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ABS And Non ABS Bike: एबीएस और नॉन एबीएस बाइक में क्‍या होता है अंतर, किससे मिलती है सुरक्षा, जानें सबकुछ

बाइक्‍स को सुरक्षित बनाने के लिए दो पहिया वाहन निर्माताओं की ओर से कई तरह के सेफ्टी फीचर दिए जा रहे हैं। इनमें से एक सेफ्टी फीचर एबीएस है जिसे बाइक्‍स में ऑफर किया जाता है। ABS Non ABS बाइक्‍स में क्‍या अंतर होता है और इनमें से किस फीचर के साथ ज्‍यादा सुरक्षा मिलती है। आइए जानते हैं।

By Sameer Goel Edited By: Sameer Goel Updated: Sat, 09 Mar 2024 11:00 AM (IST)
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ABS & Non ABS बाइक में क्‍या अंतर होता है, आइए जानते हैं।
ऑटो डेस्‍क, नई दिल्‍ली। भारत में बड़ी संख्‍या में सड़क हादसे होते हैं। जिनमें से सबसे ज्‍यादा हादसे दो पहिया वाहनों के साथ होते हैं। ऐसे में कंपनियों की ओर से बाइक्‍स को सुरक्षित बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। ऐसे ही बाइक्‍स में एबीएस जैसे सेफ्टी फीचर को भी दिया जाता है। हम इस खबर में आपको बता रहे हैं कि ABS & Non ABS बाइक में क्‍या अंतर होता है। इनमें से किसके साथ बाइक चलाने पर ज्‍यादा सुरक्षा मिलती है।

Difference Between ABS & Non ABS in Bike

एबीएस को anti lock braking system भी कहा जाता है। ABS & Non ABS बाइक में मुख्‍य अंतर यह होता है कि एबीएस के साथ आने वाली बाइक्‍स पर नॉन एबीएस बाइक्‍स की तुलना में ज्‍यादा और बेहतर तरीके से कंट्रोल मिलता है। किसी भी मौसम में तेज ब्रेक लगाने पर खतरा बढ़ जाता है, लेकिन एबीएस वाली बाइक्‍स में यह खतरा काफी कम हो जाता है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक एबीएस के साथ आने वाले वाहनों के मुकाबले बिना एबीएस के साथ आने वाले वाहनों से 35 फीसदी ज्‍यादा हादसे होते हैं। इस फीचर के साथ आने वाली बाइक्‍स में इंजन पर किसी तरह का फर्क नहीं आता।

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मिलते हैं फायदे

एबीएस वाली बाइक्‍स को बिना एबीएस वाली बाइक्‍स के मुकाबले में तेज ब्रेक लगाकर रोकने पर बाइक फिसलती नहीं है। एबीएस वाली बाइक्‍स में ड्राइवर का पूरी तरह से कंट्रोल रहता है। इसके साथ ही तेज ब्रेक लगाने पर पहिए भी पूरी तरह से लॉक (wheel lock) नहीं होते और बाइक बिना दिशा बदले आसानी से रूक जाती है।

कैसे करता है काम

बाइक में एबीएस सिस्‍टम को तैयार करने के लिए कई पार्ट्स का एकसाथ काम करना जरूरी होता है। एबीएस बाइक में स्‍पीड सेंसर, ईसीयू और हाइड्रोलिक कंट्रोल यूनिट मिलकर काम करते हैं और बाइक को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। एक बार ब्रेक लगाने के बाद काफी कम समय में ईसीयू में जानकारी जाती है। वहां से यह तय किया जाता है कि बाइक के किस पहिए में कितनी तेजी से ब्रेक लगाने हैं। जिसके बाद बाइक मे Brake Distribution करके ब्रेक लगाए जाते हैं।

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