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भारत-जापान की दोस्ती पर बोला चीन, गठजोड़ नहीं साझेदारी करें

जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबी की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी मजबूत बनाने के लिए 15 समझौते किए हैं।

By Manish NegiEdited By: Updated: Thu, 14 Sep 2017 08:33 PM (IST)
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भारत-जापान की दोस्ती पर बोला चीन, गठजोड़ नहीं साझेदारी करें

बीजिंग, प्रेट्र। चीन ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि भारत-जापान के मजबूत होते रिश्ते क्षेत्र की शांति व स्थिरता के अनुकूल होंगे और इस दिशा में रचनात्मक भूमिका निभाएंगे। उसने जोर देकर कहा कि क्षेत्र के देशों को गठजोड़ कायम करने के स्थान पर साझेदारी के लिए कार्य करना चाहिए।

जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबी की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी मजबूत बनाने के लिए 15 समझौते किए हैं। इसके अलावा दोनों देश भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए हैं। इस बारे में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनिंग ने कहा, 'हम क्षेत्रीय देशों के बीच संघर्ष की बजाए वार्ता और गठजोड़ के स्थान पर साझेदारी की वकालत करते हैं।' भारत को जल एवं स्थल दोनों से उड़ान भर सकने वाले यूएस-2 विमानों की बिक्री करने की जापानी योजना के बारे में उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले में वह प्रधानमंत्री शिंजो एबी और नरेंद्र मोदी की वार्ता का विवरण सामने आने का इंतजार करेंगी।

बता दें कि जापान की इस योजना से चीन बेहद चिंतित है क्योंकि किसी देश को रक्षा उपकरण बेचने की ओर जापान का यह पहला कदम होगा। इसके अलावा जापान को भारत में पहला बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट (अहमदाबाद-मुंबई) मिलने से भी चीन चिंतित है क्योंकि वह भी नई दिल्ली-चेन्नई कॉरीडोर पर हाईस्पीड रेल प्रोजक्ट का एक प्रतिस्पर्धी है।

उधर, शिंजो एबी की भारत यात्रा पर टिप्पणी करते हुए चीनी बुद्धिजीवियों ने 'फ्रीडम कॉरीडोर' पर चिंता व्यक्त की है। इसके अलावा विभिन्न देशों (अफ्रीका, ईरान, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया) में दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की जा रहीं बुनियादी ढांचा परियोजनाएं भी उनकी चिंता का कारण हैं। शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में रिसर्च फैलो हू जीयोंग ने सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को बताया कि एशिया प्रशांत से अफ्रीका तक का 'फ्रीडम कॉरीडोर' भारत-जापान की ओर से चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट रोड इनीशिएटिव (बीआरआइ) का जवाब है। वहीं, यूनिवर्सिटी ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में एसोसिएट प्रोफेसर चू यिन ने कहा कि यह अभी शुरुआत भर है और इसके बीआरआइ के स्तर तक पहुंचने की संभावना नहीं है। मालूम हो कि भारत ने इस साल आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार किया था क्योंकि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) गुलाम कश्मीर से होकर गुजरता है।

'भारत-जापान घनिष्ठता से चीन को खतरा नहीं'

ग्लोबल टाइम्स में एक संपादकीय प्रकाशित हुआ है जिसका शीर्षक है 'भारत-जापान में बढ़ती घनिष्ठता चीन के लिए खतरा नहीं'। संपादकीय में कहा गया है कि तेजी से बदलती दुनिया में भारत-जापान की यह घनिष्ठता बनावटी है। एक दूसरे को सांत्वना देने की उनकी भावनात्मक पहल से वास्तव में चीन को कोई चुनौती नहीं मिलेगी। इसके अलावा जापान की ओर से भी चीन को चुनौती मिलने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि उसके चीन के साथ मजबूत द्विपक्षीय व्यापार संबंध हैं।

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