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भारत को क्यों है फ्लेक्स फ्यूल से चलने वाली गाड़ियों की जरूरत, जानें क्या है इथेनॉल से इसका कनेक्शन?

Flex Fuel push in India इस समय पर फ्लेक्स- फ्यूल को पेट्रोल और डीजल दोनों के ऑप्शन के रूप में देखा जा रहा है। ये एक आंतरिक दहन ईंधन है जो गैसोलीन और मेथनॉल या इथेनॉल के साथ मिलकर तैयार होता है। इस तरह के ईंधन से पेट्रोल का इस्तेमाल कम होता है जिसके कारण कोस्ट कटिंग में भी मदद मिलेगी।

By Ayushi ChaturvediEdited By: Ayushi ChaturvediUpdated: Tue, 29 Aug 2023 02:07 PM (IST)
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भारत को क्यों है फ्लेक्स फ्यूल से चलने वाली गाड़ियों की जरूरत
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। इस समय भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड दिन पर दिन काफी तेजी से बढ़ते जा रही है। आपको बता दें, इलेक्ट्रिक के बाद हाइड्रोजन और इथेनॉल से चलने वाली गाड़ियों की चर्चा काफी तेजी से हो रही है। लेकिन अभी भी बहुत से लोगों को फ्लेक्स फ्यूल के बारे में पता नहीं है। अगर आपको भी इसकी जानकारी नहीं हैं तो आज इस खबर के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं कि इथेनॉल क्या होता है और कैसे बनता है और भारत को इसकी जरूरत क्यों है और इथेनॉल से फ्लेक्स फ्यूल का कनेक्शन क्या है?

क्या होता इथेनॉल

आपको बता दें, इथेनॉल (Ethanol)  एक अलग प्रकार का ईंधन है। इसका इस्तेमाल प्रदूषण को कम करने के लिए किया जाता है। इसके इस्तेमाल से वाहन को भी चलाया जा सकता है और इसके कारण पर्यावरण को भी नुकसान कम पहुंचता है।

पेट्रोल का एक अच्छा ऑप्शन

इथेनॉल , चीनी के उत्पादन से बचा हुआ उप उत्पाद पेट्रोल का एक अच्छा ऑप्शन है। इसका इस्तेमाल ईंधन के स्थान पर एक विकल्प के तौर पर किया जा सकता है। कीमत के मामले में भी ये सस्ता है और पेट्रोल में एक निश्चित प्रतिशत इथेनॉल मिलाया जा सकता है। E20 के इस मामले में यह 20 प्रतिशत इथेनॉल और 80 प्रतिशत गैसोलीन है।

कैसे बनता है इथेनॉल?

आपकी जानकारी के लिए बता दें, इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है। जिसके कारण इससे खेती और पर्यावरण दोनों को फायदा मिलता है। अब आपको बताते हैं कि आखिर फ्लेक्स फ्यूल क्या है और इसका कनेक्शन इथेनॉल से क्या है।

फ्लेक्स फ्यूल क्या है?  इथेनॉल से क्या है इसका कनेक्शन

आपको बता दें, इस समय पर फ्लेक्स- फ्यूल को पेट्रोल और डीजल दोनों के ऑप्शन के रूप में देखा जा रहा है। ये एक आंतरिक दहन ईंधन है जो गैसोलीन और मेथनॉल या इथेनॉल के साथ मिलकर तैयार होता है। इस तरह के ईंधन से पेट्रोल का इस्तेमाल कम होता है जिसके कारण कोस्ट कटिंग में भी मदद मिलेगी। इतना ही नहीं फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाली जो कारें है वो बिना किसी दिक्कत के अपने मानक फ्यूल के अलावा दूसरे ईंधन से भी चल सकती है। इसके कारण आपको कोई परेशानी भी नहीं होगी।

30 से 35 रुपये प्रति लीटर की बचत

इथेनॉल ईंधन की कीमत करीब 60 से 65 रुपये प्रति लीटर पड़ेगी। इसके कारण आदमी फ्लेक्स फ्यूल के इस्तेमाल से 30 से 35 रुपये प्रति लीटर की बचत भी कर सकेगा। आपको बता दें, कई फ्लेक्स फ्यूल वाहन इथेनॉल के मदद से चलते हैं जिसे स्थायी रूप से गन्ने की चीनी और मकई जैसे सामग्री से बनाया जाता है।  

भविष्य का ईंधन क्यों कहा जाता है ?

इसको भविष्य के ईंधन कहे जानें के पीछे दो सबसे मुख्य कारण है- पहला, इससे अन्य ईंधन की तुलना में 35 प्रतिशत कम कार्बन मोनो -ऑक्साइड निकलता है। दूसरा-ये अन्य ईंधन की तुलना में किफायती भी है, जिसके कारण लोग बचत कर सकेंगे और उनके जेब पर भार भी नहीं पड़ेगा।

भारत में हो चुकी है शुरुआत

आपको बता दें, भारतीय बाजार में अक्टूबर 2022 में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने देश की पहली फ्लेक्स फ्यूल कार को हरी झंडी दिखाकर शुरुआत कर दी थी। जो टोयोटा के द्वारा तैयार कि गई को Toyota Corolla Altis Hybrid कार थी। इसके बाद  जनवरी 2023 में देश में हुए ऑटो एक्सपो में मारुति सुजुकी ने भी अपनी  फ्लेक्स-फ्यूल मॉडल के रूप में वैगन-आर को पेश किया था।

फ्लेक्स फ्यूल से क्या फायदा ?

भारत में अभी पेट्रोल में कुल 10 प्रतिशत ही इथेनॉल  मिक्स किया जाता है, जिसे 2025 तक बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करने का टारगेट है। अगर ऐसा होता है तो इससे आम आदमी को काफी फायदा होने वाला है। आपको बता दें, ब्राजील जैसे देश तो गाड़ियों में 40 प्रतिशत तक एथेनॉल ब्लेंडिंग का इस्तेमाल करते हैं।