पाकिस्तान के मौलवी कोरोना के खतरे से बेपरवाह, मांगी मस्जिद में नमाज की इजाजत, दे रहे धमकी
पाकिस्तान में सरकार के लिए कट्टरपंथी मौलवी बड़ी समस्या बन रहे हैं। उन्होंने मस्जिदों में सामूहिक नमाज पढ़ने की मांग को लेकर सरकार को खुली धमकी दी है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 15 Apr 2020 07:03 AM (IST)
इस्लामाबाद। एक तरफ जहां पाकिस्तान में कोरोना वायरस लगातार अपने पांव पसार रहा है वहीं, दूसरी तरफ कट्टरपंथी मौलवियों का गुट चाहता है कि सरकार मस्जिदों में सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने की बंदिशों को आगे बढ़ाने की भूल न करे। पाकिस्तान के अखबार द डॉन के मुताबिक, वक्फकुल मदरिस अल अरेबिया से जुड़े देश के करीब 50 से अधिक मौलवियों ने सरकार को इसके लिए चेतावनी भी दी है कि वो कोरोना वायरस का डर दिखाकर पाबंदियों को आगे न बढ़ाए। ये सभी मौलवी रावलपिंडी और इस्लामाबाद से ताल्लुक रखते हैं।
अखबार के मुताबिक, इन सभी ने इस्लामाबाद के जामिया दारुल उलूम जकारिया में एक बैठक की थी जिसमें कोरोना की वजह से मस्जिदों में नमाज पढ़ने पर लगी पाबंदी को हटाने और इसको लेकर सरकार को चेताने पर आम राय बनी। इस बैठक में इस संगठन से जुड़े वरिष्ठ मौलवियों के अलावा प्रतिबंधित संगठन अहले सुन्नत वल जमात के सदस्य भी शामिल हुए थे। बैठक के बाद कहा गया कि रमजान के पवित्र माह में इस तरह की कोई पाबंदी न लगाई जाए। अखबार के मुताबिक, इस बैठक का वीडियो भी जारी किया गया है। बैठक के बाद जामिया दारुल उलूम जकारिया के अध्यक्ष पीर अजिजुर रहमान हजारवी ने कहा कि हम किसी से टकराव की स्थिति को टालना चाहते हैं।
इसमें देश में इस दौरान नियमों को ताक पर रखने वाले मौलवियों की गिरफ्तारी पर नाराजगी जताते हुए उन्हें छोड़ने और उनके खिलाफ दर्ज मामलों को खत्म करने की भी मांग की गई है। रहमान ने कहा है कि सरकार के सभी अधिकारी और खुद पीएम भी मजहबी नियम कायदों से बंधे हुए हैं। इसमें कहा गया है कि सभी धार्मिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने इस जंग में सरकार का सहयोग दिया है, लेकिन सरकार उनके साथ सहयोग करने की तरह पेश नहीं आ रही है। लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अजीज ने भी इस्लामाबाद प्रशासन को सीधा चैलेंज देते हुए यहां तक कहा है कि वो उन्हें रोककर दिखाए। अफसोस की बात ये भी है कि उनकी इस धमकी के आगे इस्लामाबाद का प्रशासन बौना साबित हो रहा है। इसमें ये भी कहा गया कि मस्जिदों में नमाज के दौरान सभी व्यक्तियों की जांच, सोशल डिस्टेंसिंग समेत दूसरी जरूरी एहतियात भी बरती जाएंगी। आपको बता दें कि जामिया दारुल उलूम जकारिया पाकिस्तान के जमियत उलेमा इस्लाम फजल (JUI-F)का ही एक हिस्सा है।
पाकिस्तानी मौलवियों का ये बयान ऐसे समय में आया है जब बीते दिनों तबलीगी जमात की वजह से अचानक कोरोना वायरस के मरीजों में तेजी देखने को मिली है। समूचे पाकिस्तान में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 5707 तक पहुंच गई है। यहां के सिंध और पंजाब प्रांत इसकी वजह से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। पंजाब में जहां कोरोना वायरस के मरीजों का आंकड़ा 2826 तक जा पहुंचा है वहीं, सिंध में कोरोना वायरस से संक्रमित 1452 मरीज हैं। इसके अलावा खैबर पख्तूनख्वा में 800 मरीज, बलूचिस्तान में 231 मरीज, गिलगिट बाल्टिस्तान में 224 मरीज, इस्लामाबाद में 131 मरीज और गुलाम कश्मीर में 43 मरीज अब तक सामने आए हैं। अब तक पाकिस्तान में इसकी वजह से 96 मरीजों की मौत हो चुकी है और 1092 मरीज ठीक भी हुए हैं।
सरकार की तरफ बार-बार सोशल डिस्टेंसिंग पर अमल करने की बात कही जा रही है, लेकिन ये मौलवी इन बातों को नजरअंदाज कर सरकार की परेशानियों को कम करने की बजाए बढ़ाने पर आमादा है। इतना ही नहीं ये सभी लोग इस बात को नजरअंदाज कर रहे हैं कि यदि इस तरह से उन्हें सरकार ने दबाव में इजाजत दे भी दी तो इसका कितना खतरनाक अंजाम होगा। ये हाल तब है जब प्रधानमंत्री इमरान खान बार-बार देश की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था और खराब माली हालत का जिक्र कई बार कर चुके हैं। इसके अलावा कोरोना वायरस से लड़ने में लापरवाही को लेकर सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार पर कड़ी टिप्पणी भी की और पीएम के स्वास्थ्य मामलों के सलाहकार, जो पूरे देश में कोरोना से लड़ने में होने वाली कवायद के जिम्मेदार थे उन्हें हटाने का आदेश भी दे दिया।
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