कोई सुनने को तैयार नहीं पाकिस्तान का कश्मीर राग, फिर भी लिखा यूएन को पत्र
पाकिस्तान ने छठी बार कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र का दरवाजा खटखटाकर खुद को फिर शर्मिंदा करने की तैयारी कर दी है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 20 Nov 2019 08:28 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। कश्मीर मसले पर हर बार मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने फिर से संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे को लेकर एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कुरैशी ने एक बार फिर से भारत के ऊपर बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। कुरैशी ने इस खत में लिखा है कि पाकिस्तान भारत द्वारा किए गए जम्मू कश्मीर के बंटवारे को नहीं मानता है। पाक के विदेश मंत्री ने इसको गैरकानूनी घोषित किया है। उनके इस पत्र को संयुक्त राष्ट्र महासचिव के अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भेजा गया है।
फिर लगाए बेबुनियाद आरोप पाकिस्तान का आरोप है कि पाकिस्तान का कहना है कि जम्मू कश्मीर को बांटकर दो केंद्र शासित प्रदेश बनाना सुरक्षा परिषद प्रस्ताव का उल्लंघन है। आपको बता दें कि इस मसले पर पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र को लिखा गया यह छठा पत्र है। लिहाजा यहां पर ये बताना कोई मायने नहीं रखता है कि पाकिस्तान के पहले पांच पत्रों का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र में क्या हष्र हुआ है।
इसलिए बौखलाया है पाकिस्तान दरअसल, अगस्त 2019 को भारत ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर इसका पुनर्गठन का बिल पास किया गया था। इसके तहत जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था। इस घोषणा के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। इसकी दूसरी वजह ये भी है कि सरकार ने इस फैसले को लागू करने के दौरान बेहद सावधानी बरती। इस दौरान आतंकियों का सफाया जारी रहा। पाकिस्तान की समस्या ये है कि भारत लगातार आतंकियों के खिलाफ बेहद आक्रामक रुख अपना रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान के लिए उसकी सीमा पर बैठे आतंकियों का भारत में घुसना मुश्किल हो रहा है। इस वजह से पाकिस्तान के जम्मू कश्मीर में अशांति फैलाने के मंसूबे कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। वहीं उसकी धुन पर राग अलापने वाले नेता अभी भी नजरबंद हैं।
सभी देशों ने किए दरवाजे बंद गौरतलब है कि अगस्त के बाद से पाकिस्तान ने कई देशों में भारत के खिलाफ अपने तय एजेंडे के मुताबिक दुष्प्रचार किया। इसके बावजूद चीन को छोड़कर उसका साथ किसी ने नहीं दिया। चीन ने भी इसलिए उसका साथ दिया क्योंकि जम्मू कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान ने हथिया रखा है उसका कुछ भाग वह चीन को दे चुका है। यहां से ही पाक-चीन कॉरिडोर भी है। इन दोनों देशो की समस्या सिर्फ यहां तक ही सीमित नहीं रही है। असल में भारत ने जम्मू कश्मीर का जो नया नक्शा जारी किया है उसमें साफतौर पर गुलाम कश्मीर समेत गिलगिट बलूचिस्तान को शामिल किया गया है। भारत की तरफ से यह भी साफ कर दिया गया है कि वह इस हिस्से को वापस लेकर रहेगा।
कुरैशी के खत में साफ झलक रहा डर यह डर कुरैशी के पत्र में भी साफतौर पर दिखाई देता है। इस पत्र में कुरैशी ने राजनाथ सिंह के उस बयान को अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ बताया है। इतना ही नहीं कुरैशी के पत्र में जनरल बिपिन रावत के उस बयान पर भी आपत्ति जताई गई है जिसमें उन्होंने कहा था कि अपना भू-भाग वापस लेने के लिए सेना को सिर्फ सरकार के आदेश का इंतजार है। जनरल रावत ने ये भी कहा था कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के लॉन्च पैड को नष्ट किया है। इस बयान पर कुरैशी का कहना है कि भारत को इन लॉन्च पैड की सही लोकेशन की जानकारी पाकिस्तान को देनी चाहिए थी, जो उन्होंने नहीं दी।
सच्चाई कह चुके हैं इमरान कुरैशी ने अपने पत्र में यहां तक लिखा है कि उनकी जमीन पर कोई भी आतंकी कैंप नहीं है, जबकि इसकी हकीकत खुद पाकिस्तान के पीएम इमरान खान बयां कर चुके हैं। उन्होंने माना था कि पाकिस्तान की जमीन पर हजारों की संख्या में आतंकी मौजूद हैं। इसका एक प्रमाणिक तथ्य एफएटीएफ द्वारा पाकिस्तान को ग्रे सूची में बनाए रखना भी है। यहां पर पाकिस्तान या कुरैशी को ये बताने की जरूरत नहीं है एफएटीएफ ने ये फैसला क्यों लिया है।
नहीं मानी दो स्ट्राइक की बात गौरतलब है कि सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक की बात को झुठलाता रहा है। जबकि इन दोनों हमलों का सुबूत भारत ने अंतरराष्ट्रीय जगत को मुहैया करवाए थे। कुरैशी ने अपने पत्र में भारत पर सीजफायर उल्लंघन का आरोप लगाया है। जबकि हकीकत ये है कि पाकिस्तान लगातार सीमा पर हमले कर रहा है। गौरतलब है कि यह हमले आतंकियों को घुसपैठ कराने के मकसद से करवाए जाते हैं।
सऊदी के क्राउन प्रिंस की नाराजगी आपको यहां पर ये भी बता दें कि पाकिस्तान लगातार कश्मीर को लेकर झूठ फैलाने की कोशिश कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के भाषण में भी इमरान खान ने इस झूठ को ही फैलाया था, लेकिन दुनिया ने इसको नहीं माना है। खुद पाकिस्तान के नेता मानते हैं कि कश्मीर पर इमरान की मुहिम बुरी तरह से विफल साबित हुई है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस की नाराजगी इसका जीता जागता उदाहरण है।
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