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Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में धोखाधड़ी रोकने के लिए बदलेंगे नियम, मार्केट रेगुलेटर सेबी का बड़ा फैसला

बोर्ड ने वेंचर कैपिटल फंड्स को वैकल्पिक निवेश फंड में स्थानांतरित होने की सुविधा देने संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। वहीं आरबीआई ने वित्तीय क्षेत्र के लिए संचालन जोखिम प्रबंधन को लेकर संशोधित गाइडेंस नोट जारी किया है। अब गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को भी इसके दायरे में लाया गया है। एएमसी से संबंधित गड़बड़ी में फ्रंट रनिंग भेदिया कारोबार और संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग शामिल हैं।

By Agency Edited By: Praveen Prasad Singh Published: Tue, 30 Apr 2024 10:00 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2024 10:00 PM (IST)
एएमसी से संबंधित गड़बड़ी में फ्रंट रनिंग, भेदिया कारोबार और संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग शामिल हैं।

पीटीआई, नई दिल्ली। मार्केट रेगुलेटर सेबी के बोर्ड ने म्यूचुअल फंड्स से जुड़े नियमों में बदलाव करने का फैसला किया है। इसके तहत एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) को शेयरों में फ्रंट-रनिंग और धोखाधड़ी वाले लेनदेन सहित संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और रोकथाम के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करना होगा।

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बोर्ड की बैठक के बाद सेबी ने एक बयान में कहा है कि इस तंत्र में उन्नत निगरानी प्रणाली, आंतरिक नियंत्रण प्रक्रियाएं और फ्रंट रनिंग, इनसाइडर ट्रेडिंग व संवेदनशील जानकारी के दुरुपयोग सहित विशिष्ट प्रकार के कदाचार की पहचान, निगरानी और समाधान करने की प्रक्रिया शामिल होनी चाहिए।

इसके अलावा बोर्ड ने वेंचर कैपिटल फंड्स को वैकल्पिक निवेश फंड में स्थानांतरित होने की सुविधा देने संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। वहीं, आरबीआई ने वित्तीय क्षेत्र के लिए संचालन जोखिम प्रबंधन को लेकर संशोधित गाइडेंस नोट जारी किया है। अब गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को भी इसके दायरे में लाया गया है।

सेबी के मुताबिक, संस्थागत तंत्र से एएमसी के कर्मचारियों, डीलरों, स्टॉक ब्रोकरों या किसी अन्य संबंधित संस्थाओं द्वारा संभावित गड़बड़ी का पता लगाने और सूचना देने की उम्मीद की जाती है। इसमें खास तरह की गड़बड़ी की पहचान, निगरानी और पता लगाने के लिए उन्नत निगरानी प्रणाली, आंतरिक नियंत्रण प्रक्रियाएं और वृद्धि प्रक्रियाएं शामिल होनी चाहिए।

एएमसी से संबंधित गड़बड़ी में फ्रंट रनिंग, भेदिया कारोबार और संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग शामिल हैं।

जब कोई ब्रोकर या निवेशक गोपनीय जानकारी के आधार पर किसी कारोबार में शामिल होता है, उसे ‘फ्रंट रनिंग’ कहते हैं। यह ऐसी संवेदनशील जानकारी होती है, जिससे परिसंपत्ति की कीमत प्रभावित होती है।

यह निर्णय सेबी द्वारा एक्सिस एएमसी और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से संबंधित दो ‘फ्रंट-रनिंग’ मामलों में जारी आदेश के बीच आया है।

 


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