कोरोना के चलते उपजे तीन सवालों के जवाब तलाशने में जुटा है ड्रैगन, दबाव में राष्ट्रपति
राष्ट्रपति शी चिनफिंग पर कोरोना वायरस से चीन में आई आर्थिक मंदी से निपटने का दबाव साफतौर पर दिखाई दे रहा है। इसके अलावा सरकार की छवि सुधारने का दबाव भी उनपर है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 03 Mar 2020 07:09 AM (IST)
नई दिल्ली। कोरोना वायरस जिस तेजी से दुनिया के विभिन्न देशों में फैला है उस तरह के उदाहरण इतिहास में काफी कम देखने को मिलते हैं। चीन से निकलकर 53 देशों को अपनी चपेट में ले चुका कोरोना की मार पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ी है। इसकी वजह से चीन का ही नहीं पूरी दुनिया का कारोबार धड़ाम से गिर गया है। मूडीज की रिपोर्ट तक में भी इस पर चिंता जताई जा चुकी है। चीन के बाद दक्षिण कोरिया जापान और ईरान में इसके मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। कोरोना के इस कदर महामारी बनने के पीछे जानकार इसके इलाज का न होना तो मानते ही हैं, लेकिन उनका ये भी मानना है कि इसको लेकर चीन की तरफ से इसकी खबरों को जिस तरह से दबाया गया वह नीति भी इसमें बराबर की दोषी है।
डॉक्टर ली की मौत से हुई किरकिरी
आपको बता दें कि चीन में सबसे पहले जिस डॉक्टर ली वेनलियांग ने कोरोना वायरस की पुष्टि की थी वो खुद इसकी चपेट में आने से मौत के मुंह में जा चुका है। सोशल मीडिया पर उनकी मौत को लेकर सरकार पर कई तरह के आरोप भी लगे। अब इन आरोपों की जांच भी शुरू हो गई है, लेकिन ये सच है कि डॉक्टर ली की मौत से सरकार की छवि पर दाग जरूर लगा है। सोशल मीडिया पर कई लोगों का कहना था कि सरकार ने वायरस से जुड़ी खबरों को छिपाने का काम किया और सही तथ्यों को सामने आने से रोका। लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर हर्ष वी पंत फिलहाल इसको सर्वव्यापी महामारी नहीं मानते हैं। हालांकि, वो इतना जरूर कहते हैं दुनिया को इसके लिए तैयार रहना होगा।
सरकार पर दबाव प्रोफेसर पंत का कहना है कि इसकी वजह से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर दबाव है। ये दबाव राष्ट्रपति शी चिनफिंग पर भी दिखाई दिया है। सबसे बड़ा दबाव तो इसकी वजह से कारोबार को हो रहे नुकसान को कम करने का ही है। दूसरा दबाव सरकार की छवि को सुधारने का भी है, जो इसकी वजह से वैश्विक स्तर पर खराब हुई है। तीसरा और अंतिम दबाव इस वायरस का इलाज खोजने का भी है, ताकि दोबारा ये इतना विकराल रूप न ले सके।
सार्वजनिक तौर पर कम दिखाई दिए शी कोरोना की बढ़ती खबरों के बीच वो सार्वजनिक स्थानों पर कम ही दिखाई दिए थे। एक बार उन्होंने अस्पताल का दौरा कर लोगों से न डरने की अपील जरूर की थी और अपना भी चेकअप करवाया था। हालांकि, बीते कुछ सप्ताह में सरकार का ज्यादा कामकाज प्रधानमंत्री के ही जरिए हुआ और शी चिनफिंग तस्वीर में नजर नहीं आए।
वायरस से निपटने के अभूतपूर्व तरीके पंत का कहना है कि चीन के इस वायरस से निपटने के तरीके अभूतपूर्व रहे हैं। सरकार ने हुबई प्रांत को देश के दूसरे प्रांतों से काट दिया। लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया। उनके मुताबिक, सरकार की ये कोशिशें कहीं न कहीं दूसरे बड़े शहरों को सुरक्षित रखने की थी और साथ ही कारोबार को बनाए रखने की भी थी, लेकिन इसमें भी वो कामयाब नहीं हो सके। इस वजह से विकास के चीनी मॉडल की कमजोरियां एक बार फिर उजागर हो गई।
चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट के आसार उनका कहना है कि कोरोना के बढ़ते संकट ने शी चिनफिंग को भी चिंता में डाल दिया है। इसकी वजह बेहद साफ है कि इसकी वजह से आर्थिक मंदी बढ़ेगी। एक अनुमान के मुताबिक, चीन की जीडीपी में इस वर्ष 1-2 फीसद तक की गिरावट हो सकती है। पंत मानते हैं कि कोरोना वायरस को लेकर जो मुस्तैदी सरकार की तरफ से दिखाई जानी चाहिए थी, वो दिखाई नहीं दी। वहीं समय पर सूचना और तैयारी न होने की वजह से भी वायरस के प्रकोप को कम करने या रोकने में सरकार को नाकामी हाथ लगी। अब इसको लेकर दोषारोपण भी शुरू हो गया है।
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