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...नहीं तो मेहनत बेकार चली जाएगी, जर्मनी के चांसलर के बयानों के पीछे छिपा है डर, जानें क्‍या है वजह

जर्मनी के चांसलर ने देशवासियों से कहा है कि यदि वो लापरवाह हुए तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। इसलिए घरों में रहें और सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करें।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 10 Apr 2020 04:35 PM (IST)
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...नहीं तो मेहनत बेकार चली जाएगी, जर्मनी के चांसलर के बयानों के पीछे छिपा है डर, जानें क्‍या है वजह
बर्लिन। एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जंग में उलझी हुई है वहीं कुछ देश ऐसे भी हैं जहां के लापरवाह लोगों ने सरकार की धड़कनें बढ़ा रखी हैं। इनमें से ही एक जर्मनी भी है। मौजूदा समय में जर्मनी में कोरोना वायरस के 118235 मामले सामने आ चुके हैं। अब तक 2607 लोग इसकी वजह अपनी जान गंवा चुके हैं। 52407 मरीज ठीक हुए हैं। यहां पर इसके एक्टिव मामलों की संख्‍या भी 63221 तक जा पहुंची है। इनमें 4895 मामले गंभीर श्रेणी के हैं। मरीजों की इतनी संख्‍या और इसकी वजह से हुई इतनी मौतों के बाद भी कुछ लोग सरकार की बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं।

यही वजह थी कि ईस्टर की पूर्व संध्या पर जर्मनी के चांसलर एंजेला मर्केल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोगों से फिर गुजारिश की कि वे लापरवाही न बरतें। डायचे वेले के मुताबिक, उन्‍होंने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में जर्मनी सही राह पर है। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की बदौलत संक्रमण के नए मामलों में कमी आई है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि भले ही ईस्टर का पर्व काफी बड़ा है, लेकिन इसमें भी सभी देशवासियों को सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों का कड़ाई से पालन करना होगा।

मर्केल ने कहा कि हम अब भी एक महामारी के दौर में जी रहे है। उन्‍होंने ये भी साफ कर दिया कि पाबंदियों के जल्‍द खत्‍म होने या करने की बातें या अटकलें फिलहाल बेमानी हैं। उन्‍होंने ये बात उन सवालों के जवाब में कही जिनमें उनसे लॉकडाउन खत्‍म के बारे में पूछा गया था। माना जा रहा था कि 19 अप्रैल से इन्‍हें चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा, लेकिन मर्केल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कर दिया है कि 19 अप्रैल के बाद ही पाबंदियों को हटाने पर कोई विचार किया जाएगा।

उन्‍होंने कहा कि देशवासी सोशल डिस्‍टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करें। बीते कुछ सप्‍ताह में हमने कोरोना वायरस के फैलाव को लेकर काफी कुछ सीखा है। अगर हम सब उन सावधानियों पर कायम रहे तो हमें उम्‍मीद है कि जर्मनी फिर से पटरी पर आ जाएगा नहीं तो सारी मेहनत बेकार चली जाएगी। गौरतलब है कि जर्मनी में 22 मार्च से ही कई तरह की पाबंदियां लागू हैं। वर्तमान में जर्मनी में पूरी तरह से लॉकडाउन है। इस दौरान केवल जरूरी सेवाएं ही जारी हैं।

इस दौरान मर्केल ने उन परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्‍यक्‍त की, जिन्‍होंने इस वायरस की चपेट के चलते अपनों को खो दिया है। उन्‍होंने कहा कि इस दुख की इस घड़ी में हम सभी को उन लोगों के साथ मजबूती से खड़े रहना है, जिन्‍होंने अपनों को इस जंग में खो दिया है। मर्केल ने इस दौरान जंग में फ्रंट फुट पर लड़ रहे डाक्‍टरों-नर्सों और दूसरे स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की भी जमकर तारीफ की है।

आपको बता दें कि फरवरी और मार्च के दौरान कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में आए आर्थिक संकट को लेकर विभिन्‍न वित्‍तीय संस्‍थाओं ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसकी वजह से दुनिया में आर्थिक मंदी आ सकती है। खुद जर्मनी के विशेषज्ञ मानते हैं कि यहां पर दस लाख नौकरियों पर इसकी वजह से संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस संकट से निपटने के लिए यूरोपीय संघ की एक अहम बैठक भी होने वाली है। इसमें यूरो जोन के लिए एक साझा रिकवरी फंड बनाने पर विचार किया जाना है। मर्केल ने उम्मीद जताई है कि इस बैठक में कोई हल जरूर निकलेगा।