मसाने की होली: शिव के गणों ने चिता भस्म से खेली होली, गूंजी हर-हर महादेव की बोली

  • Story By: Nitesh Srivastava

मोक्ष व अध्यात्म की नगरी काशी में राग-विराग का यह दृश्य गुरुवार को दिखा मां सुरसरि के पावन तट पर महाश्मशान मणिकर्णिका में। इस महाआयोजन को देखने पहुंचे थे देश-विदेश के सैलानी, भक्त और काशीवासी।

दूर-दूर से पहुंचे अघोरी, तांत्रिक, किन्नर तो यक्ष, गंधर्व, भूत-प्रेत आदि गणों का वेश बनाए शिवभक्त उल्लास से परिपूर्ण, ‘खेलें मसाने में होली दिगंबर...’ की धुन पर उन्हीं जलती चिताओं की भस्म व राख उड़ा एक-दूसरे से होली खेल रहे थे। गूंज रहा था ‘हर-हर महादेव’ व ‘बम भोले’ का उद्घोष। 

मोक्ष व अध्यात्म की नगरी काशी में राग-विराग का यह दृश्य गुरुवार को दिखा मां सुरसरि के पावन तट पर महाश्मशान मणिकर्णिका में। इस महाआयोजन को देखने पहुंचे थे देश-विदेश के सैलानी, भक्त और काशीवासी। 

भूत भावन आदिदेव भगवान महादेव के आदिशक्ति मां गौरा संग गौना करा लौटने के उपलक्ष्य में उनके गणों द्वारा भगवान शिव संग खेली गई ‘मसाने की होली’ के पौराणिक प्रसंग की काशी में यह जीवंत परंपरा दिनोंदिन अपने वैश्विक ख्याति की ओर बढ़ती दिखी। 

गौने में शामिल न हो पाने का मलाल, शिव के संग धमाल मान्यता है कि भगवान शिव के विवाह में भूत-प्रेत, पिशाच, चुड़ैल, डाकिनी-शाकिनी, औघड़, अघोरी, सांप, गोजर, बिच्छू आदि बाराती देख उनकी ससुराल वाले डर गए थे। 

गौने की बरात में उन्होंने अपने इन गणों को न लाने का भगवान शिव से अनुरोध किया था। इस कारण भगवान शिव के ये गण गौना में जाने से वंचित रह गए। इस बात का उन्हें मलाल था, तब भगवान शिव ने महाश्मशान में उनके संग चिता भस्म की होली खेल उनके मन का मालिन्य दूर किया था। रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मसाने की होली इसी प्रसंग को दर्शाती है।

इस अद्भुत चिता भस्म की होली को देखने और शामिल होने के लिए लोग सुबह से ही मणिकर्णिका घाट पहुंचने लगे थे। हाल यह कि मोक्ष तीर्थ की ओर से जाने वाली हर सड़क-गली सुबह से जाम की चपेट में रही। अनेक राज्यों, देशों से भी लोग मसाने की होली देखने पहुंचे। मसाननाथ मंदिर में बाबा पागलदास ने बताया कि बाबा की आरती के लिए देश के अनेक हिस्सों से लगभग 50 अघोरी व नागा संत पहुंचे थे।