गंगोत्री से गोमुख के बीच अप्रैल में ही बर्फ हो गई गायब
मौसम में आए बदलाव का असर ग्लेश्यिरों पर भी पड़ने लगा है। गंगोत्री से लेकर गोमुख तक 18 किलोमीटर के ट्रैक में नाममात्र की बर्फ रह गई है।
उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: मौसम में आए बदलाव का असर ग्लेश्यिरों पर भी पड़ने लगा है। गोमुख ट्रैक से लौटे पर्यटकों के पहले दल ने दावा किया कि गंगोत्री से लेकर गोमुख तक 18 किलोमीटर के ट्रैक में उन्हें नाममात्र की बर्फ ही देखने को मिली। वही, पिछले साल इस रास्ते में कम से कम चार हिमखंड देखने को मिलते थे।
15 अप्रैल को गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट खुलने पर गोमुख गए पर्यटकों के तीन दल में से एक दल उत्तरकाशी लौट आया। नौ लोगों के इस दल के टीम लीडर एवरेस्ट विजेता विष्णु सेमवाल ने बताया कि वह बीते 15 साल से नियमिततौर पर यहां ट्रैकिंग कर रहे हैं, लेकिन पहली बार उन्हें ऐसा नजारा देखने को मिला है।
उन्होंने बताया कि गंगोत्री से 14 किलोमीटर दूर भोजबासा तक रास्ते में केवल पहाड़ियों पर थोड़ी बर्फ देखने को मिली। इतना ही नहीं यहां से तपोवन तक भी बिना किसी परेशानी के पहुंचा जा सकता है। पिछले साल तक रास्ते में आए हिमखंडों को पार करते हुए पर्यटक रोमांच महसूस करते थे। इस बार चीड़बासा के पास एक स्थान पर रास्ते के किनारे उन्हें हल्की बर्फ मिली।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह गोमुख क्षेत्र में अधिकतम तापमान सात से 14 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा। यहां तक कि सोमवार को भी अधिकतम तापमान 14 डिग्री और न्यूनतम 11 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। एवरेस्ट विजेता विष्ण सेमवाल कहते हैं कि 'मध्य अप्रैल में इस इलाके का अधिकतम तापमान आमतौर पर चार से सात डिग्री के बीच रहना चाहिए।
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि इस बार अप्रैल में इन दिनों तापमान सामान्य से चार से सात डिग्री ज्यादा है। शायद यही वजह है कि बर्फ जल्दी पिघल गई। हालांकि उन्होंने कहा कि मौसम में आया यह बदलाव असामान्य नहीं है।
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