उत्तराखंड में नेताओं को सबक सिखाएगी 68 ग्राम पंचायतें
मोरी में 68 ग्राम पंचायतों की महापंचायत में फैसला किया गया कि वे सियासी दलों को सबक सिखाएंगे और इसके तहत विधानसभा चुनाव में अपना अलग प्रत्याशी उतारेंगे।
पुरोला, उत्तरकाशी [जेएनएन]: चुनावी बेला में एक ओर हुंकार भरते सियासी दल मोर्चा बांधने लगे हैं तो दूसरी ओर मतदाताओं ने भी हिसाब मांगना शुरू कर दिया है। मोरी में 68 ग्राम पंचायतों की महापंचायत में फैसला किया गया कि वे अब और उपेक्षा सहने को तैयार नहीं है। इसीलिए वे सियासी दलों को सबक सिखाएंगे और इसके तहत विधानसभा चुनाव में अपना अलग प्रत्याशी उतारेंगे। उपस्थित इन गांवों के प्रतिनिधियों ने बाकायदा देव डांगरा (फरसा) के सामने एकता का संकल्प भी लिया।
पुरोला विधानसभा क्षेत्र के इन ग्राम पंचायतों में करीब 25 हजार मतदाता हैं। महापंचायत में मौजूद आराकोट गांव की पूर्व जिला पंचायत सदस्य परमेश्वरी देवी ने बताया कि महापंचायत में 350 से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद थे।
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महापंचायत में राजनीतिक दलों से मिले आश्वासन पूरे न होने का दर्द छलक उठा। वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड बनने के 16 वर्ष बाद भी डेढ़ दर्जन गांव में बिजली नहीं पहुंची। 14 गांव के लोग आज भी 12 से 25 किमी पैदल चलने को मजबूर है। शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी उन्हें जूझना पड़ रहा है। वक्ताओं ने कहा कि लंबे समय से उन्हें वोट के नाम पर छला जा रहा है।
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महापंचायत में निर्णय लिया गया कि 27 नवंबर को जखोल, आराकोट, नैटवाड व दौणी न्याय पंचायत के सभी जनप्रतिनिधि महासु देवता, पोखु महाराज, सोमेश्वर महाराज व कर्ण महाराज के देव निशानों की शपथ लेकर एकता का संकल्प लेंगे।
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इस अवसर पर राजमोहन रांगड, राजपाल सिंह, भगवान सिंह, बलवीर सिंह रावत, चंद्रमणी, बचन पंवार, गुलाब सिंह, शिव सिंह रावत, जयराम चौहान, मोहनलाल भूराटा सहित कई मौजूद थे।
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