कितनी सेफ है आपकी गाड़ी? जानिए कैसे होती है कार की क्रैश टेस्टिंग
क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर आपके कार की सेफ्टी डिसाइड कैसे होती है? कार क्रैश टेस्ट कैसे होता है? किस मानदंडों पर इस प्रक्रिया को संपन्न किया जाता है। चलिए आपको इससे जुड़ी खास बात बताते हैं। (जागरण फोटो)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। आप जब भी अपने लिए एक नई कार खरीदने जाते हैं तो सबसे पहले इस बात का ख्याल रखते हैं कि ये कार कितनी सेफ है, क्योंकि सेफ्टी से अहम कुछ नहीं होता है। हम इस बात की पूरी तस्कीद करते हैं कि कार की गुणवत्ता और मजबूती में कोई कसर तो नहीं है। ये मामला आपके लिए तब और महत्वपूर्ण हो जाता है , जब बात आपकी कार के पर आ जाए।
अगर आप एक कार के मालिक हैं, या फिर अपने लिए नई कार खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो इस बात का जरूर ख्याल रखें कि आप जो नई कार खरीदने जा रहे हैं वो कितनी सेफ है और जो आपके पास मौजूदा कार है वो कितनी सेफ है।
क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर आपके कार की सेफ्टी डिसाइड कैसे होती है कार क्रैश टेस्ट कैसे होता है? किस मानदंडों पर इस प्रक्रिया को संपन्न किया जाता है, या फिर इसके पैरामीटर क्या होते हैं? चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
क्या होता है क्रैश टेस्ट
आपको सबसे पहले इस बात को जरूर जानना चाहिए कि क्या होता है क्रैश टेस्ट? किस तरह से इसकी टेस्टिंग की जाती है। कार में बैठे यात्री से लेकर बाहर चल रहे लोगों के लिए ये कार कितनी सेफ है।
दुनियाभर में कई अलग-अलग संस्थाएं है जो वाहनों का क्रैश टेस्ट करती है और रेटिंग तय करती हैं, जिसके बाद पता चलता है ये कार कितनी सेफ है। इसमें एडल्ट से लेकर बच्चों के लिए अलग-अलग रेटिंग मिलती है।
कार क्रैश टेस्ट के लिए कई संस्थाएं मौजूद
दुनिया भर में कार क्रैश टेस्ट के लिए कई संस्थाएं मौजूद है : ऑस्ट्रेलियन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (ANCAP), ऑटो रिव्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (ARCAP), चीन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (C-NCAP),यूरोपीय न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Euro NCAP), अलज़ाइमाइनर डॉयचर ऑटोमोबाइल-क्लब - जर्मनी (ADAC), जापान न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (JNCAP), लैटिन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम- लैटिन अमेरिका(लैटिन NCAP)। आपको बता दें भारत में ज्यादातर ग्लोबल NCAP और यूरो NCAP द्वारा किए गए वाहनों के क्रैश टेस्ट ही मशहूर हैं।
क्या है Global NCAP
NCAP का मतलब न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम है। 1978 में अमेरिका में कार क्रैश के बारे में लोगों के जानकारी देने के लिए इस प्रोग्राम को शुरु किया गया था। आपको बता दें, ग्लोबल एनसीएपी, यूके में रजिस्टर्ड स्वतंत्र संस्था है, जिसका गठन 2011 में हुआ था।
वाहन दुर्घटना-टेस्टिंग और रिपोर्टिंग को बढ़ावा देने के लिए इसे किया गया था। ये संस्था 'सेफर कार्स फॉर इंडिया' प्रोग्राम के तहत भारत में निर्मित वाहनों का क्रैश टेस्ट करती है।
कैसे होता है कार का क्रैश टेस्ट
NCAP क्रैश टेस्ट किए गए वाहनों को अपने टेस्टिंग के आधार पर स्कोर देता है। देश में किसी भी वाहन की बिक्री के लिए उसको फ्रंट ऑफसेट और साइड इम्पैक्ट क्रैश आवश्यकताओं को पूरा करना जरूरी होता है।
भारत सरकार का फ्रंट ऑफसेट टेस्ट 56 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से किया जाता है, जो ग्लोबल एनसीएपी की फ्रंट ऑफसेट क्रैश टेस्ट की स्पीड से कम है, लेकिन फ्रंट इम्पैक्ट प्रोटेक्शन यानी कि सामने से होने वाली दुर्घटना के दौरान मिलने वाली सुरक्षा के मामले में ये संयुक्त राष्ट्र के रेगुलेशन 94 के अनुरूप है।
कैसे होती है कार की टेस्टिंग
कार जितनी सेफ होती है, उतनी ही उसकी सेलिंग होती है और लोग उसे खरीदना पसंद करते हैं। टेस्टिंग (एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन) और बच्चों के लिए (चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन) के आधार पर स्कोर करता है। हेड और नेक, चेस्ट और घुटना, फीमर और पेल्विस से टेस्टिंग की जाती है।
बच्चों के लिए कैसे होता है सेफ्टी स्कोर
बच्चों की सेफ्टी के लिए क्रैश में कुल 49 अंक में ज्यादा स्कोर प्राप्त करना होगा। इस टेस्ट में 18 महीने और 3 साल के बच्चे की डमी का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी गाड़ियां, जिसमें चाइल्ड रेस्ट्रेंट सिस्टम मार्किंग, थ्री पॉइंट सीट बेल्ट, आइसोफिक्स (ISOFIX) चाइल्ड एंकर्स दिए जाते हैं जिसके बाद स्कोर मिलता है।
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