यहां गिरा था देवी सती का कुंज भाग, मां के दर्शन से होती मनोकामना पूरी
टिहरी जिले के हिंडोलाखाल क्षेत्र में कुंजापुरी सिद्धपीठ स्थित है। शारदीय नवरात्र में यहां पर आठ दिन का विशाल मेला आयोजित होता है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 22 Sep 2017 04:00 AM (IST)
टिहरी, [जेएनएन]: टिहरी जनपद के नरेंद्रनगर ब्लॉक में छह हजार फीट की ऊंचाई पर कुंजापुरी सिद्धपीठ स्थित है। बताया जाता है कि इस स्थान पर सती का कुंज भाग गिरा था, जिस कारण इस स्थान का नाम कुंजापुरी पड़ा। स्कंदपुराण के तहत केदारखंड व देवी भागवत के अनुसार कनखल हरिद्वार गंगा तट पर दक्ष प्रजापति के यज्ञ में शिवजी को आमंत्रित नहीं किया था, लेकिन सती बिना बुलाए ही यज्ञ में भाग लेने चली गई। इस दौरान सती को यह पर सम्मान न मिलने से नाराज होने पर सती हवन यज्ञ में कूद गई। जब शिव को यह पता चला तो शिव कनखल पहुंचे और त्रिशूल पर सती के शव को लेकर हिमालय की ओर निकले। बताया जाता है कि इस स्थान पर सती का कुंज भाग गिरा था, जिस कारण इस स्थान का नाम कुंजापुरी पड़ा। विशेष बात ये है कि कुंजापुरी मंदिर में भंडारी राजपूत पुजारी होते हैं।
महातम्ययह प्रसिद्ध सिद्धपीठों में एक माना जाता है। मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां पर नवरात्र में श्रद्धालु रात्रि जागरण भी करते हैं जिससे उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। शारदीय नवरात्र में यहां पर आठ दिन का विशाल मेला आयोजित होता है। इस मेले में बड़ी संख्या में लोग यहां पर पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। मेले के अतिरिक्त पूरे साल भर यहां पर सुबह और शाम माता की पूजा की जाती है।
ऐसे पहुंचे मंदिरइस सिद्धपीठ तक पहुंचने के लिए ऋषिकेश से करीब 23 किमी की दूरी सड़क मार्ग से तय कर हिंडोलाखाल तक पहुंचा जाता है। सात किमी की दूरी सड़क मार्ग से तय कर मंदिर के पास तक पहुंचा जाता है। यहां से मंदिर तक छोटे वाहनों की सुविधा है। इसके बाद मंदिर तक पहुंचने के लिए 312 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यहां के लिए देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे से सबसे नजदीकी हवाई सेवा है। मंदिर के नजदीक तक यहां छोटे वाहनों की सुविधा है। इसलिए यात्रियों को यहां पैदल नहीं चलना पड़ता है। सिद्धपीठ ऋषिकेश-चंबा राजमार्ग के मध्य मे पड़ता है।
कुंजापुरी के पुजारी राजेंद्र सिंह भंडारी का कहना है कि सिद्धपीठ में वर्ष भर लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए पूजा करने आते हैं। लेकिन शारदीय नवरात्र की दौरान यहां सिद्धपीठ में पूजा-पाठ विशेष फलदायी होता है। इस दौरान यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है।
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