जीवन की उत्पत्ति की गुम कड़ी मिली, इस यौगिक की खोज से चला पता
खोज- फास्फोरेटिंग एजेंट के बारे में वैज्ञानिक अब तक थे अनजान.. एक विशेष उत्प्रेरक की उपस्थिति में स्वयं उत्पन्न होता है यह खास एजेंट
लॉस एंजिलिस (प्रेट्र)। वैज्ञानिकों के एक दल ने एक ऐसे यौगिक की खोज की है, जिसने पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वैज्ञानिकों के इस दल में भारतीय मूल के विज्ञानी भी शामिल हैं। दरअसल, वैज्ञानिकों को जीवन की उत्पत्ति का पूर्ण तरीका तो अब तक पता था, लेकिन बीच की एक अहम कड़ी गुम होने के कारण वे इस तरीके को पूर्ण करने में सफल नहीं हो पा रहे थे। अब इस यौगिक की खोज ने उनकी परिकल्पना को पूर्ण कर दिया है।
इस परिकल्पना पर किया काम : अमेरिका स्थित द स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीएसआरआइ) के वैज्ञानिकों की परिकल्पना है कि जीवन की शुरुआत के लिए तीन मुख्य अवयवों को मिलाने में फास्फारिलीकरण नाम की रासायनिक क्रिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ये अवयव अनुवांशिक जानकारी को एकत्र रखने वाले न्यूक्लियोटाइड के लघुरूप, कोशिकाओं का मुख्य काम करने के लिए अमीनो एसिड की लघु शृंखलाएं और कोशिकाओं की दीवारों जैसी ढांचागत संरचनाएं बनाने के लिए लिपिड थे।
यह कड़ी अब तक थी गुम : अभी तक किसी को फास्फोरेटिंग एजेंट (एक रासायनिक प्रक्रिया का एजेंट) का पता नहीं चल सका था, जो पूर्व में पृथ्वी पर पर्याप्त मात्रा में मौजूद था। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यथार्थवादी परिस्थितियों में इन तीन वर्गों के अणुओं के साथ ही इसका उत्पादन किया जा सकता था।
यह है वो यौगिक : टीएसआरआइ के रसायन विज्ञानियों ने अब ऐसे यौगिक की पहचान कर ली है, जो डाइएमीनोफासफेट (डीएपी) है। टीएसआरआइ में रसायन के एसोसिएट प्रोफेसर रामनारायण कृष्णमूर्ति के मुताबिक, हमने एक फास्फोरिलेशन केमिस्ट्री का विचार दिया जहां ओलिगोन्यूक्लियोटाइट्स, ऑलिगोपेप्टाइट्स और कोशिकाओं जैसी संरचनाओं को एक ही स्थान पर जन्म देने के लिए तैयार किया जा सके। कृष्णमूर्ति कहते हैं कि इससे रासानशास्त्रियों को वह करने की अनुमति मिली, जो इससे पहले तक संभव नहीं थी। संभावना है कि इससे कोशिका आधारित सत्ता का पहला नमूना तैयार किया जा सकता है। हालांकि इन परिदृश्यों में अलग-अलग फास्फोरेटिंग एजेंट भी शामिल हो सकते हैं, जो विभिन्न प्रकार के अणु के साथ अलग-अलग और असमान्य रासायनिक वातावरण में कार्य करते हों। कृष्णमूर्ति के मुताबिक, इस बात की कल्पना करना मुश्किल है कि पहले किस प्रकार ये अलग-अलग प्रक्रियाएं एक ही स्थान पर एकत्र हुई होंगी, जिससे जीवन की उत्पत्ति हुई है।
यह उत्प्रेरक उत्पन्न करेगा डीएपी : टीएसआरआइ में एक पोस्ट डॉक्टर रिसर्च एसोसिएट मेघा करकी के मुताबिक, यह दिखाई पड़ा है कि डाइएमीनोफासफेट (डीएपी) पानी में आरएनए चारों न्यूक्लियोसाइड बिल्डिंग ब्लॉक्स को फास्फारिलीकरण कर सकता है। इसमें इमिडाजोल उत्प्रेरक (एक कार्बनिक मिश्रण, जो पूर्व में पृथ्वी पर मौजूद था) को जोड़ने पर डीएपी कुछ समय के लिए उत्पन्न हो जाता है और आरएनए जैसी इस कड़ी को पूरा कर देता है।
इस तरह पूरी होगी प्रक्रिया : कृष्णमूर्ति के अनुसार डीएपी और पानी की इन मामूली स्थितियों में आप तीनों महत्वपूर्ण अवयवों को एकत्र कर सकते हैं और इस उत्प्रेरक की उपस्थिति में इस एजेंट के उत्पन्न होने पर यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है।
महान प्रयास का एक हिस्सा : जर्नल नेचर केमिस्ट्री में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, ये वैज्ञानिकों के चल रहे प्रयास का एक हिस्सा है। इसके जरिये दुनियाभर के वैज्ञानिक इस खोज के बेहद करीब पहुंच चुके हैं जिसमें कोशिका की उत्पत्ति का पता लगाया जा सकता है।
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