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अब छिपे नहीं रहेंगे बृहस्पति ग्रह के राज, जूनो अंतरिक्ष यान बताएगा वहां के हाल

गुरु ग्रह के राज अब छिपे नहीं रहेंगे। जूनो अंतरिक्ष यान इस ग्रह की गहराइयों में गोता लगाने जा रहा है। अब वो वहां के राज खोलेगा।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 10 Jun 2016 03:48 PM (IST)

नैनीताल,[ रमेश चंद्रा]: गुरु ग्रह के राज अब छिपे नहीं रहेंगे। जूनो अंतरिक्ष यान इस ग्रह की गहराइयों में गोता लगाने जा रहा है। पांच साल की यात्रा पूरी कर जूनो बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है। चार जुलाई को यह गुरु की जद में जा पहुंचेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह अत्याधुनिक मिशन गुरु की खोज कर दुनिया में नया अध्याय शुरू करेगा।


सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह गुरु आज भी रहस्यमय है। इसे जानने के लिए नासा ने जुपिटर नियर पोलर ऑर्बिटर यानि जूनो अंतरिक्ष यान को बृहस्पति पर भेजा है। इस यान को पांच अगस्त 2011 को छोड़ा गया था। अब यह कुछ ही रोज बाद बृहस्पति की कक्षा में पहुंचने जा रहा है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य इस रहस्यमयी ग्रह के कोर यानि केंद्रक के ठोस होने का पता लगाना है। चुंबकीय क्षेत्र के मानचित्रण के अलावा इसके वातावरण की गहराइयों में पानी का पता लगाना भी इसका उद्देश्य है। साथ ही अमोनिया की मौजूदगी व ध्रुवीय प्रकाश का प्रेक्षण करना है। जूनो का यह मिशन 16 माह का है, जिसमें प्रत्येक 14 दिन में वह पांच हजार किमी की ऊंचाई से गुरु के बादलों के ऊपर से गुजरेगा। 37 चक्कर में मिशन पूरा करके जूनो इसके चित्र भेजेगा। जूनो की यह अंतरिक्ष यात्रा वर्ष 2018 फरवरी में गुरु की गहराई में गिर कर समाप्त हो जाएगी।



तकनीकी लिहाज से बड़ी उपलब्धि
नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार चार टन वजनी जूनो सौर उर्जा पर निर्भर है, जो अभी तक जो सूर्य से भी अधिक दूरी पर पहुंचकर सक्रिय है। इसमें नौ मीटर लंबे तीन सोलर पैनल लगे हैं। इनकी क्षमता 14 किलोवाट है। अत्याधुनिक तकनीक से बने होने के कारण वैज्ञानिक इसे तकनीकी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि के रूप में मान रहे हैं।

अब तक आठ अंतरिक्ष यान कर चुके अध्ययन
गैलीलियो, वायजर-1 व पायोनियर समेत आठ अंतरिक्षयान अभी तक बृहस्पति का अध्ययन कर चुके हैं। इनसे गुरु के बारे में कई जानकारियां मिली हैं।


लाल धब्बा वैज्ञानिकों का आकर्षण
भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलुरु के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक प्रो. आरसी कपूर के अनुसार नग्न आंखों से किसी बड़े तारे के समान जगमगाता नजर आने वाला बृहस्पति अनूठा ग्रह है। इसमें लाल रंग का विशाल धब्बा है, जिसे रेड स्पॉट नाम दिया गया है। यह विशाल धब्बा बादलनुमा होने के कारण कई सदियों से बना हुआ है।

सौर परिवार का सबसे बड़ा ग्रह
बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा गैसीय ग्रह है। सूर्य से दूरी के लिहाज से यह पांचवा ग्रह है व पृथ्वी से 11 गुना व भार में 318 गुना अधिक है। इसके छह दर्जन से अधिक उपग्रह ज्ञात हैं, जिनमें से चार बड़े उपग्रहों को दूरबीन से देखा जा सकता है। इसके वातावरण में हाइड्रोजन व हीलियम की प्रधानता है।

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