जानें- हांगकांग में चीन के 10 हजार जवानों पर कैसे भारी पड़ रही है ये यंग ट्रिपल ब्रिगेड
हांगकांग में जारी विरोध प्रदर्शन के पीछे जिस संगठन की ताकत लगी है उसका नाम डेमोसिस्टो है। इस संगठन के पीछे हैं तीन युवा जो अब चीनी सरकार की आंखों में खटक रहे हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 02 Sep 2019 12:42 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। हांगकांग को लेकर चीन बेहद आक्रामक मुद्रा में आ चुका है। यहां पर पिछले तीन माह से जारी प्रदर्शनों को दबाने के लिए अब चीन ने किसी भी हद तक जाने का मन बना लिया है। इसको लेकर अमेरिका भी काफी चिंतित है। यहां के खराब होते हालातों को देखते हुए अमेरिका पहले ही अपना डर सामने ला चुका है। दरअसल, अमेरिका को डर है कि कहीं चीन इसको भी थियानमेन चौक पर हुए बहुचर्चित विरोध प्रदर्शनों की तरह न दबा दे। वहीं जिस तरह से थियानमेन चौक पर पीएलए के जवानों और टैंकों की तैनाती सरकार ने की थी अब वही सब कुछ हांगकांग में भी दिखाई दे रहा है। उसका यह डर यूं ही नहीं है। असल में थियानमेन चौक पर पूर्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के पीछे भी युवाओं की ही ताकत थी। ऐसा ही इस बार भी है। यही वजह है कि चीन की सरकार की आंखों में हांगकांग के विरोध प्रदर्शनों की ताकत बने युवा खटक रहे हैं। इतना ही नहीं हांगकांग के प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे तीन युवा काफी समय से चीन की सरकार के निशाने पर हैं। आलम ये है कि ये युवा चीनी सेना के दस हजार जवानों पर भारी पड़ रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन के पीछे डेमोस्स्टिो की ताकत
इन प्रदर्शनों के पीछे जो संगठन है उसका नाम डेमोसिस्टो है। इसके पीछे जो तीन युवा है उनका नाम जोशुआ वांग, एग्निस चो और नाथन लॉ हैं। इनका ये संगठन हांगकांग में लोकतंत्र का समर्थन करता आया है। इनमें जोशुआ 22 वर्ष के तो नाथन 26 वर्ष के हैं। जोशुआ की ही बात करें तो 2014 में वह उस वक्त मीडिया की सुर्खियां बने थे जब लोकतंत्र की मांग पर हांगकांग में विरोध प्रदर्शन हुए थे। मताधिकार की मांग को लेकर 2014 में 79 दिनों तक आंदोलन चला था, लेकिन चीन ने सख्ती के साथ उसे दबा दिया था। उनके द्वारा चलाए गए अंब्रेला मूवमेंट में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। इस युवा ब्रिगेड की बढ़ती ताकत से घबराए चीन ने इन्हें 2017 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस दौरान जोशुआ को तीन माह से अधिक तक जेल में रहना पड़ा था। 2018 में जोशुआ का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था।
इन प्रदर्शनों के पीछे जो संगठन है उसका नाम डेमोसिस्टो है। इसके पीछे जो तीन युवा है उनका नाम जोशुआ वांग, एग्निस चो और नाथन लॉ हैं। इनका ये संगठन हांगकांग में लोकतंत्र का समर्थन करता आया है। इनमें जोशुआ 22 वर्ष के तो नाथन 26 वर्ष के हैं। जोशुआ की ही बात करें तो 2014 में वह उस वक्त मीडिया की सुर्खियां बने थे जब लोकतंत्र की मांग पर हांगकांग में विरोध प्रदर्शन हुए थे। मताधिकार की मांग को लेकर 2014 में 79 दिनों तक आंदोलन चला था, लेकिन चीन ने सख्ती के साथ उसे दबा दिया था। उनके द्वारा चलाए गए अंब्रेला मूवमेंट में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। इस युवा ब्रिगेड की बढ़ती ताकत से घबराए चीन ने इन्हें 2017 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस दौरान जोशुआ को तीन माह से अधिक तक जेल में रहना पड़ा था। 2018 में जोशुआ का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था।
कई बार जा चुके हैं जेल
2014 के बाद से ही चीन की सरकार की आंखों का कांटा बन चुके जोशुआ को कई बार गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इस वर्ष जून में ही वह जेल से बाहर आए थे। 31 अगस्त को उन्हें और उनके साथियों को पुलिस ने फिर गिरफ्तार किया था, लेकिन जमानत मिलने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने वांग और चॉ की गिरफ्तारी की निंदा की है। जून से अब तक लगभग साढ़े आठ सौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
2014 के बाद से ही चीन की सरकार की आंखों का कांटा बन चुके जोशुआ को कई बार गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इस वर्ष जून में ही वह जेल से बाहर आए थे। 31 अगस्त को उन्हें और उनके साथियों को पुलिस ने फिर गिरफ्तार किया था, लेकिन जमानत मिलने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने वांग और चॉ की गिरफ्तारी की निंदा की है। जून से अब तक लगभग साढ़े आठ सौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
एग्निस और नाथन
हांगकांग के विरोध प्रदर्शन में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रही एग्निस ने भी 2014 में ही सुर्खियां बटोरी थीं। 2016 में वह लेजिस्लेटिव काउंसिल के लिए चुनी गई थीं लेकिन 2018 में उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया। इसकी वजह उनके नियमों का पालन न करना बताई गई थी। वहीं नाथन की भी पहचान 2014 में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान ही बनी थी। 2014 में वह डेमोसिस्टो के अध्यक्ष भी थे। नाथन हांगकांग लेजिस्लेटिव काउंसिल का चुनाव जीतने वाले सबसे युवा नेता भी हैं। 2016 में उन्होंने महज 23 वर्ष की उम्र में यह कमाल किया था। विरोध प्रदर्शन की ये है वजह
स्थानीय सरकार द्वारा पारित एक प्रत्यर्पण बिल के विरोध में जून में हांगकांग में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। प्रत्यर्पण बिल में अपराधियों को सुनवाई के लिए चीन भेजे जाने का प्रावधान है। हांगकांग की मुख्य कार्यकारी कैरी लाम के विवादास्पद प्रत्यर्पण बिल को वापस लेने के प्रस्ताव को चीन सरकार ने खारिज कर दिया है। चीन सरकार ने कैरी लाम से साफ कहा है कि वह प्रदर्शनकारियों के किसी भी मांग के आगे नहीं झुकें। यही वजह है कि इस बिल के खिलाफ शुरू हुआ विरोध अब जनआंदोलन का रूप ले चुका है। अब विरोध प्रदर्शन सिर्फ बिल को वापस लेने की मांग तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब वहां लोकतंत्र बहाली की मांग तेज हो गई है। अर्ध-स्वायत्त शहर में सार्वभौमिक मताधिकार की मांग को चीन द्वारा खारिज किए जाने के पांचवें साल पर रैली का आयोजन किया गया था। चीन का सख्त रूप
हांगकांग में बेकाबू होते हालात के बीच चीन कई बार कह चुका है कि वह हाथ पर हाथ धरे नहीं रह सकता है। चीन की तरफ से यहां तक कहा गया है कि हांगकांग भेजे गए पीएलए के जवान महज दिखावे के लिए वहां नहीं रखे गए हैं। इसका अर्थ बेहद साफ है कि चीन हांगकांग के विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। हालांकि इस बात को राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी कह चुके हैं। हांगकांग की सड़कों पर इन विरोध प्रदर्शनों के चलते एक बार फिर से हजारों सुरक्षाकर्मी और टैंक आसानी से देखे जा सकते हैं। इस बीच रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी साफ कर दिया है कि सेना हांगकांग में कानून व्यवस्था नहीं बिगड़ने देगी और वहां की संपन्नता को बरकरार रखेगी। चीन ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को नकारते हुए हांगकांग में अराजकता के लिए अमेरिका और ब्रिटेन को जिम्मेदार ठहराया है। हांगकांग में मौजूद प्रमुख देशों के राजनयिकों की हालात पर नजर है।आपको भी देखने हैं जूपिटर के छल्ले या दूसरे ग्रह तो आइये लद्दाख के एस्ट्रो विलेज 'मान'
हांगकांग के विरोध प्रदर्शन में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रही एग्निस ने भी 2014 में ही सुर्खियां बटोरी थीं। 2016 में वह लेजिस्लेटिव काउंसिल के लिए चुनी गई थीं लेकिन 2018 में उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया। इसकी वजह उनके नियमों का पालन न करना बताई गई थी। वहीं नाथन की भी पहचान 2014 में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान ही बनी थी। 2014 में वह डेमोसिस्टो के अध्यक्ष भी थे। नाथन हांगकांग लेजिस्लेटिव काउंसिल का चुनाव जीतने वाले सबसे युवा नेता भी हैं। 2016 में उन्होंने महज 23 वर्ष की उम्र में यह कमाल किया था। विरोध प्रदर्शन की ये है वजह
स्थानीय सरकार द्वारा पारित एक प्रत्यर्पण बिल के विरोध में जून में हांगकांग में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। प्रत्यर्पण बिल में अपराधियों को सुनवाई के लिए चीन भेजे जाने का प्रावधान है। हांगकांग की मुख्य कार्यकारी कैरी लाम के विवादास्पद प्रत्यर्पण बिल को वापस लेने के प्रस्ताव को चीन सरकार ने खारिज कर दिया है। चीन सरकार ने कैरी लाम से साफ कहा है कि वह प्रदर्शनकारियों के किसी भी मांग के आगे नहीं झुकें। यही वजह है कि इस बिल के खिलाफ शुरू हुआ विरोध अब जनआंदोलन का रूप ले चुका है। अब विरोध प्रदर्शन सिर्फ बिल को वापस लेने की मांग तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब वहां लोकतंत्र बहाली की मांग तेज हो गई है। अर्ध-स्वायत्त शहर में सार्वभौमिक मताधिकार की मांग को चीन द्वारा खारिज किए जाने के पांचवें साल पर रैली का आयोजन किया गया था। चीन का सख्त रूप
हांगकांग में बेकाबू होते हालात के बीच चीन कई बार कह चुका है कि वह हाथ पर हाथ धरे नहीं रह सकता है। चीन की तरफ से यहां तक कहा गया है कि हांगकांग भेजे गए पीएलए के जवान महज दिखावे के लिए वहां नहीं रखे गए हैं। इसका अर्थ बेहद साफ है कि चीन हांगकांग के विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। हालांकि इस बात को राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी कह चुके हैं। हांगकांग की सड़कों पर इन विरोध प्रदर्शनों के चलते एक बार फिर से हजारों सुरक्षाकर्मी और टैंक आसानी से देखे जा सकते हैं। इस बीच रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी साफ कर दिया है कि सेना हांगकांग में कानून व्यवस्था नहीं बिगड़ने देगी और वहां की संपन्नता को बरकरार रखेगी। चीन ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को नकारते हुए हांगकांग में अराजकता के लिए अमेरिका और ब्रिटेन को जिम्मेदार ठहराया है। हांगकांग में मौजूद प्रमुख देशों के राजनयिकों की हालात पर नजर है।आपको भी देखने हैं जूपिटर के छल्ले या दूसरे ग्रह तो आइये लद्दाख के एस्ट्रो विलेज 'मान'