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चीन चाहेगा तभी बातचीत के लिए आगे आएगा ‘किम’, जानें क्‍यों?

उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह से आज सारी दुनिया दहशत में है। लेकिन जानकार मानते हैं कि यदि चीन चाहेगा तभी वह बातचीत के लिए सामने आ सकता है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 19 Sep 2017 10:01 AM (IST)
चीन चाहेगा तभी बातचीत के लिए आगे आएगा ‘किम’, जानें क्‍यों?

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा के 72वें सत्र में इस बार उत्तर कोरिया का मुद्दा जोर-शोर से सुनाई देगा। अमेरिका की तरफ से उत्तर कोरिया को बार-बार चेतावनी देने के बाद भी वह लगातार जिस तरह से परमाणु परीक्षण कर रहा है और लगातार धमकी दे रहा, उसकी गूंज इस महासभा में जरूर सुनाई देगी। संयुक्‍त राष्‍ट्र में अमेरिकी राजदूत निकी हैली ने साफ कहा है कि यदि किम जोंग उन अपनी करतूतों से बाज नहीं आया तो उसको बर्बाद कर दिया जाएगा।

उनका यह बयान उस वक्‍त सामने आया है जब न्‍यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा का 72वां सत्र शुरू हो गया है। इस बीच ट्रंप ने किम को एक नया नाम ‘रॉकेट मैन’ दिया है। उत्तर कोरिया के आक्रामक रवैये को देखकर नहीं लगता है कि वह अमेरिका से बातचीत के लिए राजी होगा। लेकिन जानकार मानते हैं कि यदि चीन चाहे तो यह भी संभव हो सकता है।

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उत्तर कोरिया को सही से हैंडल नहीं कर पा रहे ट्रंप

इस बीच एक सर्वे रिपोर्ट भी सामने आई है जो यह बताती है कि ज्‍यादातर अमेरिकी यह मानते हैं कि राष्‍ट्रपति ट्रंप उत्तर कोरिया को सही तरह से हैंडल नहीं कर पा रहे हैं। इतना ही नहीं इस सर्वे में ज्यादातर लोगों ने यह भी कहा है कि उन्‍हें डोनाल्‍ड ट्रंप की कही बातों पर यकीन नहीं है। NPR/Ipsos poll के मुताबिक करीब 51 फीसद अमेरिकियों ने इस बात पर अपनी सहमति जताई है कि उत्तर कोरिया को ट्रंप ठीक से हैंडल नहीं कर सके हैं। इसके अलावा करीब 41 फीसद लोग मानते हैं कि उत्तर कोरिया के खिलाफ ट्रंप ने सख्‍त कदम उठाए हैं।

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उत्तर कोरिया पर ट्रंप और ओबामा में से कौन बेहतर

इसके साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि उत्तर कोरिया के मामले को हैंडल करने में ओबामा और ट्रंप में से कौन बेहतर है। इस बारे में अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत रहीं मीराशंकर का कहना है कि उत्तर कोरिया का मसला और समस्‍या ओबामा प्रशासन के दौरान भी थी। इसको रोकने के लिए उस वक्‍त ओबामा ने उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, जिसको अब ट्रंप ने और सख्‍त कर दिया है। उनका यह भी कहना था कि अब जो प्रतिबंध उत्तर कोरिया पर लगाए गए हैं, उनमें कुछ रियायत चीन और रूस को देखते हुए जरूर दी गई है। जैसे तेल की मियाद को तय कर दिया गया है, लेकिन गैस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।

चीन के ऊपर काफी दारोमदार

उन्‍होंने यह भी कहा कि सही मायने में आर्थिक प्रतिबंधों से ही उत्तर कोरिया को रोका भी जा सकता है। मौजूदा समय में उत्तर कोरिया पूरे विश्‍व के लिए चिंता का विषय है और खासतौर पर अमेरिका के सहयोगियों जिसमें दक्षिण कोरिया और जापान शामिल हैं, के लिए ज्‍यादा खतरनाक है। ऐसे में यदि चीन सही मायने में प्रतिबंधों को अमल करने में मदद करेगा तो उत्तर कोरिया का बातचीत की टेबल पर आना संभव हो सकता है।

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सैन्‍य कार्रवाई का विरोध कर रहा चीन

उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच रूस और चीन ने उत्तर कोरिया के नजदीक समुद्र में नौसैनिक अभ्‍यास शुरू कर दिया है। माना यह भी जा रहा है कि यह उत्तर कोरिया को चेतावनी के तौर पर किया जा रहा है। हालांकि यहां पर यह बात भी ध्‍यान रखने वाली है कि चीन एक तरफ उत्तर कोरिया के परीक्षणों का विरोध करता आ रहा है लेकिन दूसरी ही तरफ वह अमेरिका की किसी भी सैनिक कार्रवाई के खिलाफ है।

उत्‍तर कोरिया से दक्षिण कोरिया आने वालों की संख्‍या हुई कम

उत्तर कोरिया से तनाव के चलते दक्षिण कोरिया ने अपनी सीमा पर हाई अलर्ट जारी किया है। हाल ही में एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि उत्तर कोरिया की तरफ से दक्षिण कोरिया में आने वाले लोगों की संख्या में 13 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। दक्षिण कोरिया यूनीफिकेशन मंत्रालय के अनुसार इस साल जनवरी से अगस्त के बीच 780 उत्तर कोरियाई नागरिक दक्षिण कोरिया आए। इस साल सीमा पार कर उत्तर कोरिया जाने वाले लोगों में 56.9 प्रतिशत कामगर मजदूर और किसान थे जबकि 3.5 प्रतिशत सैनिक और सरकारी कर्मचारी थे। इस कमी के पीछे सीमा पर चौकसी को बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक ज्‍यादातर लोग चीन की सीमा से होकर दक्षिण कोरिया में एंट्री लेते हैं। यह आंकड़ा दक्षिण कोरिया की न्यूज एजेंसी योनहैप ने यूनीफिकेशन मंत्रालय के हवाले से प्रकाशित किया है।

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