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किम ट्रंप में से किसी एक को अपनाना होगा लचीला रुख नहीं तो बेनतीजा रहेंगी भविष्‍य की बैठकें

उत्‍तर कोरिया से समझौता अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के लिए बड़ी उपलब्धि हो सकती है। लेकिन इसके लिए उनके पास एक वर्ष से कम समय बचा है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 17 Dec 2019 01:21 PM (IST)
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किम ट्रंप में से किसी एक को अपनाना होगा लचीला रुख नहीं तो बेनतीजा रहेंगी भविष्‍य की बैठकें
नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। अमेरिका और उत्‍तर कोरिया के बीच संबंधों में लगातार उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है। जून 2018 में जब उत्‍तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से सिंगापुर में मुलाकात की थी उस वक्‍त लग रहा था कि दोनों देशों के संबंध अब सामान्‍य होने की तरफ बढ़ रहे हैं। इसके बाद 27-28 फरवरी 2019 को वियतनाम के हनोई में इन दोनों ने दोबारा मुलाकात की थी। उस वक्‍त भी यही माना गया था कि दोनों देश दोस्‍ती की राह पर आगे चलकर कुछ नया  कर सकते हैं। हालांकि यह मुलाकात अधूरे में ही छूट गई थी।

विवादों के बीच किम से वार्ता को तैयार यूएस 

इन दोनों बैठकों में सबसे बड़ी समस्‍या अमेरिका की तरफ से उत्‍तर कोरिया को मिसाइल प्रोग्राम से रोकना था तो वहीं उत्‍तर कोरिया की तरफ से उनपर लगे प्रतिबंधों को खत्‍म करना था। लेकिन इसको लेकर दोनों ही देश अपनी बात पर अड़े रहे। इसका नतीजा ये रहा कि ट्रंप इस बैठक से बीच में ही उठकर चले गए। लेकिन अब जबकि अमेरिका के विशेष दूत स्टीफन बीगन की तरफ से ये कहा गया है कि अमेरिका, उत्तर कोरिया से बातचीत के लिए तैयार है, तो इसके मायने भी बेहद खास हैं। उन्‍होंने ये ऐलान दक्षिण कोरिया दौरे पर किया है। उनका कहना है कि विवादों के बावजूद उत्तर कोरिया को बातचीत के जरिये अपने मुद्दे सामने रखने चाहिए।

किम को लेकर ट्रंप का लचीला रुख

बीगन का ये बयान और बॉल्‍टन की बर्खास्‍तगी अपने आप में काफी कुछ बयां करती है। आपको बता दें कि ट्रंप ने जबसे राष्‍ट्रपति का पदभार संभाला है तभी से उत्‍तर कोरिया को लेकर उनका रुख काफी लचीला रहा है। उन्‍होंने हर बार किम से दोस्‍ती करने की बात कही है। उत्‍तर कोरिया से समझौता करना उनके कार्यकाल का बड़ा मुद्दा है और अपने इस कार्यकाल में वह इसको अंजाम तक पहुंचाना भी चाहते हैं।

नहीं तो बेनतीजा रहेंगी बैठकें 

अब जबकि अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में लगभग एक वर्ष ही शेष बचा है तो ऐसे में माना जा रहा है कि ट्रंप और किम के बीच तीसरी शिखर वार्ता हो सकती है। जानकार मानते हैं कि इन दोनों नेताओं के बीच दो शिखर वार्ताओं का नतीजा कुछ खास नहीं निकला है। हालांकि इतना जरूर हुआ है कि इससे कोरिया प्रायद्वीप में शांति जरूर बहाल हुई है। लेकिन भविष्‍य में होने वाली वार्ताओं में दोनों ही देशों में से किसी एक को लचीला रुख जरूर अपनाना होगा। ऐसा न होने पर भविष्‍य की वार्ताएं भी बेनतीजा ही साबित होंगी। 

बोल्‍टन पसंदीदा लेकिन गलती के लिए माफी नहीं 

गौरतलब है कि पिछली बैठकों के बेनतीजा खत्‍म होने का ठीकरा किम ने अमेरिका के पूर्व एनएसए जॉन बोल्‍टन पर फोड़ा था। हालांकि बाद में राष्‍ट्रपति ट्रंप ने बोल्‍टन को उनके पद से हटा दिया। कहीं न कहीं वो भी किम की बातों और तर्कों से सहमत नजर आए। बोल्‍टन को हटाते हुए ट्रंप ने जो ट्वीट किया उसमें कहा गया था कि बोल्‍टन उनके पसंदीदा थे, लेकिन उन्‍होंने कई बड़ी गलतियां की। बोल्‍टन ने किम के लिए गद्दाफी मॉडल को सही बताया था, जो ट्रंप को नागवार गुजरा था। यह हाल तब था जब अमेरिका और उत्‍तर कोरिया लगातार एक दूसरे के संपर्क में थे और आगे बढ़ने की कोशिश भी कर रहे थे। जुलाई 2019 में ट्रंप ने जब किम से उत्‍तर-दक्षिण कोरिया के बॉर्डर और डिमिलिट्राइज्‍ड जोन में मुलाकात की तो दोनों ने ही ये संदेश देने की कोशिश की थी कि वह हालात को सामान्‍य रखने और शांति बनाए रखने को अग्रसर हैं। 

फिर शुरू हुआ परिक्षणों का दौर 

लेकिन इस बीच उत्‍तर कोरिया ने अपने मिसाइल टेस्टिंग का दौर फिर शुरू कर दिया। इसको लेकर उत्‍तर कोरिया का कहना था कि अमेरिका उन्‍हें बातचीत में उलझाकर केवल समय बर्बाद कर रहा है। इन परिक्षणों को लेकर अमेरिका ने भी काफी नाराजगी व्‍यक्त की थी। अमेरिका का कहना था कि किम नासमझी न दिखाएं। उत्‍तर कोरिया के मसले पर कुछ यूरोपीय देशों और यूएनएससी सदस्‍यों ने आपात बैठक बुलाने की भी अपील की है। इसको लेकर उत्‍तर कोरिया ने कड़ी नाराजगी भी जाहिर की है।

 

कोई दूसरा विकल्‍प नहीं 

उत्‍तर कोरिया ने साफ कर दिया है कि परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम रद्द करने के एवज में यूएस के पास कोई प्रस्ताव नहीं है। वहींं अमेरिका की तरफ से कहा जा रहा है कि वह दोनों देशों के बीच समझौता करने के लिए ठोस कदम उठाने को भी तैयार हैं। हालांकि अमेरिका ने उत्‍तर कोरिया को चेतावनी भी दी है कि वह कोई गलत कदम न उठाए। दोनेां देशों के बीच जो मुद्दे हमेशा से ही विवाद की वजह बने हुए हैं वह अब भी जस के तस बने हुए हैं। उत्तर कोरिया ने कहा है कि 31 दिसंबर तक अमेरिका उस पर लगे प्रतिबंधों में छूट का कोई प्रस्ताव दे। ऐसा नहीं होने पर वह परमाणु समझौते पर आगे कोई बातचीत नहीं करेगा। 

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