पुरानी डीजल और पेट्रोल कारों को ईवी में बदलना कितना सही? फायदे का सौदा या पैसे की बर्बादी
आप अपनी पुरानी डीजल और पेट्रोल कारों में इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी लगाकर चला सकते हैं। ऐसा करना पूरी तरह से लीगल भी है बशर्ते आपने ये कार्य आपने सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थान से कराया हो। ये सौदा कितना फायदेमंद है आइए जानते हैं। (फाइल फोटो)
By Atul YadavEdited By: Atul YadavUpdated: Sat, 18 Mar 2023 08:00 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। लगातार बढ़ते ईंधन के दाम और प्रदूषण के चलते लोग Electric Vehicles की ओर रुख कर रहे हैं। देश व प्रदेश की सरकारें भी इलेक्ट्रिक वाहन की खरीद को बढ़ावा देते हुए इन पर सब्सिडी प्रदान करती हैं। अगर आप अपनी डीजल या पेट्रोल कार की जगह इलेक्ट्रिक कार का उपयोग करना चाहते हैं तो आपके पास दो विकल्प हैं। या तो आप नई इलेक्ट्रिक कार को खरीद लीजिए या फिर पहली से मौजूद डीजल या पेट्रोल कार के पॉवरट्रेन को हटाकर इसमें बैटरी और मोटर फिट करा लीजिए।
Retrofitting ( बैटरी और मोटर फिट) के मुकाबले नई कार खरीदना बेहद आसान है। कार पसंद करके पैसे का इंतजाम करना है और डीलरशिप पर पहुंच जाना है। वहीं अगर आप पहली से मौजूद इंजन वाली कार में Retrofitting ( बैटरी और मोटर फिट) कराते हैं तो किस प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा और इसके क्या नुकसान-फायदे हैं, आइए जान लेते हैं...
कैसे कराएं Retrofitting
सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि आप अपनी पुरानी इंजन वाली कार में Retrofitting (इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी फिटिंग) कैसे कराएंगे। इसके लिए आपको सबसे पहले अपने 10 साल पुराने डीजल या 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को संबंधित RTO से डी-रजिस्टर कराना होगा। इसके पश्चात आप ऑनलाइन पोर्टल के जरिए इलेक्ट्रिक किट निर्माता कंपनी से संपर्क करके इसमें Retrofitting करा सकेंगे।
कितना आता है खर्च
खर्चे की बात करें तो इस प्रोसेस में कम से कम 3 लाख और अधिकतम 10 लाख रुपये तक का खर्च आता है। आप अपनी कार में जितना अच्छा मोटर, बैटरी, कंट्रोलर और रोलर लगवाएंगे, लागत भी उतनी ही बढ़ जाएगी।प्रदेश सरकारें Retrofitting कराने वाले वाहन स्वामियों को अच्छी खासी सब्सिडी भी दे रही हैं। आपको ये जानकारी लेनी पड़ेगी कि जिस राज्य में रह रहे हैं, वहां सरकार की क्या स्कीम है।