हाई कोर्ट में आते ही सुलझ गया चमोली में सड़क का मामला
वन भूमि हस्तांतरण के पेच में फंसी सड़क का मामला हाई कोर्ट पहुंचते ही सुलझ गया। याचिका कोर्ट में दाखिल होते ही वन विभाग ने लोनिवि को वन भूमि पर सड़क बनाने की अनुमति दे दी।
नैनीताल, [जेएनएन]: वन भूमि हस्तांतरण के पेच में फंसी सड़क का मामला हाई कोर्ट पहुंचते ही सुलझ गया। याचिका कोर्ट में दाखिल होते ही वन विभाग ने लोनिवि को वन भूमि पर सड़क बनाने की अनुमति दे दी।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसेफ व न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश पारित किए।
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इस मामले से साफ हो गया है कि राज्य के चंद महकमे जन सुविधाएं विकसित करने में तकनीकी पेच की आड़ लेकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो हाई कोर्ट के सख्त रुख के बाद चंद दिनों में छह साल से लंबित सड़क निर्माण की बाधाएं साफ नहीं हो जाती।
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इस संबंध में चमोली निवासी चंदन सिंह नेगी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें उनका कहना था कि थाला बैंड से मोटर मार्ग बनाया जाना था। लोनिवि ने एक किमी सड़क निर्माण के बाद काम इसलिए बंद कर दिया कि वन भूमि आ रही है। याचिका में सड़क निर्माण न होने से ग्रामीणों को हो रही दिक्कतों का हवाला दिया गया था। इस पर कोर्ट से सड़क निर्माण की गुहार लगाई गई।
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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को मामले में स्थिति साफ करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद लोनिवि व वन विभाग में खलबली मची तो आनन फानन में पत्रावलियां तैयार की गईं और क्लीयरेंस भी मिल गई।
खंडपीठ के समक्ष सरकार की ओर से बताया गया कि वन विभाग ने सड़क निर्माण की अनुमति प्रदान कर दी है। इसके बाद कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।
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