यह वृद्ध संवार रहा इस तालाब को, आसपास उगा दिया पूरा जंगल
भीमताल ब्लॉक की ग्रामसभा भक्त्यूड़ा निवासी हरेंद्र सिंह सतवाल ने वर्ष 1955 से नल-दमयंती झील के संरक्षण का बीड़ा उठाया। उनकी मेहनत का परिणाम यह है कि यहां जंगल उग आया है।
भीमताल, [राकेश सनवाल]: नैनीताल जिले के भीमताल से मात्र पांच किमी की दूरी पर स्थित नल-दमयंती ताल चारों और घने जंगल से घिरा हुआ है। झील के चारों ओर की सफाई भी देखते ही बनती है। लेकिन, यह व्यवस्था सदा से ऐसी नहीं थी। यह संभव हो सका 81 वर्षीय हरेंद्र सिंह सतवाल की ललक से।
झील को साफ रखने में उनकी निगहबानी और स्वयं सफाई कार्य उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। पर्यावरण के प्रति सजगता के चलते भक्त्यूड़ा ग्रामसभा में सतवाल ने अपनी एक हेक्टेयर निजी भूमि में अच्छा-खासा जंगल भी उगा दिया।
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भीमताल ब्लॉक की ग्रामसभा भक्त्यूड़ा में 12 जुलाई 1936 को जन्मे हरेंद्र सिंह सतवाल ने वर्ष 1955 से नल-दमयंती झील के संरक्षण का बीड़ा उठाया। धार्मिक मान्यता वाली झील के किनारे जल देवी के मंदिर में मौनी बाबा से प्रेरणा लेकर उन्होंने झील के किनारे 50 हजार से अधिक पौधे रोपे।
मौनी बाबा ने वर्ष 1908 से लेकर 1928 तक विभिन्न स्थानों पर 11 मंदिरों की स्थापना की थी और सतवाल को बाल्यकाल में ही पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया। लगभग 12 वर्ष पूर्व हिमालयन शोध संस्थान कटारमल से प्रशिक्षण लेकर उन्होंने शोध संस्थान के सहयोग से पूरे क्षेत्र में बांज, बुरांश, कन्नौव, क्वराव, बेकू आदि के 50 हजार से अधिक पौधे रोपे।
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यही नहीं कुमाऊं मंडल विकास निगम ने जब कुमाऊं में चाय के बागान लगाने का फैसला लिया, तो नल-दमयंती ताल के किनारे ही सतवाल की देखरेख में 19 लाख चाय के पौधे तैयार किये गये। इसके बाद कौसानी आदि क्षेत्रों में इन्हीं पौधों का रोपण किया गया। उनकी सजगता के कारण आज झील के चारों और हरियाली देखते ही बनती है।
सहयोग को आगे आए ग्रामीण
काश्तकारी करने वाले हरेंद्र सिंह सतवाल अपने संसाधनों से आज तक नल-दमयंती झील का संरक्षण करते आये हैं। उनकी मुहिम में लगभग पूरी ग्रामसभा सहयोग करती है। महिलाओं और क्षेत्र के लोगों को पर्यावरण के प्रति सजग करना तो उनके शौक में शामिल है ही, कभी-कभी ग्रामीणों के साथ पूरे क्षेत्र में सफाई अभियान भी चलाते हैं।
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वृद्ध होने के बावजूद आज तक वृद्धावस्था पेंशन नहीं लेने वाले सतवाल योग एवं व्यायाम के प्रति भी युवकों को प्रेरित करते हैं। लोग भी सतवाल की बात मानते हैं। पर्यावरण में दखल का अंदेशा होते ही पूरी ग्रामसभा सतवाल की एक आवाज पर एकत्र हो जाती है।
सतवाल नल-दमंती ताल से लगातार हो रहे रिसाव से खासे खिन्न हैं। बताते हैं कि लगभग आठ फीट गहरी इस झील के किनारे से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। इससे झील की मछलियां भी बह गई हैं।
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