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सऊदी क्राउन प्रिंस की नाराजगी और विपक्ष के होने वाले प्रदर्शन से हिल गई है इमरान की सियासी जमीन

इमरान खान फिलहाल दो मोर्चे पर एक साथ घिरे हुए हैं। एक तो सऊदी क्राउन प्रिंस की नाराजगी तो दूसरी तरफ उनके खिलाफ होने वाला प्रदर्शन।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 14 Oct 2019 12:27 AM (IST)
सऊदी क्राउन प्रिंस की नाराजगी और विपक्ष के होने वाले प्रदर्शन से हिल गई है इमरान की सियासी जमीन
नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पाकिस्‍तान के सियासी और आर्थिक हालात लगातार खराब होते जा रहे है। 27 अक्‍टूबर को विपक्षी नेता फजलुर रहमान के नेतृत्‍व में होने वाला प्रदर्शन भी इमरान खान के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। इसमें कई दूसरी विपक्षी पार्टियां भी शिरकत करने वाली हैं। वहीं राजनीतिक स्‍तर पर कश्‍मीर के मसले पर हुई हार और सऊदी क्राउन प्रिंस की नाराजगी ने भी उनकी सियासी जमीन को हिला रखा है। इमरान खान के ईरान और सऊदी अरब के दौरे ने भी इस नाराजगी को पुख्‍ता कर दिया है। यही वजह है कि उनके सऊदी अरब के दौरे को क्राउन प्रिंस की मान-मनौवल के तौर पर देखा जा रहा है। वह इस दौरान ईरान भी जाएंगे। पाकिस्‍तान ने इस दौरे को यह कहते हुए तवज्‍जो दी है कि इमरान पश्चिम एशिया में शांति बहाली की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरे में पहला पड़ाव ईरान तो दूसरा सऊदी अरब है। 

इस वजह से नाराज हैं क्राउन प्रिंस

आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि इमरान खान संयुक्‍त राष्‍ट्र की आम सभा को संबोधित करने के लिए सऊदी क्राउन प्रिंस के ही विमान में न्‍यूयॉर्क गए थे। लेकिन इस दौरान क्राउन प्रिंस ने इमरान को सख्‍त लहजे में वहां पर कश्‍मीर का मुद्दा न उछालने और इसको मुस्लिम राष्‍ट्रों का मुद्दा न बनाने को लेकर सख्‍त हिदायत दी थी। लेकिन, इमरान खान ने उनकी बात को नजरअंदाज करते हुए न सिर्फ यूएन के मंच से कश्‍मीर राग अलापा बल्कि इसको मुस्लिम राष्‍ट्रों का मुद्दा बताकर क्राउन प्रिंस की तौहीन भी की। इससे खफा होकर क्राउन प्रिंस ने अपना जेट वापस बुला लिया था, जिसके बाद इमरान खान को दूसरी कमर्शियल फ्लाइट से स्‍वदेश आना पड़ा था। 

नाराजगी की वजह

क्राउन प्रिंस की नाराजगी की ही बात करें महज यूएनजीए का उनका भाषण की एक वजह नहीं है बल्कि इसकी एक दूसरी बड़ी वजह पिछले दिनों सऊदी की तेल कंपनी आरामको पर हुआ हमला भी है। दरअसल, पाकिस्‍तान के पूर्व सेनाध्‍यक्ष वर्तमान में इस्‍लामिक मिलिट्री काउंटर टेररिज्‍म कॉलिशन (Islamic Military Counter Terrorism Coalition) के कमांंडर इन चीफ हैं। नवंबर 2016 में सेनाध्‍यक्ष पद से रिटायर्ड होने के बाद उन्‍हें यह पद सौंपा गया था। ऐसे में आरामको पर हमले ने न सिर्फ उनकी छवि को धूमिल किया है, बल्कि पाकिस्‍तान आर्मी और पूरे देश की छवि को खराब किया है। आरामको पर हमला और इमरान खान का भाषण दोनों ही कम समय में घटी दो बड़ी घटनाएं हैं जिनकी वजह से सऊदी अरब पाकिस्‍तान से खफा है। आपको बता दें कि सऊदी अरब ने ही पाकिस्‍तान की माली हालत सुधारने के लिए काफी कर्ज दिया है। 

कर्ज में डूबता पाकिस्‍तान 

जहां तक पाकिस्‍तान के कर्ज की बात है तो आपको बता दें कि इमरान खान की सरकार में देश के कुल कर्ज में 7509 अरब रुपये की वृद्धि हुई है। इसमें विदेश से लिया गया कर्ज 2804 अरब रुपए और घरेलू स्रोतों से लिया गया कर्ज करीब 4705 अरब रुपए है। वर्तमान में पाकिस्‍तान सरकार पर 32240 अरब रुपये का कर्ज है। ऐसे में पाकिस्‍तान की चिंता एफएटीएफ की आगामी बैठक को लेकर भी है, जिसमें उसको ब्‍लैकलिस्‍ट किया जा सकता है।  

मजबूत स्थिति में सऊदी अरब 

यहां पर ये जान लेना भी बेहद जरूरी है कि पाकिस्‍तान के लिए सऊदी अरब की क्‍या अहमियत है। दरअसल, मिडिल ईस्‍ट के 15 देशों में कतर, कुवैत और यूएई के बाद सऊदी अरब चौथे नंबर का सबसे अमीर देश है। इसी वर्ष फरवरी में जब क्राउन प्रिंस पाकिस्‍तान गए थे तब भी उन्‍होंने पाकिस्‍तान से 20 बिलियन डॉलर के निवेश के समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए थे। इतना ही नहीं पाकिस्‍तान पर जब-जब संकट आया है तब-तब सऊदी अरब ने ही उसका हाथ थामा है। ऐसे में सऊदी क्राउन प्रिंस की नाराजगी इमरान खान के लिए घाटे का सौदा हो सकती है। यही वजह है कि इमरान खान वहां जाकर इस नाराजगी को दूर करने की कोशिश करेंगे। 

यहां भी करें गौर

अब 27 अक्‍टूबर पर भी गौर करना जरूरी है। दरअसल, फजलुर रहमान की गिनती पाकिस्‍तान की सियासत में बड़े कद वाले नेता के तौर पर होती है। इमरान खान के खिलाफ होने वाले इस प्रदर्शन के वही पटकथा लेखक भी हैं। इसके अलावा इस प्रदर्शन के लिए विपक्षी पार्टियों को एकजूट करने में उन्‍होंने काफी मशक्‍कत भी की है। इसके अलावा इमरान खान रहमान की शख्सियत से बखूबी वाकिफ हैं। हकीकत ये है कि फजलुर रहमान पाकिस्‍तान में चल रहे सभी मदरसों पर निगाह रखते हैं। उनकी ही सरपरस्‍ती में पाकिस्‍तान के सभी मदरसे काम करते हैं।

पाक मीडिया में बहस

पाकिस्‍तान मीडिया में 27 अक्‍टूबर को होने वाले प्रदर्शनों को लेकर जो बहस चल रही है उसमें कहा जा रहा है कि अपने इस प्रदर्शन में फजलुर रहमान मदरसों के जरिए हजारों ही नहीं लाखों की भीड़ एकत्रित कर सकते हैं। वहीं जानकार ये भी मानते हैं कि पाकिस्‍तान में मदरसों की तादाद और ताकत काफी बड़ी है। लिहाजा इमरान खान इससे दो-चार नहीं होना चाहते हैं। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्‍योंकि फजलुर रहमान का यह प्रदर्शन काफी पहले से तय हो चुका था, जबकि इमरान के सऊदी अरब और ईरान जाने की घोषणा इसके काफी बाद में हुई है। 

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