Surya Tilak: मध्य प्रदेश का ऐसा मंदिर जहां राम नवमी पर नहीं, बल्कि रोजाना होता है प्रभु श्रीराम का सूर्य तिलक
Surya Tilak सनातन शास्त्रों में निहित है कि त्रेता युग में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मध्याह्न बेला में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ था। इस उपलक्ष्य पर अयोध्या स्थित राम मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया है। साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामलला का सूर्य तिलक भी मध्याह्न बेला में किया जाएगा।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Surya Tilak: देशभर में रामनवमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि त्रेता युग में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मध्याह्न बेला में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ था। इस उपलक्ष्य पर अयोध्या स्थित राम मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया है। साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामलला का सूर्य तिलक भी किया जाएगा। इसके लिए पूरी तैयारियां की गई हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, दर्पण, लेंस और पीतल पाइप के माध्यम से भगवान श्री रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा। लेकिन क्या आपको पता है कि मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित राम मंदिर में सूर्य तिलक करने की परंपरा सदियों पुरानी है ? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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कहां है राम मंदिर ?
मध्यप्रदेश स्थित विदिशा जिले के पेढ़ी चौराहा पर भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर है। इस मंदिर में पिछले 280 वर्षों से मध्याह्न बेला में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक किया जाता है। मध्याह्न बेला में ही भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ है। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए मंदिर के मुख्य पुजारी पांडे जी का कहना है कि मंदिर की स्थापना 18वीं शताब्दी में की गई है। उस समय राम भक्तों ने देशभर में सैकड़ों की संख्या में राम मंदिर बनवाए थे। ये मंदिर अयोध्या के महान संत राजाराम को दान में दिए गए थे। इनमें विदिशा स्थित राम मंदिर में स्थापित प्रभु श्रीराम की पूजा-सेवा की जिम्मेवारी संत राजाराम ने स्वयं ली थी। तत्कालीन समय से भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक किया जाता है।
कैसे किया जाता है सूर्य तिलक ?
समर्थ मठ श्रीराम मंदिर में दोपहर 12 बजे जन्मोत्सव आरती की जाती है। इस समय मंदिर के प्रांगण में स्थित चबूतरे पर एक साधक दर्पण लेकर खड़ा रहता है। यह दर्पण ढाई फिट लंबा और एक फिट चौड़ा है। इस दर्पण पर सूर्य की किरणें उतरती हैं। इन किरणों को दर्पण के माध्यम से मंदिर के गर्भ गृह में पहुंचाकर भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक लगभग 15 मिनट तक किया जाता है।
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