आखिर क्यों तैयारी के बाद भी उत्तर कोरिया पर हमले से पीछे हटे US प्रेजीडेंट
उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों को नष्ट करने के लिए अमेरिका ने पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन ऐन समय पर राष्ट्र्पति को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच दुश्मनी कभी किसी से छिपी नहीं रही है। दोनों देशों के बीच तनाव और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच कई देश उत्तर कोरिया के राजदूतों को अपने यहां से बाहर निकाल चुके हैं। मैक्सिको, स्पेन, कुवैत और पेरू के बाद अब इटली ने भी उत्तर कोरिया के राजदूत को देश निकाला दे दिया है। इटली के विदेश मंत्री का कहना है कि उनका देश अब उत्तर कोरिया से कोई कूटनीतिक रिश्ते नहीं रखेगा, हालांकि बातचीत के स्तर पर वह संबंध स्वीकार करेगा। इटली ने यह फैसला उत्तर कोरिया द्वारा किए गए सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण के बाद लिया है।
क्लिंटन ने अपनी योजना से पांव पीछे खींचे
उत्तर कोरिया से जिस तरह का खतरा आज मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मानते हैं वैसा ही खतरा 90 के दशक में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को भी था। इतना ही नहीं उस वक्त क्लिंटन ने उत्तर कोरिया पर हमला करने की पुख्ता योजना तक तैयार कर ली थी। इसको लेकर एक सिक्रेट प्लानिंग और इसकी पूरी तैयारी की जा चुकी थी। लेकिन हमले से पहले क्लिंटन ने अपनी योजना से पांव पीछे खींच लिए। यह बात इसलिए बेहद खास है क्योंकि उत्तर कोरिया को लेकर जो खतरा 1994 में था वैसा ही खतरा आज 2017 में भी बना हुआ है। हकीकत तो यह है कि उत्तर कोरिया आज पहले से कहीं अधिक घातक हो गया है।
लगातार परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा किम
2006 में किए अपने पहले परमाणु परीक्षण के बाद से ही वह लगातार अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है। ऐसे में उसकी शक्ति 1994 की तुलना में कई गुणा बढ़ गई है। उत्तर कोरिया का जिक्र करते हुए उस वक्त तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने कहा था कि उत्तर कोरिया हर वर्ष छह परमाणु हथियार बनाने की प्लानिंग कर रहा है। उन्होंने यह भी माना था कि अमेरिका उसके परमाणु सयंत्र को तबाह कर देना चाहता है। लेकिन इससे पीछे हटने की वजह भी बेहद खास थी।
जंग छिड़ी तो महज 24 घंटों में सियोल को तबाह कर देगा उत्तर कोरिया
क्लिंटन के कदम पीछे खींचने की वजह
अमेरिकी एयरफोर्स के रिटायर्ड कर्नल ने सैम गार्डनर ने इस बात का जिक्र अटलांटिक मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में भी किया था। उनका कहना था कि 1994 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भी उत्तर कोरिया के योंगबायोन रिएक्टर पर बमबारी करने की योजना बना ली थी। लेकिन, दो कारणों के चलते बिल्कुल अंतिम समय में उन्हें अपना इरादा बदलना पड़ा था। पहला कारण रेडियोएक्टिव पदार्थ के लीक होने से पड़ोसी देशों को होने वाला नुकसान था। जबकि, दूसरा उत्तर कोरिया की प्रतिक्रिया से सियोल के तबाह होने का डर था।
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पूरी दुनिया के लिए घातक है युद्धजिस वजह से क्लिंटन ने उत्तर कोरिया पर हमला करने से अपने कदम पीछे खींचे थे उसी बात को विदेश मामलों के जानकार भी मानते हैं। इन जानकारों का साफ कहना है कि इस क्षेत्र में युद्ध का होना पूरे विश्व के लिए घातक साबित हो सकता है। अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर का मानना है कि क्योंकि मौजूदा समय में उत्तर कोरिया और अमेरिका परमाणु हथियार संपन्न देश हैं ऐसे में युद्ध की स्थित बेहद खतरनाक रूप ले सकती है।
मशरूम क्लाउड की भयावहता
रक्षा विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि परमाणु या एटमी हथियारों के विस्फोट से हवा में कई किलोमीटर जो मशरूम क्लाउड बनता है, वह बेहद घातक होता है। जानकारों का कहना है कि यह मशरूम क्लाउड जिस तरह हवा का रुख होता है वहीं चला जाता है। यह हवा से ऑक्सीजन को पूरी तरह से सोख लेता है। इसके अलावा धमाके के तुरंत बाद जो शॉकवेव्स कई किमी दूर तक बने मकानों को नष्ट कर देती है। वहीं धमाके के बाद लोगों के शरीर जलने लगते हैं और यह तापमान इतना अधिक होता है कि इंसानी शरीर ही नहीं बल्कि हडि्डयां तक राख में तब्दील हो जाती हैं। लिहाजा बिल क्लिंटन का उत्तर कोरिया पर हमला करने न करने का विचार काफी हद तक सही कहा जा सकता है।
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