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अमेरिका को बाहर निकालने की जिद पर यदि अड़ा रहा इराक तो हो जाएगा बर्बाद!

अमेरिका और ईरान के तनाव के बीच इराक बुरी तरह से पिस गया है। वर्तमान में वह न तो ईरान से उलझ सकता है और न ही अमेरिका को जबरन बाहर कर सकता है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 17 Jan 2020 06:38 AM (IST)
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अमेरिका को बाहर निकालने की जिद पर यदि अड़ा रहा इराक तो हो जाएगा बर्बाद!
नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। ईरानी टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत के बाद अमेरिकी फौज को बाहर जाने की बात कहने वाला इराक अब अपनी उस गलती पर पछताता दिखाई दे रहा है जो उसने 2014 में की थी।आपको बता दें कि इसी वर्ष इराक ने हावी होते दाइश को खत्‍म करने के लिए अमेरिकी फौज को अपनी जमीन सौंपी थी। इराक को कहीं न कहीं ये डर सताने लगा है कि कासिम की मौत उस पर भारी पड़ सकती है। दूसरी बात ये भी है कि वह कहीं न कहीं ईरान से अब किसी भी सूरत से दो-दो हाथ करने की स्थिति में नहीं है। इसके लिए न तो उसकी आर्थिक हालत ही गवाही देती है और न ही उसकी सेना इतनी बड़ी और ताकतवर है कि वह ईरान का मुकाबला  कर सके। इसकी एक सच्‍चाई ये भी है कि अपने को ईरान से युद्ध में उलझाकर वह अपने ही पांव पर कुल्‍हाड़ी मार लेगा। खाड़ी युद्ध में वह इसका परिणाम काफी करीब से देख चुका है। 

खाड़ी युद्ध के बाद खराब होती अर्थव्‍यवस्‍था 

खाड़ी युद्ध के बाद और सद्दाम हुसैन को सत्‍ता से हटाने के बाद से ही देश के राजनीतिक हालात लगातार खराब हुए हैं। राजनीतिक अस्थिरता के अलावा यहां की जनता भी अब सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने लगी है।सद्दाम की मौत के बाद ही इराक में आईएस जैसे आतंकी संगठन ने अपने पांव पसारे थे। वर्तमान में जो इराक की हालत है उसके पीछे कहीं न कहीं अमेरिका सीधेतौर जिम्‍मेदार दिखाई देता है। जनता का आक्रोश भी कहीं न कहीं इसी तरफ इशारा भी करता है। इसी वजह से इराक ने अमेरिकी फौज समेत सभी विदेशी जवानों को उसकी जमीन छोड़कर चले जाने को कहा था। लेकिन यहीं पर उसका दांव अमेरिकी धमकी के सामने बेबस भी हो गया। 

यूएस को बाहर निकालना इराक पर पड़ेगा भारी 

दरअसल, इराकी पीएम के इस बयान के बाद अमेरिका ने साफ कर दिया यदि उन्‍होंने ऐसी कोई भी कोशिश की तो यह उस पर काफी भारी पड़ेगी। अमेरिका ने इराक को धमकी देने के अंदाज में साफ कर दिया है कि न्‍यूयॉर्क के फेडरल रिजर्व बैंक के अकाउंट की पहुंच से महरूम हो जाएगा। वाल स्‍ट्रीट जनरल की खबर के हवाले से इसकी जानकारी खुद इराकी पीएम आदिल अब्‍दुल महदी के ऑफिस की तरफ से दी गई है। वर्तमान में ईरान पर प्रतिबंधों के बावजूद अमेरिका ने इराक को फ्यूल जनरेटर के लिए ईरान से गैस लेने की छूट दे रखी है। इसकी समय सीमा फरवरी में खत्‍म हो रही है। इराक द्वारा अमेरिका को देश से बाहर निकालने की सूरत में इस समय-सीमा को बढ़ाने से इनकार किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो यह इराक की बदहाली का रास्‍ता खोल देगी जो उसके लिए अच्‍छा नहीं होगा।   

इराकी चिंता की वजह 

न्‍यूयॉर्क के फेडरल रिजर्व को लेकर इराक की चिंता की बात इसलिए भी है क्‍योंकि यहां पर खोले गए अकाउंट में इराक समेत कई देश तेल से होने वाली आय को जमा करते हैं। इसका इस्‍तेमाल सरकार अपने यहां कर्मियों की तनख्‍वाह की अदायगी समेत दूसरी मदों में खर्च करने में इस्‍तेमाल करती हैं। हालांकि इस बात का खुलासा फिलहाल नहीं हो सका है कि इस बैंक में इराक का कितना पैसा जमा है। 

खरबों डॉलर हो सकता है जमा

हालांकि बैंक ने ये जरूर कहा है कि वर्ष 2018 के अंत में एक ही रात में बैंक खाते में आठ बिलियन डॉलर जमा किए गए थे। यही वजह है कि अमेरिकी धमकी के आगे इराक बेबस हो गया है। वहीं अमेरिकी फौज को बाहर निकालने के नाम पर सरकार ही नहीं वहां के उद्योगपति भी नरम होते दिखाई दे रहे हैं। इनका लगता है कि वर्तमान में अमेरिका से दोस्‍ती बनाए रखने में ही भलाई है। इसके बावजूद यदि इराक ने अमेरिका के हितों के खिलाफ जाकर कोई फैसला लिया तो इससे पड़ने वाले नकारात्‍मक प्रभाव का जवाब  देना सरकार के लिए मुश्किल हो जाएगा।  

बर्बाद हो सकता है इराक

स्‍पू‍तनिक अखबार ने इराकी इंवेस्‍टमेंट बैंक राबी सिक्‍योरिटी के चेयरमेन अब्‍द-अल-हसनेन-अल-हनेन का कहना है कि इराकी अर्थव्‍यवस्‍था में फेडरल रिजर्व का काफी बड़ा योगदान है। उनका कहना है कि यदि अमेरिका ने ये फैसला ले लिया तो इराक सब कुछ खो बैठेगा। वर्ष 2015 में भी अमेरिका ने फेडरल रिजर्व इराकी पहुंच पर रोक लगा दी थी। आपको बता दें कि फेडरल रिजर्व को यह हक हासिल है कि वह किसी देश पर प्रतिबंध लगने की सूरत में या फिर पैसे का इस्‍तेमाल किसी अन्‍य मद में होने की सूरत में या फिर इस संबंध में अमेरिकी नियमों का उल्‍लंघन होने पर रकम की निकासी पर रोक लगा सकता है और संबंधित देश की उस रकम तक पहुंच को रोक सकता है।   

अमेरिकी प्‍लान और ट्रंप की धमकी

इस धमकी के उलट अमेरिका की तरफ से यह भी कहा गया है कि अमेरिकी सेना की वापसी के लिए एक प्‍लान तैयार करने के बाबत एक आधिकारिक दल सरकार से बात करेगा। हालांकि अमेरिकी राष्‍ट्रपति इराकी संसद में पास हुए इस प्रस्‍ताव से काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि इराक में एयरबेस बनाने में अमेरिका ने करोड़ों डॉलर खर्च किए हैं। उन्‍होंने यहां तक कहा है कि उनके अपने कार्यकाल में इस कीमत की अदायगी के बगैर अमेरिकी फौज इराक से वापस नहीं आएगी। यदि ऐसा करना ही पड़ा तो ऐसे प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे कि जो पहले कहीं किसी पर नहीं लगे हैं। 

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