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कैशलेस ट्रांजेक्शन आदत बनने में लगेगा समय

नोटबंदी को एक साल पूरे होने के बाद भी कैशलेस ट्रांजेक्शन रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल नहीं हो सका है। व्यापारियों का कहना है कि इसे समझने और कैशलेस को अपनाने में समय लगेगा।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 07 Nov 2017 10:54 PM (IST)
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कैशलेस ट्रांजेक्शन आदत बनने में लगेगा समय
नई टिहरी, [जेएनएन]: नोटबंदी को एक साल पूरे होने के बाद भी कैशलेस ट्रांजेक्शन रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल नहीं हो सका है। बाजारों से लेकर अस्पताल और सरकारी विभागों में अभी तक नकदी रकम से ही काम हो रहे हैं। वहीं व्यापारियों का इस संबंध में कहना है कि अभी लोगों को इसे समझने और कैशलेस को अपनाने में समय लगेगा। 

केंद्र सरकार का नोटबंदी को लागू करने का फैसला कैशलेस ट्रांसजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए था, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी कैशलेस ट्रांजकेक्शन अभी तक लोगों की जिंदगी का हिस्सा नहीं बन पाया है। आज भी बाजार, अस्पताल और दुकानों में नकदी का ही चलन चल रहा है। खासतौर पर पहाड़ों में कैशलेस ट्रांजेक्शन अभी दूर की कौड़ी है। सरकारी अस्पताल की बात करें तो अभी भी वहां पर ओडीपी की पर्ची से लेकर अन्य टेस्ट के लिए कैश रुपये ही लिए जा रहे हैं। 

इसी तरह सरकारी विभागों में भी कैशलेस ट्रांजेक्शन किया जा रहा है। हालांकि बिजली और पानी का बिल ऑनलाइन भरने की सुविधा पहले से ही दी जा रही है। स्कूलों में भी ऐडमिशन फीस नकद ही जमा कराई जा रही है। महीने की फीस बैंक में जमा कराई जाती है। इसी तरह बाजारों में दुकानों में भी कैशलेस ट्रांजेक्शन अभी लोगों की आदत में शुमार नहीं हो पाया है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि पहाड़ में कैशलेस का प्रचलन होने में अभी समय लगेगा। लोगों को इसके फायदे बताने के लिए जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है।

वहीं इस संबंध में बैंक आफ महाराष्ट्र के प्रबंधक कमल सिंह बिष्ट का कहना है कि कैशलेस अभी बड़े शहर और बड़ी दुकानों में पूरी तरह से चलन में है। स्थानीय स्तर पर छोटे बाजारों में इसे आदत बनने में कुछ समय लगेगा। कैशलेस ट्रांजेक्शन से लोगों को ही फायदा है। 

नई टिहरी के स्थानीय व्यापारी भगवती प्रसाद भट्ट का कहना है कि अभी ग्राहकों को कैशलेस के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। इस वजह से इसका चलन नहीं है। अभी नकद ही लोग सामान आदि खरीद कर ले जाते हैं। 

स्थानीय व्यापारी विजय सिंह रावत का कहना है कि लोग अभी सामान को नकद ही खरीद कर ले जाते हैं। हालांकि कुछ लोग डेबिट कार्ड का प्रयोग करते हैं। ऐसे लोगों की संख्या अभी कम है। इसे आदत बनने में अभी समय लगेगा। 

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