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जानिए आखिर उत्तर कोरिया के मुद्दे पर ट्रंप से क्यों खफा हैं जर्मनी चांसलर मर्केल

उत्तर कोरिया के मुद्दे पर जर्मनी खुले तौर अमेरिका के खिलाफ खड़ा हो गया है। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने ट्रंप के बयानों की तीखी आलोचना की है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 24 Sep 2017 01:24 PM (IST)
जानिए आखिर उत्तर कोरिया के मुद्दे पर ट्रंप से क्यों खफा हैं जर्मनी चांसलर मर्केल

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। उत्तर कोरिया के मुद्दे पर चीन को अब जर्मनी का साथ मिल गया है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने साफतौर पर इस बात को कहा है कि वह इस मसले पर किसी भी तरह से सैन्‍य संघर्ष के खिलाफ है। मर्केल ने ‘डचेज वैले’ को दिए गए इंटरव्‍यू में इस बात का जिक्र किया है कि इस मुद्दे पर जर्मनी का अमेरिका से स्पष्‍ट मतभेद है। इस इंटरव्‍यू में उन्‍होंने यहां तक कहा कि उत्तर कोरिया से जर्मनी का कोई भी सीधा संबंध नहीं है, इसके बावजूद जर्मनी इस मुद्दे को सुलझाने में मध्‍यस्‍थता की भूमिका निभा सकता है। मर्केल का मानना है कि बातचीत के जरिए ही इस मामले का हल निकाला जाना चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा है कि ईरान के मुद्दे पर भी उन्‍होंने बातचीत से हल निकालने में अपनी भूमिका निभाई थी। इसमें वक्‍त तो जरूर ज्‍यादा लगा, लेकिन आज इसको हल कर लिया गया है। इसी तरह से उत्तर कोरिया के मुद्दे को भी हल किया जाना चाहिए।

काफी अहम है मर्केल का बयान

मर्केल का यह बयान इसलिए भी बेहद खास है क्‍योंकि दो दिन पहले ही अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा के अपने पहले संबोधन में ही उत्तर कोरिया को पूरी तरह से खत्‍म करने की धमकी दी थी। यह इस लिहाज से भी खास है क्‍योंकि जर्मनी संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद का स्‍थायी सदस्‍य भी है। वहीं दूसरी तरफ चीन कई बार इस बात को दोहरा चुका है कि वह उत्तर को‍रिया के खिलाफ किसी भी तरह के सैन्‍य अभियान के खिलाफ है। लिहाजा यहां पर चीन की बातों को मर्केल के बयान से बल भी मिला है। यही वजह है कि जर्मन चांसलर मर्केल का बयान काफी मायने रखता है।

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आक्रामक बयानबाजी के खिलाफ हैं मर्केल

दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी और आक्रामक बयानबाजी के सवाल पर मर्केल ने कहा कि वह इस तरह की बयानबाजी के सख्‍त खिलाफ हैं। इस तरह की बयानबाजी को छोड़कर राजनयिक तरीके से इसका हल निकाला जाना चाहिए। इसके अलावा उत्तर कोरिया के खिलाफ कोई और फैसला लेना गलत होगा। वह यह भी मानती हैं कि उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों का लगाया जाना पूरी तरह से उचित है। उनका कहना था कि उत्तर कोरिया के मसले पर रूस, चीन के साथ मिलकर बातचीत की राह पकड़नी चाहिए।

किम ने ट्रंप को बताया 'विक्षिप्त' बुद्धि वाला इंसान 

वहीं दूसरी ओर किम ने अपने ताजा बयानों में किम को काफी बुरा-भला कहा है। उत्तर कोरिया की न्‍यूज एजेंसी से जारी बयान में किम ने ट्रंप को 'विक्षिप्त' बुद्धि वाला इंसान बताया है और साथ ही इन धमकियों के बदले बहुत कुछ भुगतने को भी कहा है। इस बयान में उन्‍होंने राष्‍ट्रपति ट्रंप को एक दुष्ट और आग से खेलने का शौकीन गैंगस्टर बताया है। साथ ही कहा है कि वह अमेरिका के शीर्ष पद को संभालने के योग्य नहीं हैं। उत्तर कोरिया के प्रमुख नेता का कहना है कि ट्रंप के बयान से उन्‍हें इस बात का यकीन हो गया है कि वह सही रास्‍ते पर हैं और इस पर ही उन्‍हें चलना भी है। इसके बाद उन्‍होंने यह भी कहा कि वह अमेरिका को सबक सिखाने की दिशा में गंभीर कदम उठाने पर विचार रहे हैं। उन्‍होंने साफतौर पर कहा कि कि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त और अमेरिकी बूढ़े को करारा जवाब देंगे।

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मर्केल के बयान से चीन का पक्ष हुआ मजबूत

मर्केल के बयानों से चीन का पक्ष जरूर मजबूत होता हुआ दिखाई दे रहा है। लेकिन इसमें एक बड़ा सवाल यह है कि आखिर किम जोंग उन को बातचीत की मेज तक कैसे लाया जा सकता है। वह भी तब जब किम की तरफ से अमेरिका को कहा जाता है कि कुत्तों के भौंकने से उत्तर कोरिया नहीं डरता है। ऐसे में इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान आखिर कैसे निकाला जा सकता है। इस पर अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर का मानना है कि यह मसला इतना पेचीदा हो चुका है कि जिसे मिलिट्री एक्‍शन से नहीं निपटाया जा सकता है। इसकी एक वजह यह भी है कि उत्तर कोरिया आज की तारीख में परमाणु हथियार संपन्‍न देश है। ऐसे में दक्षिण कोरिया और जापान क्‍योंकि वह उत्तर कोरिया के सबसे अधिक करीब हैं और अमेरिका के सहयोगी भी हैं, लिहाजा सबसे अधिक खतरा उन्‍हें ही है। पूर्व राजदूत का यह भी कहना था कि अमेरिका साफ कर चुका है कि वह किम जोंग उन को सत्ता से बेदखल करने के मूंड में नहीं है। उसकी मंशा बस उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को रोकने तक ही है।

प्रतिबंधों का लगाना सही

मीरा भी मानती हैं कि उत्तर कोरिया के मुद्दे पर प्रतिबंध लगाना उचित है। उन्‍होंने कहा कि ओबामा प्रशासन ने उत्तर कोरिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, जिन्‍हें डोनाल्‍ड ट्रंप ने और कड़ा कर दिया है, जो एक लिहाज से सही भी है। उन्‍होंने इस दौरान ट्रंप के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्‍हेांने राष्‍ट्रपति पद पर काबिज होने के बाद किम जोंग उन से मुलाकात कर सभी विवादित मुद्दे शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की बात की थी। पूर्व राजदूत का यह भी कहना है कि किम को बातचीत की टेबल पर चीन ला सकता है। इसकी वजह यह है कि चीन उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा सहयोगी देश है। इसका एक हल यह भी है कि चीन उन प्रतिबंधों को लागू करने में मदद करे जो हाल ही में उत्तर कोरिया पर लगाए गए हैं। इसके चलते वह वार्ता के लिए राजी हो सकता है।

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