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Masik Shivratri 2024: ऐसे करें मासिक शिवरात्रि की पूजा, भोले शंकर की कृपा से जीवन में नहीं आएगी कोई बाधा

मासिक शिवरात्रि को भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए एक उत्तम दिन माना जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा विधि और मंत्र।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Published: Thu, 02 May 2024 09:54 AM (IST)Updated: Thu, 02 May 2024 09:54 AM (IST)
Masik Shivratri 2024 ऐसे करें मासिक शिवरात्रि की पूजा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Shivratri 2024 Date: हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिव भक्तों द्वारा मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन विधि-विधानपूर्वक शिव जी की पूजा-अर्चना करे से साधक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि किस प्राकर मासिक शिवरात्रि पर शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है।

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मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Masik shivratri Puja Muhurat)

वैशाख माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 06 मई को दोपहर 02 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 07 मई को सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर होने जा रहा है। मासिक शिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा रात्रि में करने का विधान है। ऐसे में मासिक शिवरात्रि का व्रत 06 मई, सोमवार के दिन रखा जाएगा।

पूजा का शुभ मुहूर्त - रात 11 बजकर 56 मिनट से रात्रि 12 बजकर 39 मिनट तक

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि (Masik shivratri Puja Vidhi)

मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान और मां पार्वती का ध्यान करें। इसके बाद स्नान आदि से निवृत होकर साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें और इसके बाद भगवान शिव के साथ-साथ समस्त शिव परिवार की अराधना करें। पूजा के दौरान कच्चे दूध, गंगाजल और जल से शिव जी का अभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित करें। भोग लगाने के बाद शिव जी की आरती करके शिव चालीसा व शिव के मंत्रों का जाप करें। संध्याकाल में शुभ मुहूर्त में पुनः विधि-विधान पूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की आरधाना करें और फलाहार से अपना उपवास खोलें।

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शिव जी के मंत्र

  • ओम नम:शिवाय.
  • ॐ महादेवाय नमः.
  • ॐ महेश्वराय नमः.
  • ॐ श्री रुद्राय नमः.
  • ॐ नील कंठाय नमः
  • शंकराय नमः
  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्. उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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