जंग छिड़ी तो महज 24 घंटों में सियोल को तबाह कर देगा उत्तर कोरिया
अमेरिका से यदि युद्ध हुआ तो उत्तर कोरिया बहुत खतरनाक हो जाएगा। ऐसी सूरत में वह महज 24 से 48 घंटों में सियोल की सूरत बदल देगा।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। अमेरिका से बढ़ते तनाव के चलते उत्तर कोरिया लगातार अपनी सैन्य क्षमता को विस्तार देने में लगा हुआ है। हाल ही में उसने अपनी सेना की तादाद बढ़ाने के मकसद से 47 लाख जवानों की भर्ती करने का फैसला लिया है। मौजूदा समय में भी उत्तर कोरिया क्षेत्रफल में भले ही छोटा देश हो लेकिन उसकी सेना आकार के हिसाब से आज भी दुनिया की टॉप फाइव में आती है। दक्षिण कोरियाई खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार 1967 की तुलना में उत्तर कोरिया की ‘कोरियन पीपुल्स आर्मी’ ने तेजी से प्रगति की है। उस समय जहां उसकी सेना में करीब साढ़े तीन लाख जवान ही थे। वहीं, अब यह आंकड़ा 12 लाख है। इसके अलावा उत्तर कोरिया में हर नागरिक के लिए साल में कम से कम दो बार सैन्य प्रशिक्षण लेना भी अनिवार्य है जिससे युद्ध के वक्त सभी को लड़ने के लिए बुलाया जा सके।
जापान को उत्तर कोरिया से सबसे ज्यादा खतरा
जानकार मानते हैं कि उत्तर कोरिया से सबसे ज्यादा खतरा जापान को है। लेकिन एक तथ्य यह भी युद्ध की सूरत में उत्तर कोरिया सिर्फ जापान के लिए ही नहीं बल्कि चीन समेत दक्षिण कोरिया के लिए भी बड़ा खतरा बन जाएगा। इसकी वजह है कि इन दोनों देशों की सीमाएं उत्तर कोरिया से सटी हुई हैं। इन सभी के बीच अमेरिकी एयरफोर्स के रिटायर्ड कर्नल सैम गार्डनर की मानें तो यदि युद्ध होता है उत्तर कोरिया से सबसे पहले और सबसे बड़ा खतरा दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल को है।
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24 घंटे में तबाह कर देगा सियोल
एटलांटिक मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने युद्ध को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे भी किए हैं। उनका कहना था कि दुनिया के लिए व्यापार के लिहाज से बेहद अहम मानी जानी वाली दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल उत्तर कोरियाई सीमा से महज 35 मील दूर है। युद्ध छिड़ने पर पहले 24 से 48 घंटों में ही उत्तर कोरिया सियोल का नक्शा बदल कर रख सकता है। ऐसे में सियोल की रक्षा कर पाना अमेरिका के लिए भी मुश्किल होगा।
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क्लिंटन ने भी बनाई थी बमबारी की योजना
गार्डनर बताते हैं कि 1994 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भी उत्तर कोरिया के योंगबायोन रिएक्टर पर बमबारी करने की योजना बना ली थी। लेकिन, दो कारणों के चलते बिल्कुल अंतिम समय में उन्हें अपना इरादा बदलना पड़ा था। पहला कारण रेडियोएक्टिव पदार्थ के लीक होने से पड़ोसी देशों को होने वाला नुकसान था। जबकि, दूसरा उत्तर कोरिया की प्रतिक्रिया से सियोल के तबाह होने का डर था।
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युद्ध मे चीन को देना होगा उत्तर कोरिया का साथअमेरिका अगर उत्तर कोरिया पर हमला करता है तो उसे लेने के देने पड़ सकते हैं क्योंकि युद्ध की स्थिति में चीन को हर हाल में उत्तर कोरिया का साथ देना ही होगा। चीन के ऐसा करने के पीछे का कारण उसकी अमेरिका और उत्तर कोरिया के साथ हुई दो संधियां हैं। दरअसल, 1950 से लेकर 1953 तक उत्तर और दक्षिण करिया के बीच चले युद्ध में चीन और रूस ने उत्तर कोरिया का साथ दिया था1 27 जुलाई 1953 को संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में हुई एक युद्धविराम संधि के साथ ही यह युद्ध खत्म हुआ था। इस संधि के दौरान वाशिंगटन और बीजिंग के बीच एक समझौता यह भी हुआ था कि अगर अमेरिका भविष्य में उत्तर कोरिया पर हमला करता है तो युद्धविराम संधि टूट जाएगी। मौजूदा समय में इस संधि की अवधि को 2021 तक बढ़ा दिया गया है।
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