उत्तराखंड: कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को हाई कोर्ट से झटका, याचिका खारिज
कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के स्पीकर के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकलपीठ ने खारिज कर दिया।
नैनीताल। राज्य में फ्लोर टेस्ट से पहले हाई कोर्ट से कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को बड़ा झटका मिला। जास्टिस यूसी ध्यानी की एकलपीट ने स्पीकर के इन विधायकों को विधानसभा सदस्यता से बर्खास्त संबंधित आदेश को संवैधानिक करार दिया है। वहीं, हरीश रावत के घर के बाहर जश्न का महौल है। कांग्रेसी हरीश रावत के समर्थन में नारे लगा रहे हैं। उधर, भाजपा खेमे में मायूसी है।
गौरतलब है कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 18 मार्च को विनियोग विधेयक के खिलाफ कांग्रेस के नौ विधायक बगावत कर भाजपा खेमे के साथ खड़े हो गए। उन्होंने स्पीकर से विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की मांग की थी। उसी रात को वे भाजपा विधायकों के साथ राज्यपाल से भी मिले। वहीं उनके साथ चार्टेड विमान से दिल्ली को रवाना हुए। इस पर कांग्रेस की याचिका पर स्पीकर ने 27 मार्च को इन नौ बागी विधायकों की सदस्यता रद कर दी।
कांग्रेस के बागी विधायक सुबोध उनियाल, कुंवर प्रणव चैंपियन, विजय बहुगुणा, डॉ. हरक सिंह रावत, शैलारानी रावत, डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल, अमृता रावत, प्रदीप बत्रा, उमेश शर्मा काऊ ने हाई कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कर स्पीकर द्वारा सदस्यता समाप्त किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी।
मोदीजी और अमित शाह को सीख लेने की जरूरत: हरीश रावत
कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की याचिका हाई कोर्ट में खारिज होने पर निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय है। यह संविधान की आत्मा के कातिलों को स्पष्ट संदेश है। दल बदल विरोधी कानून से ही लोकतंत्र बचेगा। मोदीजी और अमित शाह को इससे सीख लेने की जरूरत है।
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