पाकिस्तान पीएम की धमकी, भारत से निपटने को परमाणु हथियार तैयार
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने बताया है कि देश में परमाणु हथियार क्यों विकसित किए गए हैं। वह इन दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए अमेरिका में हैं।
न्यूयॉर्क, पीटीआई। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने भारत को परमाणु हथियार की गीदड़ भभकी दी है। संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक अधिवेशन में हिस्सा लेने अमेरिका पहुंचे अब्बासी ने कहा कि भारतीय सेना की 'कोल्ड स्टार्ट नीति' के जवाब में पाकिस्तान ने कम दूरी वाले परमाणु हथियार विकसित किए हैं। उन्होंने परमाणु जखीरे के आतंकियों के हाथ में जाने की आशंका को भी खारिज किया।
मालूम हो कि भारत की कोल्ड स्टार्ट नीति के तहत युद्ध की स्थिति में भारतीय सेना पाकिस्तानी परमाणु हमले की आशंका में दुश्मन सेना को बिना तैयारी का मौका दिए पूरी ताकत से धावा बोलेगी। अब्बासी ने अमेरिकी थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के विशेषज्ञों के साथ गुरुवार को हुई बैठक में कम दूरी तक मार करने वाले परमाणु हथियार विकसित किए जाने की बात स्वीकार की।
परमाणु हथियार के आतंकियों के हाथ में जाने के खतरे पर अब्बासी ने कहा, 'पाकिस्तान ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परमाणु सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए बेहद सुरक्षित कमांड-एंड-कंट्रोल प्रणाली विकसित की है। वक्त के साथ यह साबित भी हो चुका है कि मौजूदा व्यवस्था सुरक्षित है। परमाणु कमान प्राधिकरण (एनसीए) की मदद से भी इस पर निगरानी रखी जाती है।'
वहीं चर्चा में मॉडरेटर डेविड सांगेर ने यह कहकर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया कि पाकिस्तान दुनिया में सबसे तेजी से परमाणु हथियारों का जखीरा तैयार कर रहा है। यहां यह बता दें कि पाकिस्तान पर उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक देने के आरोप लगते रहे हैं।
कश्मीर राग भी छेड़ा: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इस मौके पर कश्मीर का राग छेड़ना भी नहीं भूले। उन्होंने कश्मीर में सुरक्षा परिषद के जनमत संग्रह संबंधी प्रस्ताव को लागू करने की मांग की। साथ ही उन्होंने कश्मीर को भारत के साथ विवाद का मुख्य कारण बताया।
सिंधु करार के तहत सुलझाए जा सकते विवाद
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को लेकर गंभीर मतभेद उभरे हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय मतभेदों को करार में मौजूद प्रावधानों के तहत सुलझाया जा सकता है। उन्होंने इसे कानूनी मसला बताया। पाकिस्तान ने भारत के रतले और किशनगंगा जलविद्युत परियोजना पर आपत्ति जताई है। मतभेदों को सुलझाने के लिए विश्व बैंक के तत्वावधान में दोनों देशों की हाल में भी बैठक हुई थी, जिसका नतीजा नहीं निकल सका था।
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