पाकिस्तान के हालात बेहद खराब, नवाज की कुलसुम को नहीं मिल रहा अपना का साथ!
पाकिस्ताान में नवाज की पॉलिटिक्स पर जो वहां की कोर्ट ने प्रश्न चिंह लगाया है उसको देखकर लगता नहीं है कि उनकी एंट्री दोबारा देश की सियासत में हो पाएगी।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। पाकिस्तान की राजनीति इन दिनों बेहद नाजुक हालातों में दिखाई दे रही है। एक तरफ देश में केयरटेकर पीएम के हाथों में सत्ता की बागडोर है तो दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की राजनीति पर भी प्रश्न चिंह लगा हुआ है। उनकी राजनीति पर अब बड़ा सवाल इसलिए भी खड़ा हो गया है क्योंकि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने नवाज के द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका पनामागेट मामले में दिए गए कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी। लिहाजा नवाज ने अपनी राजनीति को बचाए रखने का आखिरी मौका भी गंवा दिया है। लिहाजा उनका कंट्री पॉलिटिक्स का चैप्टर अब लगभग खत्म होता दिखाई दे रहा है। यह पुनर्विचार याचिका नवाज के अलावा उनके बच्चों हुसैन, हसन, मरियम के अलावा उनके दामाद रिटायर्ड केप्टन मोहम्मद सफदर और वित्त मंत्री इशाक डार द्वारा दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद यह साफ हो गया है कि शरीफ को नेशनल अकांउटिबिलिटी ब्यूरो द्वारा दायर मामले में केस चलेगा।
PML-N ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण फैसला, इमरान खुश
नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि इससे पार्टी को काफी मायूसी मिली है। पार्टी की नेता और आईटी मंत्री अनुशा रहमान ने इस बाबत अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यहां तक कहा कि उनकी पार्टी को इस बात पर शक है कि एनएबी कोर्ट में शरीफ के साथ न्याय होगा और उनका मामला निष्पक्ष होकर सुना जाएगा। दूसरी ओर पीटीआई के प्रमुख इमरान खान ने फैसले का स्वागत करते हुए इसको सही बताया है। इमरान ने इस बात का आरोप भी लगाया कि नवाज ने इस मामले से जुड़े जज को हटाने की काफी कोशिश की जिससे मामले को लटकाया जा सके, लेकिन उनकी यह कोशिशें सफल नहीं हो सकीं।
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इस मामले में Jagran.Com से बात करते हुए पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर ने माना कि नवाज की राजनीति इस वक्त काफी संकट में है। नवाज के खिलाफ आए सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद उन्होंने इस फैसले को अधूरा बताया है। उनका यह भी कहना था कि इस फैसले के बाद भी नवाज की पार्टी चुप नहीं बैठेगी। हालांकि नवाज की राजनीति पर लगे प्रश्नचिंह पर उनका कहना था कि अभी भी उनकी वापसी की कुछ उम्मीद जरूर बाकी है। पूर्व विदेश सचिव का यह भी कहना था कि पाकिस्तान की जनता में कई चीजों को लेकर काफी रोष है, लिहाजा वहां के हालात काफी खराब हैं।
नवाज की मुश्किलें नहीं हुईं खत्म
नवाज की मुश्किलें यहीं पर खत्म नहीं हुई हैं। लाहौर सीट पर होने वाले चुनाव के प्रचार का पूरा दारोमदार उनकी बेटी मरियम पर है। इस सीट पर उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं दूसरी तरफ सूबे के मुखिया शाहबाज शरीफ और उनके बेटे हमजा वतन से बाहर लंदन में है। इस बात को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि शाहबाज ने लंदन में रहते हुए मरियम को पूरा प्रशासनिक अमला दे दिया है। अभी ये दोनों ही लंदन में है और चुनाव हो जाने के बाद पाकिस्तान लौटेंगे। हालांकि, अब तक पिता और बेटे ने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की है, लेकिन पूर्व गृह मंक्षी और शाहबाज के करीबी दोस्त, चौधरी निसार अली खान इस काम को बखूबी कर रहे हैं। निसार ने हाल ही में कहा था कि मरियम को पार्टी नेतृत्व के तौर पर नहीं अपनाया जा सकता है। निसान ने कहा था कि मरियम को सिर्फ नवाज शरीफ की बेटी समझा जा सकता है, उन्हें खुद को साबित करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। यह सीट जीतना नवाज की बीवी कुलसुम के लिए नाक का सवाल बन गई है।
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नवाज की छवि हुई दागदार
नवाज के राजनीतिक वारिस पर पूछे गए सवाल और इससे पार्टी पर पड़ने वाले असर पर बात करते हुए हैदर का कहना था कि फिलहाल ऐसा जरूर लगता है कि नवाज ने पार्टी में टूट को बचा लिया है। लेकिन चूंकि एक अहम इलेक्शन कैंपेन के बाद भी शाहबाज और उनका बेटा लंदन में हैं और उनकी वापसी को लेकर भी अभी कुछ तय नहीं है, ऐसे में पार्टी में सब कुछ ठीक है यह भी कहपाना थोड़ा मुश्किल है। उनका कहना था कि नवाज के मामले में न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की गलत छवि सामने आई है वहीं दूसरी तरफ नवाज की सियासत भी दागदार हुई है।
सेना भी खामोश
पाकिस्तान के खराब होते हालात और सेना की नीति पर उन्होंने कहा कि फिलहाल सेना पूरी तरह से खामोश है। इसकी दो वजह हो सकती है। इसमें सबसे पहली वजह सेना पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव और दूसरी वजह पाकिस्तान की आवाम। पाकिस्तान की आवाम नहीं चाहती है कि सेना सत्ता पर काबिज हो। दूसरी तरफ सेना को भी यह डर है कि वह यदि कोई ऐसा कदम उठाती है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका खामियाजा उसको उठाना पड़ सकता है। ऐसे में वह सिर्फ चुप रहकर ही पाकिस्तान का सियासी तमाशा देख रही है। हैदर ने कहा कि ऐसा करने वालों में सिर्फ सेना ही नहीं है बल्कि पाकिस्तान के दूसरे राजनीतिक और धार्मिक संगठन भी हैं जो इस मामले में कोई कुछ नहीं कह रहे हैं।
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अयोग्य ठहराए जाने के बाद नवाज ने दिया था इस्तीफा
दरअसल, नवाज शरीफ ने पनामागेट मामले में 28 जुलाई को दिए गए कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने उनपर इस मामले में मुकदमा चलाने के अलावा और उन्हें अयोग्य करार दिया था, जिसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा तक देना पड़़ा था।
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