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केदारनाथ में हिम तेंदुओं के इलाकों में मिले बाघ के प्रमाण

केदारनाथ वन प्रभाग ने इस बात की पुष्टि की है कि केदारनाथ की पहाडि़यां जो हिम तेंदुओं का इलाका है, वहां बाघ होने के प्रमाण मिले हैं।

By gaurav kalaEdited By: Updated: Mon, 08 Aug 2016 07:00 AM (IST)
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रुद्रप्रयाग, [बृजेश भट्ट]: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं के इलाकों में बाघों ने बसेरा बनाया है। छह माह पहले अस्कोट सेंचुरी में 13500 फुट की ऊंचाई बाघ की मौजूदगी के पुख्ता प्रमाण मिलने के बाद और अब केदारनाथ में भी बाघ की मौजूदगी मिली है।
वहां करीब 14 हजार फुट की ऊंचाई पर कापनी ताल में लगाए गए कैमरे में बाघ की तस्वीर कैद हुई है। इससे वन विभाग के अधिकारी भी हैरान हैं, लेकिन साथ ही कहते हैं कि यह असंभव भी नहीं है। केदारनाथ में मिली तस्वीरों को अध्ययन के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान भेजा जा रहा है।

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केदारनाथ वन प्रभाग और उससे लगे इलाकों में बाघ देखे जाने की बातें किस्से कहानियों के रूप में अक्सर सुनने को मिलती रही हैं। यह वह क्षेत्र है, जहां हिम तेंदुओं की मौजूदगी है। दिसंबर 2012 से अगस्त 2015 तक केदारनाथ के डीएफओ रहे आकाश वर्मा के मुताबिक तब भी वहां लोग यही बताते थे कि इलाके में बाघ जैसा बड़ा जानवर है। तब खोजबीन की गई तो कुछ स्थानों पर तेंदुए के पंजों से बड़े पंजों के निशान पाए गए।

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इससे अंदाजा लगाया गया कि यहां बाघ की मौजूदगी हो सकती है। हालांकि, कई जगह कैमरे भी लगाए गए, लेकिन इनकी तस्वीर कैद नहीं हुई। अब 11500 फुट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ से भी 3500 फुट अधिक ऊंचाई पर कापनी ताल में वन विभाग द्वारा लगाए गए कैमरे में बाघ की तस्वीर कैद हुई है।
केदारनाथ वन प्रभाग की डीएफओ नीतूलक्ष्मी ने इसकी पुष्टि की है। रुद्रप्रयाग के डीएफओ राजीव धीमान के अनुसार उच हिमालयी क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी को लेकर अध्ययन शुरू कर दिया गया है। पहली बार शिवालिक पर्वतमाला में बाघ ने मौजूदगी दर्ज कराई है।

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नैनीताल की 2200 मीटर ऊंची पहाड़ियों में वन विभाग के कैमरा ट्रैप में कई बाघ कैद हुए हैं। वन्य जीव विशेषज्ञ अब तक यहीं मानते रहे हैं कि बाघ तराई के जंगलों में ही पाए जाते हैं। बाघ की वासस्थली अधिकतम एक हजार से बारह सौ मीटर की ऊंचाई पर ही हैं, लेकिन अब कैमरा ट्रैप के बाद यह मिथक टूट गया है।

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