यमुनोत्री हाईवे पर पहाड़ी से लगातार हो रही पत्थरों की बरसात
पिछले एक सप्ताह से शुरू हुआ यमुनोत्री हाईवे पर पत्थर गिरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। भू वैज्ञानिकों के मुताबिक अब दस दिन से लेकर एक माह तक पहाड़ी से पत्थर गिरेंगे।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: यमुनोत्री हाईवे पर ओजरी के पास पिछले सोमवार से शुरू हुई पत्थरों की बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। धाम के पास दरक रही पहाड़ी को लेकर भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) के वैज्ञानिकों ने प्रशासन को सर्वेक्षण की प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार यह सिलसिला थमने में 10 दिन से लेकर डेढ़ माह तक का वक्त लग सकता है। इससे प्रशासन की उलझन बढ़ गई है।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि अब प्रशासन हाईवे पर यातायात सुचारु करने के लिए दो विकल्पों पर विचार कर रहा है। उन्होंने बताया कि जल्द तय किया जाएगा कि कौन सा विकल्प उचित रहेगा।
यमुनोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव बड़कोट के निकट पहाड़ी से गिर रहे मलबे के कारण हाईवे पूरी तरह से बंद है। 11 सितंबर से दरक रही पहाड़ी पर यह सिलसिला अभी भी जारी है। शनिवार को जीएसआइ के निदेशक दीपेन्द्र ङ्क्षसह के नेतृत्व में पहुंची तीन सदस्यीय टीम ने मौके का जायजा लिया। प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट में भू-वैज्ञानिकों ने कहा है कि कभी इस पहाड़ पर ग्लेश्यिर रहा होगा, जिससे यहां मिट्टी और पत्थर काफी लूज हैं।
उन्होंने बताया कि भूस्खलन से 2500 वर्ग मीटर का क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। यहां आसपास आबादी तो नहीं है, लेकिन कृषि भूमि को नुकसान पहुंच रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार पहाड़ पर तीन स्थानों से भूस्खलन हो रहा है।
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को रुकने में 10 दिन से लेकर डेढ़ माह का समय लग सकता है, लेकिन काफी कुछ मौसम पर निर्भर करेगा। टीम विस्तृत रिपोर्ट देगी प्रशासन को सौंप देगी।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन दो विकल्पों पर विचार कर रहा है। पहले विकल्प के अनुसार यमुना नदी पर वैली ब्रिज बनाने के साथ ही पांच किलोमीटर सड़क बनाकर मुख्य मार्ग से जोड़ा जाए। दूसरा विकल्प यमुना नदी के किनारे से डेढ़ किलोमीटर नया मार्ग बनाकर मुख्य मार्ग से जोड़ा जाए, लेकिन इसमें पहाड़ी की ओर सड़क किनारे सुरक्षा जाल भी लगाना पड़ेगा, जिससे भूस्खलन के मलबे से यात्री सुरक्षित रहें।
उन्होंने कहा कि इस कार्य में करीब माह भर का समय लग सकता है। वैज्ञानिकों की विस्तृत रिपोर्ट मिलने पर ही तय किया जाएगा कौन सा विकल्प ठीक है। कहा कि इसके अलावा बड़कोट से पांच किलोमीटर दूर गंगनानी से लेकर यमुनोत्री के अंतिम पड़ाव खरसाली तक हेली सेवा शुरू करने के लिए भी शासन को पत्र भेजा गया है।
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