By Edited By: Updated: Thu, 07 Nov 2013 05:07 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कालीपूजा व दीपावली के मौके पर सस्ती दर पर आलू उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। सरकार ने आलू का थोक मूल्य 11 रुपये प्रति किलो व खुदरा बाजार में 13 रुपये प्रति किलो की दर निर्धारित कर दी थी। परंतु, बंगाल में आलू को लेकर संकट बरकरार है। महानगर व पासपड़ोस के जिलों के विभिन्न बाजारों में ज्योति (आलू का एक किस्म) आलू देखने को भी नहीं मिल रहा है। कई बाजारों में सरकार की ओर से भेजे गए आलू कुछ कुछ ही देर में समाप्त हो गया। परिणामस्वरूप क्रेताओं को आलू के बिना लिए ही लौटना पड़ा। आज गड़ियाहाट बाजार में सरकारी आलू नहीं पहुंचा। जिसके चलते खुदरा आलू विक्रेता थोक साहूकार से 13 रुपये से अधिक दर पर आलू खरीदा और उस पर लाभ लेकर बेचा। कार्रवाई व नुकसान के डर से खुदरा आलू बेचने वाले दुकानदार दुकान बंद कर गायब हो गए हैं।
मुख्यमंत्री द्वार निर्धारित दर से आम लोगों को खुले बाजार में आलू मिलना चाहिए था लेकिन वह पर्व-त्यौहार के मौके पर लोगों नहीं मिला। इससे मुख्यमंत्री क्षुब्ध हुईं और उन्होंने आलू व्यवसायियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाने का निर्णय किया। उन्होंने महानगर के कुछ बाजारों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। बाजारों मे खुद घूम कर स्थिति की समीक्षा करने के बाद उन्हें पता चला कि सरकार द्वारा निर्धारित दर पर लोगों को आलू नहीं मिला। इस पर उन्होंने खेद जताया और कहा कि आलू व्यवसायियों ने उनके साथ विश्वासघात किया है। जनता को सस्ते दर पर आलू उपलब्ध कराने के वादा कर व्यवसायियों ने उसे पूरा नहीं किया। उन्होंने बाजार में कृत्रिम संकट पैदा करनेवाले व्यापारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। साथ ही कृषि विपणन विभाग की जिम्मेदारी खुद संभाल ली ताकि व्यवसायियों में भय पैदा हो सके।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने इसके पहले आलू का थोक मूल्य जब 11 रुपये प्रति किलो और खुदरा बाजार में 13 रुपये प्रति किलो निर्धारित किया तो अधिकांश आलू व्यवसायी इससे सहमत नहीं थे। हालांकि मुख्यमंत्री के समक्ष किसी ने अपनी असहमति जताने का साहस नहीं दिखाया। आलू व्यवसायियों के एक वर्ग का कहना है कि यदि सरकार दो रुपये बढ़ा कर आलू की दर निर्धारित करती तो उनका कुछ नुकसान नहीं होता। घाटा होने के लेकर व्यवसायी सरकारी दर पर बाजारों में आलू पहुंचाने में उदासीन रहे। इसलिए बाजार में आलू का संकट बना है और चारों तरफ सरकार की आलोचना होने लगी। मुख्यमंत्री को जब इसकी खबर मिली तो वह खुद बाजारों मे गई, लेकिन आलू व्यवसायी मौजूद नहीं थे। मुख्यमंत्री ने स्वीकार भी किया है कि जिन व्यवसायियों ने बाजार में आलू का कृत्रिम संकट पैदा किया वे फरार हैं। उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उनके व्यवसाय का लाइसेंस भी रद किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने 30 नवंबर तक सभी कोल्ड स्टोरेजों से आलू निकालने का निर्देश दिया है। व्यवसायी कोल्ड स्टोरेज से आलू निकलाने को तत्पर नहीं हुए तो सरकार खुद हिमघरों को खाली कराने की दिशा में कदम बढ़ाएगी। ---------------------
पार्टी स्तर से आलू बेचने को लेकर सवाल जागरण ब्यूरो, कोलकाता : आलू संकट को समाप्त करने के लिए बाजारों का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद दौरा कर रही हैं। सरकारी स्तर पर भी तत्परता बढ़ी है। बाजारों में सरकार की ओर से आलू भेज कर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश हो रही है। इन सबके बीच आलू को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। सत्तारुढ़ तृणमूल पर सरकारी दर पर आलू बेचने का आरोप लगा हैं। कुलटी के बाद वीरभूम जिले में तृणमूल पर अंगुली उठी है। गुरुवार को रामपुरहाट, बोलपुर और सिउड़ी बाजार में काउंटर खोला गया था। 13 रुपये किलो दर से आलू लेने के लिए लोगों की लाइन लगी हुई थी। सरकारी काउंटर पर सरकारी कर्मचारी को होना चाहिए था। परंतु, वह उलट था। सरकारी काउंटर पर पार्टी का झंडा लगाकर तृणमूल कर्मी आलू बेचे रहे थे। दूसरी ओर आलू को लेकर पुलिस की छापामारी भी जारी है। दक्षिण 24 परगना जिले के महेशतल्ला इलाके में पुलिस ने छापामार कर छह क्विंटल आलू जब्त किया। हालांकि, बाद में व्यवसायियों द्वारा सरकारी दर पर आलू बेचने को राजी होने पर आलू छोड़ दिया गया।
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