340 किमी प्रति मिनट की रफ्तार से धरती के करीब से गुजरा यह पिंड, जानिए
बुधवार शाम को धरती के बेहद करीब से पर्वतनुमा लघुग्रह 2014 जेओ-25 गुजरा। इसकी रफ्तार करीब 340 किमी प्रति मिनट थी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 23 Apr 2017 06:00 AM (IST)
नैनीताल, [रमेश चंद्रा]: पर्वतनुमा लघुग्रह 2014 जेओ-25 बुधवार शाम को धरती के बेहद करीब से गुजरा। करीब 340 किमी प्रति मिनट की रफ्तार वाला यह पिंड धरती से महज करीब 18 लाख किमी की दूरी पर था। इस तरह के किसी भी एस्ट्रॉयड यानी पिंड का धरती के करीब आना काफी चिंताजनक माना जाता है। यही वजह थी कि दुनियाभर के वैज्ञानिकों की निगाहें इस पर टिकी थी। अब वैज्ञानिकों ने इस खगोलीय घटना का गहन अध्ययन शुरू कर दिया है।
नैनीताल स्थित आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान(एरीज) के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि इस खगोलीय घटना पर वैज्ञानिकों की नजरें जमी हुई थी। यह नियर अर्थ ऑब्जेक्ट है व इसका आकार लगभग 650 मीटर है। मूंगफली की तरह दिखने वाला यह चट्टानी पिंड बुधवार शाम तय समय छह बजे धरती के नजदीक से गुजरा। दुनिया की कई अंतरिक्ष वेदशालाओं ने राडार व दूरबीनों से इसका अध्ययन किया गया। गहन अध्ययन के बाद कई खगोलीय जानकारियां मिल सकेंगी। अब यह पिंड करीब दो हजार साल बाद गुजरेगा। वहीं अब अगला विशालकाय एस्ट्रॉयड 2027 में धरती के करीब से गुजरेगा। इसका नाम 1999 एएन 10 है। यह लगभग 800 मीटर का है। जब यह धरती के नजदीक से गुजरेगा तो यह धरती से महज चार लाख किमी दूर रहेगा। इतनी ही दूरी पृथ्वी व चंद्रमा के बीच भी है। हालांकि इसके धरती से टकराने की आशंका से वैज्ञानिक इन्कार करते हैं।
इन्हीं पिंडों ने किया डायनासोर का अंतअंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार धरती को सबसे बड़ा खतरा सौर मंडल में बेखौफ मंडराते इन्हीं चटटनी पिंडों यानी एस्ट्रॉयड से है। पूर्व में इनकी तबाही के कई निशान धरती समेत चंद्रमा पर देखने को मिलते हैं। डायनासोर जैसे विशाल आकार के जीवों के खात्मे के पीछे भी इन्हीं पिंडों को वजह माना जाता है।
ये चट्टानी पत्थर कूपर बेल्ट का विशाल हिस्सा हैं व हमारे सौर मंडल के निर्माण के दौरान के अवशेष हैं। मंगल या बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण वे धरती व अन्य ग्रहों के नजदीक आते रहते हैं और कभी बार टकरा भी जाते हैं। मैक्सिको की खाड़ी इसी के टकराने से बनी है। किसी बड़े आकार के पिंड के धरती से टकराने के कारण ही डायनासोर का अंत हुआ था। यह भी पढ़ें: इन दिनों धरती के साथ सूर्य पर भी बढ़ गई है तपिशयह भी पढ़ें: कई देशों के वैज्ञानिक मिलकर करेंगे अदृश्य ग्रह की तलाशयह भी पढ़ें: अब छिपे नहीं रहेंगे बृहस्पति ग्रह के राज, जूनो अंतरिक्ष यान बताएगा वहां के हाल
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