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सरकार ने मुंह फेरा तो स्कूल जाने को छात्रों ने बनाई पुलिया

असी गंगा घाटी के ग्रामीणों की जब सरकार ने नहीं सुनी तो छात्रों ने चार घंटे में ही स्कूल जाने के लिए पुलिया तैयार कर दी। इससे पहले बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे थे।

By BhanuEdited By: Updated: Mon, 09 Oct 2017 10:52 PM (IST)
सरकार ने मुंह फेरा तो स्कूल जाने को छात्रों ने बनाई पुलिया

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: असी गंगा घाटी के गजोली के पास गजोली गाड पर तंत्र ने जब चार साल में एक पुल नहीं बनाया तो स्कूली नौनिहालों ने अभिभावकों के साथ मिलकर चार घंटे में एक अस्थायी पुलिया तैयार कर दी। यह पुलिया गजोली व नौगांव को इंटर कॉलेज भंकोली को जोड़ती है। इन दोनों गांवों के 45 छात्र-छात्राएं राइंका भंकोली में पड़ते हैं। अभी तक ये छात्र एक जर्जर पुलिया से जान को जोखिम में डाल कर गजोली गाड को पार कर रहे थे।

असी गंगा घाटी के गजोली व नौगांव में इंटर कॉलेज नहीं हैं। ऐसे में इन दिनों गांव के नौनिहालों को तीन किलोमीटर दूर इंटर कॉलेज भंकोली जाना पड़ता है। वर्तमान में इन दोनों गांवों के 45 छात्र-छात्राएं भंकोली इंटर कॉलेज में अध्ययनरत हैं। लेकिन, इन नौनिहालों को घर से स्कूल और स्कूल घर आने-जाने के दौरान जान जोखिम में डालनी पड़ती है। 

वर्ष 2013 से पहले यहां गजोली गाड के पास एक आरसीसी की पुलिया थी। जो आपदा में बह गई, लेकिन उसके बाद यहां कोई पुलिया नहीं बनाई गई। अस्थाई व्यवस्था के लिए ग्रामीणों ने एक कच्चा पुल तैयार किया था। पर, वह भी बुरी तरह से टूट गया। 

इधर नौनिहालों के सामने जर्जर पुल से स्कूल जाने की मजबूरी थी। जब पुल बुरी तरह से जर्जर हो गया तो गजोली के करीब दस छात्रों ने अभिभावकों से मिलकर दूसरे स्थान पर एक अस्थाई पुलिया बनाई। इस पुलिया को बनाने में छात्रों तथा अभिभावकों को चार घंटे का समय लगा। 

इंटर में पढ़ने वाले छात्र हरीश खंडूड़ी ने बताया कि जो पुराना अस्थायी पुल तो उसकी स्थित पूरी तरह से खराब हो चुकी है। इसी कारण उन्हें अवकाश के दिन श्रमदान करके दूसरे स्थान पर एक लकड़ी की पुलिया बनाई। गजोली गांव के प्रधान शंकर खंडूड़ी बताते हैं कि पुल को टूटे हुए चार वर्ष का समय बीत चुका है, पर उसके स्थान पर प्रशासन ने पुल नहीं बनाया है।

गांव के बच्चें तथा अन्य लोगों ने गजोली गाड़ पर एक पुलिया तैयार की है। जिसको तैयार करने में छात्र हरीश खंडूड़ी, विज्ञान खंडूड़ी, प्रवीन लाल, गिरीश चंद्र, नरेश आदि छात्र शामिल थे। जबकि अभिभावकों में शूरवीर लाल, अजय बडाई, बर्फी लाल आदि थे।

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