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4 व्हील-ड्राइव का किसी भी SUV की माइलेज और कंट्रोल पर क्या पड़ता है असर, जानिएं 5 बड़ी बातें

SUV को लेकर सबसे बड़ा मिथक यह रहा है ऑल-व्हील-ड्राइव और 4-व्हील-ड्राइव दोनों एक ही हैं। जबकि, ऐसा है नहीं

By Shridhar MishraEdited By: Updated: Mon, 22 Oct 2018 09:24 AM (IST)
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4 व्हील-ड्राइव का किसी भी SUV की माइलेज और कंट्रोल पर क्या पड़ता है असर, जानिएं 5 बड़ी बातें
नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। SUV के बारे में जब भी बात होती है अक्सर दो टर्म सुनते को मिलते हैं। पहला 4WD और दूसरा AWD। दरअसल 4WD का मतलब 4 व्हील-ड्राइव सिस्टम होता है और AWD ऑल-व्हील-ड्राइव सिस्टम होते है। इन दोनों ही सिस्टम का किसी भी SUV पर बहुत बड़ा असर होता है। तो जानते हैं इन टर्म्स से जुड़ी पांच बड़ी बातों के बारे में।

ऑल-व्हील-ड्राइव और 4-व्हील-ड्राइव में है बड़ा अंतर

SUV को लेकर सबसे बड़ा मिथक यह रहा है कि ऑल-व्हील-ड्राइव और 4-व्हील-ड्राइव दोनों एक ही हैं। जबकि, ऐसा है नहीं। ऑल-व्हील-ड्राइव और 4-व्हील-ड्राइव में चारों पहियों में पावर तो जाता है, लेकिन सबसे बड़ा अंतर ये है कि 4×4 वाहन में लो-रेशियो गियरबॉक्स, डिफ्रेंशियल लॉक्स और ऐसे कई फीचर्स दिए जाते हैं जो वाहन को ऑफ रोड के दौरान ज्यादा पावर और कंट्रोल देने में मदद करते हैं। वहीं, ऑल-व्हील-ड्राइव में आपको ये सारे फीचर्स नहीं मिलते हैं।

Renault Duster, Mahindra XUV500 और Audi Q3 जैसी SUVs में ऑल-व्हील-ड्राइव सिस्टम दिया गया है, लेकिन ये लो-रेशियो गियरबॉक्स के साथ नहीं आते हैं। वहीं, Mahindra Thar, Mahindra Scorpio, Toyota Fortuner Force Gurkha और Tata Safari जैसे वाहनों में लो-रेशियो गियरबॉक्स दिए गए हैं।

डीजल और पेट्रोल में उपलब्ध

एक समय था जब यह माना जाता था कि केवल डीजल कारों के लिए ही 4 व्हील-ड्राइव (4×4) सिस्टम बेहतर रहता है। इसके पीछे का कारण यह था कि समान डिस्प्लेस्मेंट कैपेसिटी में डीजल की कारें पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा टॉर्क देती हैं। हालांकि, सालों पुराना यह मिथक अब टूटने लगा है। बाजार में आपको कई ऐसी पेट्रोल कारें देखने को मिल जाएंगी जिनमें 4×4 सिस्टम दिया गया है। इसमें Maruti Suzuki Gypsy और Honda CR-V जैसी दो सबसे लोकप्रिय SUV शामिल हैं। इन दोनों ही डीजल मॉडल में 4×4 सिस्टम दिया गया है।

महंगा मेंटेनेंस कॉस्ट

4×2 के मुकाबले 4 व्हील-ड्राइव सिस्टम(4×4) से लैस कारें न सिर्फ महंगी होती हैं, बल्कि इनकी मेंटेनेंस कॉस्ट भी ज्यादा आती है। दरअसल इसे समझा जाए तो 4×2 के मुकाबले 4×4 सिस्टम वाली कार में पुरजों का ज्यादा इस्तेमाल होता है, इससे पुरजों पर ज्यादा भार आता है। अगर और भी आसान भाषा में समझा जाए तो जिस वाहन में जितने ज्यादा पुरजे और घूमने वाले पार्ट्स होंगे उसकी मेंटेनेंस कॉस्ट उतनी ही ज्यादा होगी।

महंगी कीमत

4×4 ड्राइवट्रेंस के मुकाबले 4×2 ज्यादा कॉम्प्लेक्स होता है। इसका सीधा असर इसकी कीमत पर पड़ता है। 4×4 में कार चारों पहियों को अलग-अलग पावर देती है। वहीं, 4×4 में केवल 2 पहियों को ही पावर मिलती है। यानी 4×4 में ज्यादा मेकेनिकल काम होता है, जिससे यह ज्यादा महंगी होती है। एंट्री-लेवल की 2व्हील-ड्राइव Fortuner डीजल की कीमत 28.29 लाख रुपये है। वहीं, एंट्री-लेव 4व्हील-ड्राइव गाड़ी की कीमत 30.72 लाख रुपये है। इन दोनों ही वेरिएंट्स में करीब 2.5 लाख रुपये का अंतर है।

महंगी होगी सवारी

ऑफ-रोडिंग के दौरान SUV के सभी कंपोनेंट का असली टेस्ट होता है। इनमें सबसे बड़ा कंपोनेंट इंजन है। ऑफ-रोड मोड में SUV का इंजन ज्यादा काम करता है ताकी, खराब रास्तों पर कार सही समय पर मैक्सिमम पावर जेनरेट कर सके। खराब सड़कों पर 4×4 मोड का इस्तेमाल होता है, जिससे वाहन इंधन की ज्यादा खपत करने लगता है। यानी 4×4 वजर्न वाली SUV के लिए आपको अपनी जेब थोड़ी ज्यादा ढीली करनी पड़ती है।

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