जानें कोरोना के दौर में लगे लॉकडाउन में कैसे काम करता है डिजिटल ट्रेकिंग सिस्टम
मास्को में कोरोना से निपटने क लिए डिजिटल ट्रेकिंग सिस्टम बनाया गया है। हालांकि इसकी आलोचना भी हो रही है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 19 Apr 2020 06:29 PM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। रूस की राजधानी मॉस्को में कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन को प्रभावी बनाने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग की व्यवस्था की गई है। आलोचक इसे निजता के लिए अभूतपूर्व खतरा बता रहे हैं। हालांकि मॉस्को के हालात को देखते हुए मेयर सर्जेई सोबयानिन कहते हैं कि पहले जहां रोजाना 500 लोग अस्पतालों में भर्ती होते थे, अब यह संख्या 1,300 हो गई है। रोगियों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर ही डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम की घोषणा की गई है। इस प्रणाली खूबियों पर पेश है एक नजर:
क्या है व्यवस्था
मॉस्को तथा इसके आसपास रहने वाले 14 साल से ज्यादा उम्र के लोग यदि शहर में निकलना चाहते हैं तो उन्हें एक क्यूआर कोड डाउनलोड करना होगा। सरकारी वेबसाइट पर रजिस्टर कर या अपने स्मार्ट फोन में एक एप डाउनलोड कर नागरिक अपने यात्रा मार्ग और यात्रा के मकसद की पूर्व घोषणा कर सकते हैं। इसके बाद एक क्यूआर कोड मिलेगा जिसे अधिकारी जांच सकेंगे।
नए सिस्टम से विपक्षी नाराज
विपक्षी नेताओं ने चेताया है कि नए सिस्टम से अभूतपूर्व सरकारी घुसपैठ होगी। उदाहरण के तौर पर सभी यूजर्स को रजिस्टर या उनके मौजूदा पेज को सरकारी ई-पोर्टल से लिंक करना होगा, जो यूजर का ट्रैफिक फाइन, यूटिलिटी बिल, विदेशी पासपोर्ट जैसे डाटा को भी स्टोर करेगा। यूजर को कहां से कहां तक जाना है, कार का नंबर तथा पहचान भी अपलोड करनी होगी। विपक्षी नेता मैक्सिम काट्ज कहते हैं कि एक तरफ तो आप कहते हैं कि हालात नियंत्रण में हैं और सिर्फ बुजुर्गों की मौत हो रही है और दूसरी तरफ आप कोई आर्थिक मदद नहीं दे रहे हैं तो लोग घर पर नहीं बैठेंगे, भले ही आप कितने ही पास की व्यवस्था लागू करें।
शु्रुआत सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वालों से, फिर बढ़ेगा दायरा शुरुआत में यह व्यवस्था सिर्फ सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वालों पर लागू होगी लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इसे धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा। पुलिस उन क्यूआर कोड को स्कैन कर यह पता करेगी कि क्या कहीं कोई गलत जानकारी तो नहीं दी गई है। यदि झूठ पकड़ा जाता है तो पुलिस जुर्माना भी लगा सकती है। काम पर जाने वालों को खास किस्म के असीमित पास दिए जाएंगे, लेकिन निजी काम के लिए सप्ताह में सिर्फ दो पास जारी होंगे और ये एक-एक दिन के लिए ही मान्य होंगे। उल्लेखनीय है कि सरकार पहले से ही कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा फेशियल रिकॉगनिशन जैसी कई नई तकनीक को आजमा रही है।
गलत हाथों में जा सकता है रिकॉर्ड दूसरी ओर, रूस में इंटरनेट स्वतंत्रता की निगरानी करने वाले एक समूह रॉस्कॉमसोवोडा ने नए टूल को ‘सर्विलांस रेस’ का एक हिस्सा करार दिया है और कोरोना संकट का समय खत्म होने के बाद कायम रहने वाली पाबंदियों की मॉनिटरिंग का एक ‘डिजिटल सिविल राइट्स अब्यूज’ मैप बनाया है। जबकि मॉस्को के मेयर दफ्तर का कहना है कि सेल्फ आइसोलेशन का समय समाप्त होने के बाद सभी डाटा डिलीट कर दिए जाएंगे। इसके बावजूद विशेषज्ञ इस आशंका से चिंतित हैं कि लोगों की पूरी प्रोफाइल तथा उनके हर कदम के विस्तृत रिकॉड्र्स गलत हाथों में जा सकते हैं।
लॉकडाउन की होगी प्रभावी मॉनिटरिंग शहर के अधिकारियों ने पहले तो इस परमिट योजना को यह कहते हुए समर्थन देने से मना किया कि वे सेल्फ आइसोलेशन की दर से खुश हैं। लेकिन जब कोरोना वायरस संक्रमण की दर बढ़ने लगी तो यह व्यवस्था महत्वपूर्ण हो गई। वहीं, मास्को के मेयर सर्जेई सोबयानिन पुराने अनुभव से खुश नहीं हैं। पिछले सप्ताह लॉकडाउन जब स्वैच्छिक था तो लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर निकलते थे। इसके कारण अधिकारियों ने नियम सख्त किए और शहरवासियों को सिर्फ नजदीकी स्टोर्स तक जाने और कुत्ते को अपने घर के 100 मीटर के इर्द-गिर्द ही घुमाने का निर्देश दिया। इसका उल्लंघन करने पर जुर्माना लग सकता है। आंकड़ों से स्पष्ट होता है लोग लॉकडाउन का उल्लंघन करते हैं।
सोबयानिन ने दस अप्रैल को ट्रैकिंग सिस्टम चालू होने की घोषणा की थी और उसी दिन शहर के कोरोना वायरस रिस्पॉन्स मुख्यालय ने बताया कि एक चौथाई से ज्यादा आबादी छह घंटे से अधिक समय तक अपने घरों से बाहर रही। सेल्फ आइसोलेशन इंडेक्स की गणना करने के लिए रूस के एक तकनीकी दिग्गज यान्डेक्स द्वारा बनाए गए एक मैप से पता चलता है कि मास्को के वासी सेल्फ आइसोलेशन नियमों को तोड़कर ज्यादा इत्मिनान में थे।
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