Exclusive: उत्तर कोरिया या किम को लेकर दक्षिण कोरिया में कोई तनाव नहीं!
उत्तर कोरिया के मुद्दे पर Jagran.Com से विशेष बातचीत में दक्षिण कोरिया में बतौर राजदूत अपनी सेवाएं दे चुके स्कदं एस तायल ने कई दिलचस्प खुलासे किए हैं।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। उत्तर कोरिया को लेकर दुनियाभर की मीडिया में भले ही खूब शोर हो, लेकिन उसके सबसे करीबी देश दक्षिण कोरिया में इसको लेकर कोई चिंता और तनाव नहीं है। न वहां की मीडिया में उत्तर कोरिया और किम को लेकर कोई तीखी बातें छपती हैं और न ही वहां के लोगों के माथे पर इसको लेकर कोई शिकन दिखाई देती है। यह कहना है कि दक्षिण कोरिया में रहे भारत के पूर्व राजदूत स्कंद एस तायल का। उन्होंने Jagran.Com के साथ विशेष बातचीत में कहा कि दुनिया की तमाम मीडिया में जिस तरह की खबरें और चर्चाएं उत्तर कोरिया और उसके तानाशाह किम जोंग उन को लेकर होती हैं, वैसी चर्चा कभी भी दक्षिण कोरिया की मीडिया में नहीं होती है। न ही वहां के अखबारों और न्यूज चैनलों में किम को लेकर कोई बयानबाजी होती है। इतना ही नहीं वहां के लोगों में किम के बयानों को लेकर कोई खौफ भी नजर नहीं आता। वह सामान्य की भांति बिना किसी तनाव के अपना काम करते हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिण कोरिया में रहने वाले भारतीयों के मन में भी इस बात को लेकर ऐसा कोई खौफ नजर नहीं आता है, जैसा बाकी दुनिया में दिखाई देता है।
उत्तर कोरिया को मानना होगा परमाणु ताकत संपन्न देश
इस विशेष बातचीत में पूर्व राजदूत ने स्पष्ट तौर पर कहा कि दुनिया को नॉर्थ कोरिया को एक न्यूक्लियर स्टेट के तौर पर स्वीकार करना होगा। इससे अधिक इस विवाद का हल कोई और नहीं हो सकता है। लेकिन अमेरिका कोरियाई प्रायद्वीप को गैर परमाणु प्रायद्वीप बनाना चाहता है। बदलते दौर में इस बात को दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि उत्तर कोरिया परमाणु शक्ति संपन्न है, लिहाजा आज जरूरत है कि उसको सही तरह से मैनेज किया जाए। इस बात को पूरे विश्व को समझना चाहिए। लड़ाई इसका समाधान नहीं है। इसका एक दूसरा तथ्य यह भी है कि लड़ाई के खिलाफ सबसे पहले खुद दक्षिण कोरिया ही है, इसलिए लड़ाई या सैन्य कार्रवाई का सवाल ही नहीं उठता है। इसके अलावा चीन भी खुद लड़ाई के खिलाफ है। वहीं एक हकीकत यह भी है कि दक्षिण कोरियाई सरकार और खुद किम भी एक-दूसरे के लिए कभी तीखे स्वर इस्तेमाल करते दिखाई नहीं देते हैं।
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तायल का कहना है कि ट्रंप चाहे कुछ भी तीखी बयानबाजी करें, लेकिन टिलरसन और जिम मैटिस इस बाबत काफी संभलकर बयान दे रहे हैं। अमेरिका ने यह भी साफ किया है कि किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई को बिना दक्षिण कोरिया की सहमति के नहीं किया जाएगा। टिलरसन इस बात को भी मान रहे हैं कि वह बातचीत को लेकर लगातार प्रयास कर रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरियाई मिशन समेत चीन से भी इस बाबत बातचीत जारी है।
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उत्तर कोरिया से संबंध तोड़ने की पेशकश खारिज
पूर्व राजदूत तायल ने उत्तर कोरिया से उपजे तनाव को कम करने में भारत की भूमिका से संबंधित प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि इसमें भारत की भूमिका काफी हद तक सीमित है। उनका कहना था कि हमारे संबंध काफी हद तक उत्तर कोरिया के साथ सीमित हैं। लेकिन यदि उत्तर कोरिया चाहेगा तो भारत मध्यस्थता भी कर सकता है। यहां पर हमें यह भी बात ध्यान में रखनी होगी कि दोनों ही देशों के दूतावास एक दूसरे के यहां पर काफी वर्षों से हैं। यहां पर यह भी बता देना जरूरी होगा कि भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने उत्तर कोरिया से संबंध तोड़ने की जो पेशकश भारत को की थी, उसको भारत ने खारिज कर दिया है। सुषमा स्वराज ने टिलरसन से हुई बातचीत के दौरान इस बात को साफ कहा कि उनकी संख्या काफी कम है। संबंधों को बनाए रखने और तनाव को कम करने में एक जरिये के तौर पर भी दूतावास को बनाए रखना जरूरी है। लिहाजा भारत ने इस तनाव को कम करने में अपनी भूमिका से पूरी तरह से हाथ नहीं खींचे हैं।
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इस खास बातचीत में उन्होंने माना कि यदि युद्ध की स्थिति बनी तो सियोल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा, क्योंकि यह महज 30 मील की दूरी पर है। उत्तर कोरिया के लिए यह सबसे करीबी निशाना होगा। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के लिए उस गुआम को बचाना काफी मुश्किल होगा। क्योंकि युद्ध की सूरत में गुआम उसका दूसरा सबसे बड़ा निशाना होगा, जहां अमेरिका के करीब दस हजार सैनिक हैं और सैन्य दृष्टि से यह काफी अहम ठिकाना है। तायल ने यह भी कहा कि युद्ध की सूरत में उत्तर कोरिया के हाथों कम से कम आठ से दस हजार अमेरिकी सैनिक जरूर मारे जाएंगे। इन्हें वह बचा नहीं सकेगा। उनका कहना था कि इस क्षेत्र में युद्ध छिड़ने की सूरत में भारत की भूमिका भी बेहद स्पष्ट है कि वह उस वक्त जापान और दक्षिण कोरिया के पक्ष में खड़ा होगा। इस बात का जिक्र खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों भारत की यात्रा पर आए जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे से भी किया है।
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