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Bihar Land News: अब जमीन मामलों का जल्द होगा निबटारा, नीतीश सरकार ने उठाया बड़ा कदम; 4 दिन के अंदर...

अपर मुख्य सचिव ने पत्र में लिखा है कि यह स्थिति बताती है कि डीसीएलआर के स्तर पर भूमि विवाद अधिनियम के तहत संचालित न्यायालयों का कामकाज ठीक ढंग से नहीं चल रहा है। समय पर विवादों का निबटारा न होना निरीक्षण पर्यवेक्षण एवं अनुश्रवण की कमी की ओर भी इशारा करता है। डीसीएलआर को साफ साफ कहा गया है कि वे सप्ताह में चार दिन अपने न्यायालय में बैठें।

By Arun Ashesh Edited By: Rajat Mourya Published: Thu, 02 May 2024 05:50 PM (IST)Updated: Thu, 02 May 2024 05:50 PM (IST)
अब जमीन मामलों का जल्द होगा निबटारा, नीतीश सरकार ने उठाया बड़ा कदम

राज्य ब्यूरो, पटना। सरकार ने सभी डीसीएलआर (भूमि सुधार उप समाहर्ता) को सप्ताह में चार दिन न्यायिक कार्य करने का निर्देश दिया है। इस निर्देश को लागू करने की जवाबदेही प्रमंडलीय आयुक्तों एवं जिलाधिकारियों को दी गई है।

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राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने इन अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे भूमि विवाद से जुड़े मामलों के समय सीमा के भीतर निबटारे की गारंटी करें।

अपर मुख्य सचिव ने पिछले दिनों भूमि विवाद से जुड़े मामलों की समीक्षा की थी। इसमें पता चला कि लंबी सुनवाई के बावजूद अबतक सिर्फ 54.65 प्रतिशत मामलों का ही निबटारा हो पाया है।

समीक्षा में क्या बताया गया?

समीक्षा में बताया गया कि बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम 2009 के अनुसार डीसीएलआर के न्यायालय में भूमि विवाद की सुनवाई होती है। इस अधिनियम के तहत राज्य भर में 11628 मामले दायर किए गए। इनमें से मात्र 6355 मामलों का निबटारा किया गया। 5273 अब भी लंबित हैं। तीन महीने से अधिक समय से लंबित मामलों की संख्या 3373 है।

अपर मुख्य सचिव ने पत्र में लिखा है कि यह स्थिति बताती है कि डीसीएलआर के स्तर पर भूमि विवाद अधिनियम के तहत संचालित न्यायालयों का कामकाज ठीक ढंग से नहीं चल रहा है। समय पर विवादों का निबटारा न होना निरीक्षण, पर्यवेक्षण एवं अनुश्रवण की कमी की ओर भी इशारा करता है।

डीसीएलआर को साफ साफ कहा गया है कि वे सप्ताह में चार दिन अपने न्यायालय में बैठें। प्राथमिकता के आधार पर उन मामलों का जल्द निबटारा करें, जो 90 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं।

जिलाधिकारियों को कहा गया है कि अधिनियम के अनुसार उन्हें मामलों के निबटारे की समीक्षा का दायित्व दिया गया है। वे इसका निर्वहन करें। इसी तरह प्रमंडलीय आयुक्तों की यह जिम्मेवारी है कि वे नियमित रूप से समीक्षा करें निर्धारित अवधि में न्याय निर्णय होता है या नहीं।वे आदेश के गुण-दोष की भी समीक्षा करें।

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