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बदहाली की मार झेल रहे पाकिस्‍तान के पानी में बह गए करोड़ों डॉलर, कुछ नहीं आया हाथ!

कराची के समुद्र में पाकिस्‍तान को तेल और गैस की खोज में जबरदस्‍त झटका मिला है। करीब चार माह की खोज के बाद यहां करोड़ों डॉलर खर्च करके भी कुछ हाथ नहीं लगा।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 20 May 2019 08:20 AM (IST)
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बदहाली की मार झेल रहे पाकिस्‍तान के पानी में बह गए करोड़ों डॉलर, कुछ नहीं आया हाथ!
नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। रुपये-रुपये को मोहताज पाकिस्‍तान को कराची के समुद्र में हो रही तेल और गैस की खोज में जबरदस्‍त झटका लगा है। महीनों तक गहरे समुद्र में हुई खोज के बाद भी यहां पर पाकिस्‍तान को कुछ हाथ नहीं लगा। वहीं इस खुदाई में पाकिस्‍तान ने करीब 100 मिलियन डॉलर खपा दिए। पाकिस्‍तान के लिए यह झटका इस लिहाज से भी जबरदस्‍त है क्‍योंकि देश की आर्थिक हालत बेहद खराब हो चुकी है।

प्रधानमंत्री के स्‍पेशल असिसटेंट नदीम बाबर ने इसकी जानकारी दी है। कराची के केकरा -1 में तेल और गैस की खोज को लेकर खुद प्रधानमंत्री इमरान खान बेहद आशांवित थे कि उन्‍हें यहां पर कामयाबी हाथ लगेगी। उन्‍होंने खुद कहा था कि यदि इस खोज में सरकार सफल हो जाती है तो फिर पाकिस्‍तान को तेल के लिए किसी भी दूसरे देश के भरोसे नहीं रहना होगा और पाकिस्‍तान की जरूरत की पूर्ति कराची से ही हो जाएगी। लेकिन नदीम बाबर की तरफ से आए बयान से साफ हो गया है कि यहां पर पीएम के हाथ कुछ नहीं लगा है, अलबत्‍ता करोड़ों रुपये जरूर पानी में बह गए हैं।

गौरतलब है बीते पांच वर्षों में पाकिस्‍तान का रुपया अपने सबसे निचले स्‍तर पर पहुंच गया है। पाकिस्‍तान में एक डालर की कीमत 150 रुपये तक पहुंच गई है। इसके अलावा मुद्रास्फिति की दर में भी जबरदस्‍त इजाफा देखने को मिला है। आलम ये है कि खाने-पीने की चीजों के दामों में आई तेजी से लोगों में हाहाकार मचा हुआ है। पाकिस्‍तान की आर्थिक हालत को सुधारने के लिए सऊदी अरब, यूएई और चीन ने मदद की है। इसके अलावा अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष से भी कर्ज मिलने पर लगभग सहमति बनती दिखाई दे रही है।

आपको बता दें कराची तट के पास केकरा -1 (Indus G-Block) में खुदाई का काम करीब 5500 मीटर की गहराई तक किया गया था। इस खुदाई में यूएस की ऑयल जेंट कंपनी एक्‍सोन मोबिल, इटली की ईएनआई के साथ कुछ दूसरी कंपनियां भी शामिल थीं। इन सभी के अलावा ऑयल एंड गैस डेवलेपमेंट कंपनी लिमिटेड और पाकिस्‍तान पेट्रोलियम लिमिटेड इन कंपनियों को केकरा में खुदाई में दूसरी सहायता प्रदान कर रही थीं। इन सभी की इस प्रोजेक्‍ट में 25-25 फीसद की साझेदारी थी। बाबर की मानें तो मकसद में नाकाम रहने के बाद यहां पर खुदाई का काम रोक दिया गया है। आपको यहां पर बात दें कि पाकिस्‍तान को अपनी जरूरत का करीब 85 फीसद तेल विदेशों से खरीदना पड़ता है।

खुदाई के लिए कराची के समुद्र में 280 किमी के क्षेत्र को चुना गया था। इसी वर्ष 13 जनवरी को यहां पर खुदाई शुरू की गई थी। कुछ सर्वों में यह कहा गया था कि केकरा भारत के बॉम्‍बे हाई की तर्ज पर ही है। इसी वजह से यहां पर भारी मात्रा में तेल और प्राकृतिक गैस होने की उम्‍मीद भी जताई गई थी। जहां तक बॉम्‍बे हाई की बात है तो आपको बता दें कि यहां से करीब 350,000 बैरल प्रति दिन के हिसाब से कच्‍चा तेल निकाला जाता है। केकरा में निराशा हाथ लगने के बाद खुदाई से जुड़े अधिकारियों ने कहा है कि तेल और गैस का क्षेत्र हमेशा से हाई रिस्‍क और हाई रिवार्ड वाला रहा है। लिहाजा यहां पर फायदा और नुकसान कुछ भी हो सकता है। जहां तक बॉम्‍बे हाई की बात है तो भारत को यहां भी 40 कोशिशों के बाद सफलता हाथ मिली थी।

हालांकि पाकिस्‍तान के फेडरल मिनिस्‍टर फॉर मेरिटाइम अफेयर्स सैय्यद अली हैदर जैदी का कहना है कि पाकिस्‍तान ने यहां पर तेल और गैस की खोज के लिए 18 बार प्रयास किया था। इस दौरान अलग-अलग जगहों पर ड्रिलिंग की गई, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद भी उन्‍होंने यहां पर तेल और गैस मिलने की उम्‍मीद नहीं छोड़ी है। उनका कहना है कि भारत को 43वीं बार में, लिबिया को 58वीं बार में और नॉर्वे को 78वीं बार की गई खुदाई के दौरान इस क्षेत्र में सफलता मिली थी। इस सफलता को पाने के लिए करीब एक दशक का समय भी लगा था। उनका यह भी कहना है कि सरकार इस खोज को बंद नहीं करेगी।

इस मसले पर मंत्री और अधिकारी भले ही कुछ भी कहें लेकिन पाकिस्‍तान की विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का मन बना लिया है। पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो ने इस मुद्दे के साथ-साथ दूसरे मुद्दों पर भी सरकार को घेरने और विपक्ष को एकजुट करने के मकसद से इफ्तार पार्टी का आयोजन किया है। इसमें विपक्षी पार्टियों के कई बड़े नेताओं को शिरकत करने के लिए न्‍योता भेजा गया है। पीएमएल-एन, आवामी लीग, जमात ए इस्‍लामी ने इसकी तसदीक की है। विपक्ष लगातार खराब हो रही पाकिस्‍तान की आर्थिक हालत और लगातार गिरते रुपये पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है।    

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