उत्तराखंड के देहरादून व ऊधमसिंहनगर में स्थायी लोक अदालत जल्द
उत्तराखंड में अब स्थायी लोक अदालत अस्तित्व में आएंगी। जनोपयोगी सेवाएं न मिलने पर पब्लिक इन अदालतों में वाद दायर कर सकती है।
नैनीताल, [किशोर जोशी]: उत्तराखंड में अब स्थायी लोक अदालत अस्तित्व में आएंगी। इन अदालतों में बिजली, पानी, स्वास्थ्य, संचार, शिक्षा, बैंक, डाक समेत अन्य जनोपयोगी सेवाओं तथा बीमा, मोटर दुर्घटना से संबंधित मामलों का निपटारा किया जाएगा।
जनोपयोगी सेवाएं न मिलने पर पब्लिक इन अदालतों में वाद दायर कर सकती है। दोनों पक्षों में सुलह समझौते के आधार पर होने वाले फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती।
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राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने देहरादून व ऊधमसिंह नगर में स्थायी लोक अदालत का प्रस्ताव भेजा था। राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार व केंद्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने हरी झंडी दे दी। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम-1987 की धारा-22 के अंतर्गत इन अदालतों का गठन किया जा रहा है।
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रिटायर जजों की होगी नियुक्ति
स्थायी लोक अदालत में एक अध्यक्ष व दो सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। रिटायर न्यायिक अधिकारी अध्यक्ष पद पर नियुक्त होंगे, जबकि सदस्य प्रतिनियुक्ति पर तैनात किए जाएंगे। न्यायिक अधिकारी अधिकतम 65 साल तक चेयरमैन बन सकेंगे।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बुधवार को लोक अदालत के चेयरमैन के दो व सदस्य के चार पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी कर दी। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रशांत जोशी के अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्थायी लोक अदालतें अस्तित्व में आ जाएंगी।
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पांच और अदालतों के प्रस्ताव विचाराधीन
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अंतर्गत पांच और स्थायी लोक अदालतों के गठन का प्रस्ताव हैं। यह प्रस्ताव प्राधिकरण से भेजे गए हैं, जो राज्य सरकार के स्तर पर विचाराधीन हैं।
प्राधिकरण सूत्रों के अनुसार फिलहाल कुमाऊं से संबंधित मामले ऊधमसिंह नगर व गढ़वाल के देहरादून में निस्तारित होंगे। जानकारों के अनुसार स्थायी लोक अदालत अस्तित्व में आने के बाद जनता से जुड़ी समस्याओं की अनदेखी करने वाले सरकारी अधिकारी-कर्मचारी की जवाबदेही बढ़ जाएगी, अन्यथा उसे अदालत में जवाब देना होगा।
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