‘स्मार्ट’ ग्रीनहाउस में बिजली के साथ पैदा होंगी स्वस्थ फसल
विकास- वैज्ञानिकों को मिली स्मार्ट सोलर ग्रीनहाउस तैयार करने में सफलता..ग्रीनहाउस में सौर ऊर्जा से पैदा हुई बिजली और टमाटर व खीरे की स्वस्थ फसल
लॉस एंजिल्स (प्रेट्र)। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा स्मार्ट सोलर ग्रीनहाउस तैयार करने में सफलता हासिल की है, जिसमें सौर ऊर्जा से बिजली तो तैयार हो ही सकेगी, साथ ही यहां पैदा होने वाले पौधों की वृद्धि भी कम नहीं होगी। दरअसल, ग्रीनहाउस में सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करने से पौधों के पास कम रोशनी पहुंचती है, जिसका असर उनकी रफ्तार और उनके पोषण पर पड़ता है। अब वैज्ञानिकों ने इसी के विकल्प में नया स्मार्ट ग्रीनहाउस विकसित कर लिया है।
वैज्ञानिक इस स्मार्ट सोलर ग्रीनहाउस में टमाटर और खीरे की पहली स्वस्थ फसल पैदा करने में भी सफल रहे हैं। इसके लिए ग्रीनहाउस में तैयार बिजली का ही प्रयोग किया गया। शोधकर्ताओं के मुताबिक, समान्यत: माना जाता है कि ग्रीनहाउसों में तैयार फसल स्वस्थ नहीं होती है, लेकिन यहां तैयार की गई फसल जांच में उतनी ही स्वस्थ मिली, जितनी परंपरागत तरीके से उगाने पर होती है।
रोमांचक है ये सफलता : अमेरिका में सांता क्रूज स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया (यूसी) के माइकल लोइक के मुताबिक, हमने यह साबित कर दिखाया है कि स्मार्ट ग्रीनहाउस में पौधों की वृद्धि को कम किए बिना सौर ऊर्जा से बिजली पैदा की जा सकती है। यह खोज सही मायने में बेहद रोमांचक है।
इस तकनीक का किया प्रयोग : बिजली पैदा करने वाले इस सोलर ग्रीनहाउस में एक नवीन तकनीक वैवलेंथ-सेलेक्टिव फोटोवोलेटिक सिस्टम (डब्ल्यूएसपीवीएस) का प्रयोग किया गया है। यह तकनीक परंपरागत फोटोवोलेटिक सिस्टम तकनीक से कम कीमत में ज्यादा कुशलता से बिजली पैदा करती है।
छतें हैं पारदर्शी : इन ग्रीनहाउसों की परिकल्पना इस प्रकार की गई है कि इनकी छतों के पैनलों को पारदर्शी बनाया गया है। साथ में चमकीली मैजेंटा लुमेनिसेंट डाई लगाई गई है जो प्रकाश को अवशोषित कर पतली फोटोवोल्टिक स्ट्रिप्स में ऊर्जा स्थानांतरित करती है, जहां से बिजली पैदा होती है।
कुछ रोशनी अवशोषित, बाकी मिलती है पौधों को
डब्ल्यूएसपीवीएस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह प्रकाश की कुछ नीली और हरी तरंगदैध्र्य ही अवशोषित करती है और शेष प्रकाश को पौधों के विकास के लिए जाने देती है। इसीलिए सौर ऊर्जा से बिजली पैदा होने के बाद भी पौधों के पास कम प्रकाश नहीं पहुंचता, जिसके चलते उनकी वृद्धि की रफ्तार कायम रहती है और वे पूरी तरह से स्वस्थ होते हैं।
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