें:- पति 50 हजार में ले आया सौतन, पत्नी ने उठाया ये कदम...