भारत-चीन सीमा पर ताजा की यादें, बजा ढोल और थिरके कदम...
भोटिया व जाड़ समुदाय के लोग ढोल दमाऊ के साथ देवी- देवताओं की डोली लेकर भारत-चीन सीमा पर स्थित जादूंग गांव पहुंचे और पुरानी यादें ताजा की।
By sunil negiEdited By: Updated: Tue, 14 Jun 2016 01:59 PM (IST)
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: भोटिया व जाड़ समुदाय के लोग ढोल दमाऊ के साथ देवी- देवताओं की डोली लेकर भारत-चीन सीमा पर स्थित जादूंग गांव पहुंचे। वहां पर महिलाओं व पुरुषों ने पांडव चौक में रांसो-तांदी नृत्य प्रस्तुत किया। साथ ही लाल देवता व चैन देवता की विधि विधान से पूजा अर्चना की। इस दौरान सीमा पर तैनात आइटीबीपी के जवान भी पूजा-अर्चना में शामिल हुए।
पढ़ें:-बदरीनाथ और केदारनाथ में श्रद्धालुओं का आंकड़ा पहुंचा 5.86 लाखभारत चीन युद्ध के दौरान जादूंग, नेलांग व कारछा गांव से रह रहे भोटिया व जाड़ समुदाय के ग्रामीणों को हटाया गया था। तब ये ग्रामीण बगोरी, डुंडा व हर्षिल आ गए थे, लेकिन इनके स्थानीय देवता आज भी वहीं हैं। हर वर्ष ये ग्रामीण देवताओं की पूजा के लिए जाते हैं। पढ़ें:-हर-हर महादेव की गूंज के साथ मानसरोवर यात्रियों का दल सिरका को रवाना
बीते रोज सोमेश्वर, रिंगाली देवी की डोली लेकर जादूंग पहुंचे। वहां ग्रामीणों ने पहले नेलांग में लाल देवता की पूजा। इसके बाद जादूंग में लाल देवता व चैन देवता की विधि विधान से पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद महिला-पुरुषों ने देवता की डोली के साथ रांसो-तांदी नृत्य किया। साथ ही पौराणिक गीत भी गए। पढ़ें:-केदारनाथ मंदिर इतने सौ सालों तक दबा रहा बर्फ के अंदर, जानने के लिए पढ़ें...
पूजा-अर्चना समापन होने के बाद ग्रामीणों ने हलवा-पूरी को प्रसाद बांटा। शाम होते ही नेलांग घाटी से वापस बगोरी गांव लौटे। ग्रामीणों के साथ कई पर्यटक भी जादूंग पहुंचे थे। ट्रैकिंग संचालक तिलक सोनी ने बताया कि जादूंग बेहद ही खूबसूरत स्थान है। यहां नदी, झरने, ट्रांस हिमालय की खूबसूरत पहाड़ियां हैं। पर्यटक बड़ी संख्या में आना चाहते हैं। इस दौरान देव पूजन कार्यक्रम में बगोरी के पूर्व प्रधान नारायण सिंह, कृपाल सिंह, ईश्वर सिंह आदि मौजूद थे। पढ़ें:-गंगोत्री स्थित सूर्यकुंड में दिया था भगीरथ ने सूर्य को अर्घ्य
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