Modi-Putin Friendship: राजनीतिक करियर ही नहीं इनके विवादों में भी है कई समानताएं
पुतिन ने बुधवार को कहा था कि वह हमेशा मोदी के संपर्क में रहते हैं। दोनों की घनिष्ठता जगजाहिर है और कई बार देखी जा चुकी है। इसकी वजह दोनों का एक जैसा व्यक्तित्व और...
By Amit SinghEdited By: Updated: Thu, 05 Sep 2019 10:39 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की रूस की यात्रा पर हैं। आज उनका दौरान पूरा हो जाएगा। आज ही मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रू द अपोस्टल' से सम्मानित किया जाएगा। वह ऐसे दूसरे अंतरराष्ट्रीय नेता हैं, जिन्हें रूस ये सम्मान देने जा रहा है। इससे पहले चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को भी यह सम्मान दिया जा चुका है। इस यात्रा के दौरान भारत-रूस के बीच कई समझौतों और साझा बयान के अलावा दोनों नेताओं की गहरी दोस्ती का नजारा एक बार फिर देखने को मिला। दोनों ने गले मिलकर और हाथ मिलाकर एक दूसरे का अभिवादन किया।
पक्की दोस्ती
मोदी-पुतिन की इस दोस्ती की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बुधवार को ही पुतिन ने कहा था कि वह हमेशा पीएम मोदी के संपर्क में रहते हैं। इन दोनों के इस याराने की वजह दोनों की बेहतरीन केमेस्ट्री और एक जैसा व्यक्तित्व है। दोनों नेताओं के निजी जीवन से लेकर राजनीतिक करियर और यहां तक कि विवादों में भी गहरी समानता है। 19 प्वाइंट्स में जानें- दोनों दिग्गज नेताओं के बीच कौन-कौन सी समानता और विषमता है।
मोदी-पुतिन की इस दोस्ती की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बुधवार को ही पुतिन ने कहा था कि वह हमेशा पीएम मोदी के संपर्क में रहते हैं। इन दोनों के इस याराने की वजह दोनों की बेहतरीन केमेस्ट्री और एक जैसा व्यक्तित्व है। दोनों नेताओं के निजी जीवन से लेकर राजनीतिक करियर और यहां तक कि विवादों में भी गहरी समानता है। 19 प्वाइंट्स में जानें- दोनों दिग्गज नेताओं के बीच कौन-कौन सी समानता और विषमता है।
मोदी-पुतिन में समानताएं
1. मजबूत इच्छाशक्ति - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन दोनों ही अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के लिए जाने जाते हैं। इन दोनों राजनेताओं का स्वभाव किसी से डरने या दबने का नहीं है। बालाकोट एयर स्ट्राइक हो या उरी हमले के बाद सीमा पार किया गया सर्जिकल स्ट्राइक, दुनिया कई बार पीएम मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति और सख्त फैसलों से वाकिफ हो चुकी है। 2. सामान्य पृष्ठभूमि - ये दोनों नेता सामान्य पृष्ठभूमि के साधारण परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मतलब राजनीति में इन्होंने अपने दम पर बहुत नीचे से शुरूआत करते हुए मुकाम बनाया।। राजनीति इन्हें विरासत में नहीं मिली है।
1. मजबूत इच्छाशक्ति - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन दोनों ही अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के लिए जाने जाते हैं। इन दोनों राजनेताओं का स्वभाव किसी से डरने या दबने का नहीं है। बालाकोट एयर स्ट्राइक हो या उरी हमले के बाद सीमा पार किया गया सर्जिकल स्ट्राइक, दुनिया कई बार पीएम मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति और सख्त फैसलों से वाकिफ हो चुकी है। 2. सामान्य पृष्ठभूमि - ये दोनों नेता सामान्य पृष्ठभूमि के साधारण परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मतलब राजनीति में इन्होंने अपने दम पर बहुत नीचे से शुरूआत करते हुए मुकाम बनाया।। राजनीति इन्हें विरासत में नहीं मिली है।
3. अचानक मिली गद्दी - दोनों नेताओं को अचानक गद्दी मिली। मोदी अचानक ही गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। वहीं रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी अचानक ही पहले प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति बने थे। 1991 में USSR के विखंडन के बाद बोरिस येल्तसिन रूस के राष्ट्रपति बने थे। वही पुतिन को सक्रिय राजनीति के मैदान में लेकर आए। उन्होंने ही उन्हें प्रधानमंत्री बनवाया था। उधर बोरिस येल्तसिन के नेतृत्व में रूस की हालत लगातार खराब हो रही थी। उनकी लोकप्रियता तेजी से गिरी और इस तरह पुतिन को रूस का राष्ट्रपति बनने का अवसर मिला। पहले कार्यकाल में ही पुतिन के मजबूत फैसलों ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला दिया। इससे वह काफी लोकप्रिय हो गए। ठीक इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत की थी। दोनों नेताओं ने न केवल अपनी लोकप्रियता बढ़ाई, बल्कि अपने मजबूत फैसलों से सत्ता में पूरी तरहसे छा गए।
4. राजनीतिक परवरिश- मोदी के व्यक्तित्व और लाइफ स्टाइल को आरएसएस द्वारा आकार दिया गया। आरएसएस की छत्र-छाया में नरेंद्र मोदी की राजनीतिक परवरिश हुई। वहीं पुतिन के व्यक्तित्व व लाइफ स्टाइल को केजीबी (KGB) ने आकार दिया।
5. घोर राष्ट्रवादी- पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन दोनों की छवि घोर राष्ट्रवादी (Hardcore Naionalist) की है।
6. मजबूत राजनेता- इन दोनों राजनेताओं ने अपने-अपने देश में राजनीतिक के उच्च मानक स्थापित किए हैं। साथ ही खुद को एक मजबूत राजनेता के तौर पर पेश किया है।7. विपक्ष का सफाया- दोनों राजनेताओं ने अपने-अपने देश में विपक्ष का लगभग सफाया कर दिया। मतलब इनके सामने विपक्ष काफी बौना हो चुका है।8. राजनीति से असहमत- दोनों नेताओं में इतनी समानताएं है कि इनके बारे में दोनों देशों में एक जैसी ही नकारात्मक विचारधारा भी है। दोनों देशों में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो इनके राजनीतिक तौर-तरीकों से असहमत हैं।9. कट्टर छवि- दोनों राजनेताओं की छवि कट्टरवादी के तौर पर पेश की जाती रही है। विपक्ष पीएम मोदी की छवि को कट्टर हिंदूवादी के तौर पर पेश करता रहा है। 2002 के गुजरात दंगों में भी विपक्ष उनका नाम घसीटता रहा है। ठीक इसी तरह पुतिन पर भी 1999 के अपार्टमेंट ब्लास्ट की साजिश में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। दोनों नेताओं में ये भी अजब संयोग है कि इन विवादों के बाद ही उनका राजनीतिक कद बढ़ना शुरू हुआ। इसके बाद से ही दोनों राजनेता लगातार मीडिया की सुर्खियों में छाए रहने लगे।10. सार्वजनिक जीवन- दोनों राजनेता घरेलू स्तर पर हमेशा मीडिया से घिरे रहते हैं। इन्हें सार्वजनिक रूप से चौकस रहने के लिए जाना जाता है। दोनों नेता हर वक्त, राजनयिकों और मंत्रियों से घिरे रहते हैं। इससे संकेत मिलता है कि दोनों नेता हर वक्त काम करते रहते हैं।11. राजनीतिक चुनौतियां- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सामने राजनीतिक चुनौतियां भी एक जैसी ही हैं। दोनों नेता बढ़ते अपराध और गरीबी की समस्याओं से जुझ रहे हैं और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने के लिए कठोर प्रयास कर रहे हैं।12- स्वस्थ्य रहने को प्राथमिकता - दोनों ही नेता खुद को फिट रखने की पूरी कोशिश करते हैं। इसके लिए जहां पीएम मोदी योग का सहारा लेते हैं वहीं पुतिन जिम जाने के साथ दूसरी तरह से भी एक्सरसाइज करते हैं। घुड़सवारी, स्विमिंग के साथ साथ वह जब वक्त मिलता है तो जूडो कराटे में भी हाथ आजमाते हैं। आपको बता दें कि राजनीति में आने से पहले वह केजीबी एजेंट थे। इसके अलावा वे ब्लैक बैल्ट भी हैं। मोदी-पुतिन में विषमताएं
1. प्रधानमंत्री मोदी की दिनचर्या काफी चुस्त है और वह समय के बहुत पाबंद हैं। इसके विपरीत रूसी राष्ट्रपति पुतिन हर काम में देरी करते हैं। उनके दिन की शुरूआत दोपहर बाद स्वीमिंग से होती है। इन विषमताओं के बावजूद दोनों नेता काफी चुस्त-दुरुस्त रहते हैं।2. दोनों नेताओं की संपत्ति की भी दूर-दूर तक तुलना नहीं की जा सकती है।3. भारत में चुनाव प्रक्रिया बहुत निष्पक्ष होती है और प्रधानमंत्री मोदी के लिए काफी महत्व रखती है। उन्हें नगर निगम चुनावों से लेकर केंद्र के लोकसभा चुनावों तक में विपक्षी दलों के भारी विरोधों और तरह-तरह के आरोप-प्रत्यारोपों का सामना करना पड़ता है। इसके विपरीत रूस में चुनाव एक मजाक है, क्योंकि वहां पर वास्तविक विपक्ष का भारी अभाव है। इसलिए व्लादिवोस्तोक से सेंट पीटर्सबर्ग तक पुतिन सर्वेसर्वा हैं और सत्ता पर उनका एकाधिकार है।4. मोदी सरकार में वैश्विक मंदी के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था और जीडीपी अच्छे स्तर पर व संतोषजनक बनी हुई है। तमाम चुनौतियों के बावजूद व्यवसाय अच्छे से चल रहे हैं। वहीं पुतिन सबसे बड़े देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जहां रूबल (स्थानीय मुद्रा) और तेल कारोबार रूस का साथ नहीं दे रहे हैं। इस वजह से रूस में सभी तरह के व्यापार और उद्योग अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों नेता
1. प्रधानमंत्री मोदी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नए हैं। इसलिए वह सीरियाई और दक्षित चीन के मुद्दों पर खुलकर बात नहीं कर रहे हैं। वह दुनिया के हर नेता से गर्मजोशी से और पूरे प्रोटोकॉल के साथ मिलते हैं। सीमा के मुद्दों को सभी देश में अलग-अलग तरीके से लिया जाता है, लेकिन मोदी अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सुझावों पर ध्यान देते हैं। विदेशों में उच्च प्रोफाइल शो और भाषणों के अलावा मोदी, पुतिन की तुलना में अंतरराष्ट्रीय मीडिया और राजनीति को एक हद तक प्रभावित करने में असमर्थ रहे हैं।2. पुतिन हर जगह अपना व्यापार देखते हैं। उन्हें किसी देश द्वारा दिए जाने वाले फैंसी प्रोटोकॉल से कोई मतलब नहीं है और न ही वो इसकी परवाह करते हैं। वह वैश्विक राजनीति के अनुभवी और मझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं। यही वजह है कि बुश, क्लिंटन, ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप जैसे अमेरिकी राष्ट्रपतियों से उनकी खूब बनी, जबकि इन लोगों को किसी भी अंतरराष्ट्रीय मुद्दे के लिए सहमत करना बहुत कठिन है। पुतिन अमेरिकी और यूएन सलाह की परवाह बिल्कुल नहीं करते हैं। किसी भी नेता संग उनकी द्विपक्षीय बातचीत हो, वह घंटों देरी से आने के लिए जाने जाते हैं।3. पीएम मोदी उन लोगों का भी खुले दिल से अभिवादन करते हैं, जो व्यक्तिगत रूप से उनसे सहमत नहीं होते या उनसे नफरत करते हैं। मुलाकात के दौरान मोदी का व्यवहार उन लोगों से भी मित्रवत रहता है। वहीं इस तरह के माहौल में रूसी राष्ट्रपति पुतिन का सामना करने वाले को बहुत पछताना पड़ सकता है।4. मोदी का केवल पाकिस्तान से मतभेद है, जबकि पुतिन रूस के खिलाफ भारी प्रतिबंधों के साथ ही, अपनी मौजूदा सीमाओं से पूर्व की ओर का सामना कर रहे हैं।5. मोदी हर वक्त सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। वह फेसबुक और ट्वीटर के जरिए लगभग हर एक घंटे पर अपडेट देते रहते हैं। हालांकि, उन्होंने अपने कार्यकाल में कभी भी कोई खुली प्रेसवार्ता नहीं की। वहीं पुतिन अमेरिका बेस्ड सोशल मीडिया के जरिए संवाद स्थापित करने में विश्वास नहीं रखते हैं। इसके जगह वह खुली साल में दो खुली प्रेसवार्ता करते हैं। हालांकि, इसमें भी पत्रकारों को चार से पांच घंटे तक इंतजार करना पड़ता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस से पहले भी ये 8 देश दे चुके हैं सर्वोच्च सम्मान
1. प्रधानमंत्री मोदी की दिनचर्या काफी चुस्त है और वह समय के बहुत पाबंद हैं। इसके विपरीत रूसी राष्ट्रपति पुतिन हर काम में देरी करते हैं। उनके दिन की शुरूआत दोपहर बाद स्वीमिंग से होती है। इन विषमताओं के बावजूद दोनों नेता काफी चुस्त-दुरुस्त रहते हैं।2. दोनों नेताओं की संपत्ति की भी दूर-दूर तक तुलना नहीं की जा सकती है।3. भारत में चुनाव प्रक्रिया बहुत निष्पक्ष होती है और प्रधानमंत्री मोदी के लिए काफी महत्व रखती है। उन्हें नगर निगम चुनावों से लेकर केंद्र के लोकसभा चुनावों तक में विपक्षी दलों के भारी विरोधों और तरह-तरह के आरोप-प्रत्यारोपों का सामना करना पड़ता है। इसके विपरीत रूस में चुनाव एक मजाक है, क्योंकि वहां पर वास्तविक विपक्ष का भारी अभाव है। इसलिए व्लादिवोस्तोक से सेंट पीटर्सबर्ग तक पुतिन सर्वेसर्वा हैं और सत्ता पर उनका एकाधिकार है।4. मोदी सरकार में वैश्विक मंदी के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था और जीडीपी अच्छे स्तर पर व संतोषजनक बनी हुई है। तमाम चुनौतियों के बावजूद व्यवसाय अच्छे से चल रहे हैं। वहीं पुतिन सबसे बड़े देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जहां रूबल (स्थानीय मुद्रा) और तेल कारोबार रूस का साथ नहीं दे रहे हैं। इस वजह से रूस में सभी तरह के व्यापार और उद्योग अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों नेता
1. प्रधानमंत्री मोदी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नए हैं। इसलिए वह सीरियाई और दक्षित चीन के मुद्दों पर खुलकर बात नहीं कर रहे हैं। वह दुनिया के हर नेता से गर्मजोशी से और पूरे प्रोटोकॉल के साथ मिलते हैं। सीमा के मुद्दों को सभी देश में अलग-अलग तरीके से लिया जाता है, लेकिन मोदी अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सुझावों पर ध्यान देते हैं। विदेशों में उच्च प्रोफाइल शो और भाषणों के अलावा मोदी, पुतिन की तुलना में अंतरराष्ट्रीय मीडिया और राजनीति को एक हद तक प्रभावित करने में असमर्थ रहे हैं।2. पुतिन हर जगह अपना व्यापार देखते हैं। उन्हें किसी देश द्वारा दिए जाने वाले फैंसी प्रोटोकॉल से कोई मतलब नहीं है और न ही वो इसकी परवाह करते हैं। वह वैश्विक राजनीति के अनुभवी और मझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं। यही वजह है कि बुश, क्लिंटन, ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप जैसे अमेरिकी राष्ट्रपतियों से उनकी खूब बनी, जबकि इन लोगों को किसी भी अंतरराष्ट्रीय मुद्दे के लिए सहमत करना बहुत कठिन है। पुतिन अमेरिकी और यूएन सलाह की परवाह बिल्कुल नहीं करते हैं। किसी भी नेता संग उनकी द्विपक्षीय बातचीत हो, वह घंटों देरी से आने के लिए जाने जाते हैं।3. पीएम मोदी उन लोगों का भी खुले दिल से अभिवादन करते हैं, जो व्यक्तिगत रूप से उनसे सहमत नहीं होते या उनसे नफरत करते हैं। मुलाकात के दौरान मोदी का व्यवहार उन लोगों से भी मित्रवत रहता है। वहीं इस तरह के माहौल में रूसी राष्ट्रपति पुतिन का सामना करने वाले को बहुत पछताना पड़ सकता है।4. मोदी का केवल पाकिस्तान से मतभेद है, जबकि पुतिन रूस के खिलाफ भारी प्रतिबंधों के साथ ही, अपनी मौजूदा सीमाओं से पूर्व की ओर का सामना कर रहे हैं।5. मोदी हर वक्त सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। वह फेसबुक और ट्वीटर के जरिए लगभग हर एक घंटे पर अपडेट देते रहते हैं। हालांकि, उन्होंने अपने कार्यकाल में कभी भी कोई खुली प्रेसवार्ता नहीं की। वहीं पुतिन अमेरिका बेस्ड सोशल मीडिया के जरिए संवाद स्थापित करने में विश्वास नहीं रखते हैं। इसके जगह वह खुली साल में दो खुली प्रेसवार्ता करते हैं। हालांकि, इसमें भी पत्रकारों को चार से पांच घंटे तक इंतजार करना पड़ता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस से पहले भी ये 8 देश दे चुके हैं सर्वोच्च सम्मान